चाहे आपकी पीठ का निचला हिस्सा अधिकतर या कभी कभी टाइट महसूस होता हो, ऐसे में जरूरी है कि अपने शरीर पर ध्यान देते हुए पीठ के निचले हिस्से में दर्द से राहत पाने के लिए कुछ स्टेप फॉलो किए जा सकते है. 

पीठ के निचले हिस्से में दर्द के कारण रोजमर्रा के कामों में परेशानी जैसे कुछ चीज़े उठाने के लिए झुकना आदि तक के लिए बहुत तेज़ दर्द आदि का सामना करना पड़ सकता है.

कमर के निचले हिस्से में दर्द के साथ साथ ऐंठन आदि होना जिससे लगातार दर्द महसूस होना, कसाव, तनाव महसूस हो सकता है. साथ ही हिप्स, पैर, पेल्विस में टाइटनेस महसूस हो सकती है.

आज इस लेख में हम आपको बताने वाले है कमर के निचले हिस्से में दर्द के कारण और उपचार जिससे लोवर बैक पेन से राहत मिल सके – lower back pain causes and treatment in hindi

पीठ के निचले हिस्से में दर्द से राहत के लिए – lower back pain relief in hindi

इसके लिए जरूरी होता है कि शरीर का लचीलापन और कमर के निचले हिस्से की ताकत को बढ़ाना आदि. जिसमें कई तरह की स्ट्रैचिंग आदि की जाती है जिससे काफी लाभ मिलता है. शरीर का लचीलापन बढ़ाने के लिए निम्न चीज़े की जा सकती है –

हिप सर्कल

इससे लचीलापन बढ़ता है, तनाव कम होता है और साथ ही लोवर बैक की मांसपेशियाँ ढीली हो जाती है. इसे करने में पेट की मांसपेशियों, पेल्विक मांसपेशी, ग्लूटेल मांसपेशी, स्पाइन आदि का इस्तेमाल होता है.

  • खड़े होकर पैरो को थोड़ा खोल लें और हाथों पर हिप्स पर रखें.
  • हाथों को हिप्स पर रखकर एक साइड से दूसरी साइड धीरे धीरे घुमाएं.
  • इसके बाद हिप्स को एक दिशा में बड़े सर्कल बनाते हुए घुमाएं.
  • ऐसे कम से कम 10 सर्कल करें.
  • इसके बाद इसे दूसरी दिशा में घुमाएं.

विंडशील्ड वाइपर एक्सरसाइज

इस एक्सरसाइज से कमर के निचले हिस्से में होने वाला तनाव और टाइटनैस सही हो जाती है. इसे करने के लिए –

  • पीठ पर लेट जाएं, घुटनों को मोड़ते हुए उठाएं.
  • इस दौरान अपने हाथों को खोल लें जिससे संतुलने बना रहें.
  • हिप्स के मुकाबले पैरों को थोड़ा ज्यादा खोलकर रखें.
  • जिसके बाद धीरे धीरे अपने घुटनों को बाएं तरफ ले जाए और वापस लाएं.
  • फिर उसके बाद दाएं तरफ लेकर जाएं और वापस लाएं.
  • इस एक मिनट तक दोनों तरफ करें.

घुटनों को चेस्ट तक

इस स्ट्रैच से कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियाँ फ्लैक्सिबल हो जाती है. इसे करने के लिए –

  • पीठ की तरफ लेट जाएं और दोनों पैरों को खोल लें.
  • इसके बाद एक पैर का घुटना अपने चेस्ट तक लाएं.
  • इस पोजीशन को 5 सेकेंड तक होल्ड करें और रिलीज कर दें.
  • जिसके बाद दूसरे पैर के घुटने को चेस्ट से छुकर 5 सेकेंड के लिए होल्ड करें.
  • इसके बाद दोनों घुटनों को एक साथ चेस्ट के पास लाकर अपने हाथों से घुटनों को होल्ड करें.
  • इस पोजीशन को कम से कम 30 सेकेंड तक होल्ड करें.

सिंगल लेग स्ट्रैच

इसमें हैमस्ट्रींग मांसपेशी का उपयोग होता है जिससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द की राहत मिलती है. इसे करने के लिए –

  • दोनों पैरो को खोलकर लेट जाएं.
  • अपनी दाएं पैर को बिना घुटना मोड़े हुए सीधा उठाए.
  • इसके साथ ही आप दूसरे पैर को मोड़कर सीधे किए हुए पैर को सपोर्ट दे सकते है.
  • इस पोजीशन को 30 सेकेंड के लिए होल्ड करें.
  • इसके बाद दूसरे पैर के साथ इसी प्रक्रिया को दोहराएं.
  • दोनों पैरों को कम से कम 2 से 3 बार स्ट्रैच करें.

पेल्विक टिल्ट

इससे पेट और कमर की मांसपेशियों में आराम मिलने के साथ साथ लचीलापन बढ़ता है. इसे करने के लिए –

  • घुटनों को मोड़कर पीठ के बल लेट जाएं.
  • रिलैक्स करते हुए हमारी स्पाइन हल्की से कर्व होती है जिससे वह फ्लोर को छुती है.
  • अपनी कोर मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हुए पीठ को ऊपर की ओर उठाएं.
  • ऊपर उठाने के बाद 5 सेकेंड कर होल्ड करें और फिर रिलैक्स करें.
  • इसे कम से कम 3 बार 10 रेपीटेशन करें.

बितिलासन और मार्जरासन

इस योगा पोज से रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बेहतर होने के साथ साथ हिप्स और पेट का अच्छा स्ट्रैच होता है. इसे करने के लिए –

  • टैबलटॉप पोजीशन में आकर अपने शरीर के चारों पॉइंट पर वजन संतुलित रखें.
  • सांस लेते हुए ऊपर की ओर देखे और बैली को नीचे की ओर झुकाएं.
  • सांस को छोड़ते हुए कमर को ऊपर की ओर लेकर जाएं.
  • इस मूवमेंट को 1 मिनट कर दोहराएं.

बालासन

इस आसन से कमर से तनाव निकल जाता है और दर्द में राहत महसूस होती है. इसे करने के लिए –

  • घुटनों पर खड़े होकर अपनी ऐड़ियो पर बैठकर शरीर के ऊपरी हिस्से को आगे की ओर झुकाएं.
  • शरीर को आगे झुकाते हुए हाथ भी सामने की ओर होंगे.
  • इस पोजीशन को 1 मिनट तक होल्ड करें.

लेग्स अप दी वाल

इस योग से कमर को रिलैक्स के साथ साथ पेल्विस में आराम मिलता है. इसे करने के लिए –

  • इसके लिए पीठ के बल लेट जाए और पैरों को ऊपर की ओर उठा लें.
  • ध्यान रहें कि पैर मोड़ने नही है.
  • हाथों को रिलैक्स और सहज पोजीशन में रखें.
  • लोवर बैक को फोकस करते हुए इस पोजीशन को कम से कम 2 मिनट तक होल्ड करें.

लोवर बैक पेन के कारण – what can cause lower back pain in hindi

  • कमर के निचले हिस्से में दर्द के कई कारण हो सकते है जैसे खेलने के दोरान लगी चोट, ज्यादा ट्रेनिंग करना, दुर्घटना आदि. इसके अलावा रोजमर्रा के काम जैसे बैठने के कारण कमर में तनाव आ सकता है.
  • हैमस्ट्रींग टाइट होना, ग्लूटेस मांसपेशियों के कारण भी यह हो सकता है.
  • खराब पोस्चर के कारण या वजन उठाते समय पोस्चर ठीक न होने के कारण दर्द हो सकता है.
  • कोर मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण भी दर्द हो सकता है.

कमर के निचले हिस्से में दर्द के अन्य 

  • तनाव और ऐंठन
  • खराब लाइफ़स्टाइल
  • मोटापा
  • गठिया
  • स्पाइन में बदलाव (आयु संबंधी)
  • जोड़ों में खीचाव या स्टीफ होना
  • लंबे समय तक बैठे रहना
  • नर्व में पींच होना
  • भावनात्मक तनाव
  • आंतरिक अंगों का रोग
  • मस्कुलर डिस्फंक्शन

अन्य थेरेपी

  • दर्द से बचने के लिए जरूरी है कि रोजाना के रूटीन में एक्सरसाइज को शामिल करें.
  • इसके अलावा हीट या कोल्ड थेरेपी का इस्तेमाल कर सकते है.
  • खुद घर में मसाज कर सकते है.
  • एक्यूपंचर आदि थेरेपी भी ली जा सकती है. 

लोवर बैक दर्द से बचाव के टिप्स – lower back pain prevention tips in hindi

  • संतुलित और हेल्दी डाइट लें.
  • हेल्दी वजन बनाए रखें.
  • नियमित एक्सरसाइज करें.
  • बैठते समय कमर के कर्व को सपोर्ट देने के लिए कुछ रखें.
  • बैठने के हर एक घंटे में कम से कम 5 मिनट उठकर धूमें.
  • एक्सरसाइज से पहले और बाद में स्ट्रैच जरूर करें.
  • बैठते समय पैरो को क्रोस करके न बैठे. 
  • साथ ही अपने घुटने के नीचे दिशा में ऐंडियो को रखें.
  • अच्छा पोस्चर अपनाएं.
  • पैरों के लिए अच्छे आरामदायक जूते पहने.
  • वजन उठाने के लिए सही तरीके का इस्तेमाल करे जिससे कमर पर असर न पड़े.
  • साइड में सोते समय घुटने के बीच में तकीया रखें.
  • खुद के शरीर में पानी की कमी न होने दें.
  • शराब समेत तंबाकू आदि का उपयोग बिल्कुल भी न करें.

डॉक्टर से कब मिलें

आमतौर पर 2 से 6 हफ्तों की एक्सरसाइज को रूटीन के साथ करने से आराम मिल जाता है. जबकि निम्न स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.

  • कुछ हफ्तों में दर्द में आराम न मिलने.
  • एक्सरसाइज करने के दौरान बहुत तेज़ दर्द होना.
  • दर्द का पैरों तक फैल जाना

इसके अलावा सुन्न होना, सूजन, तीव्र दर्द का अनुभव करने पर डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए. जिससे वह स्थिति के आधार पर समस्या का कारण जानकर उचित उपचार दे सकें.

References –

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