दुनियाभर में प्राचीन काल से जड़ी-बूटीयों द्वारा इलाज का तरीका चलता आ रहा है. इस पद्धति से कई तरह के रोग, बिमारियों और वायरल इंफेक्शनों का इलाज किया जाता है.

इन जड़ी बूटियों की बात करें तो इनमें मौजूद तत्व कई तरह के रोगों से बचाव करने और लड़ने के काम आती है. अगर आसान शब्दों में समझे तो यह घर बैठे बीमारियों के घरेलू उपाय है, जो न केवल हमें रोगों से बचाते है.

बल्कि ऐसा देखने को मिला है कि इनका लाभ सिर्फ सीमित सीमा तक किया जाता है. तो आज हम आपको बताने वाले है इनके कुछ ऐसे ही लाभ –

वायरल रोगों में लाभ देने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां – Antiviral herbs in hindi

ओरिगैनो (अजवायन की पत्ती)

  • यह सबसे ज्यादा फायदा देने वाली पत्तीयों में से एक है. इसमें मौजूद कारवाक्रोल एंटी वायरल गुणों के लिए जाना जाता है.
  • अध्ययनों से पता चला है कि अजवायन का तेल और कारवाक्रोल का उपयोग मूरीन नोरोवायरस(एमएनवी) के प्रभाव को 15 मिनट में कम देता है.
  • आपको बता दें कि पेट की समस्याओं में सबसे मुख्य कारण एनएनवी को माना जाता है.
  • अजवायन के तेल का प्रयोग बच्चों और शिशुओं में दस्त और सांस से संबंधित इंफेक्शन में भी कारगर साबित होता है.

सेज जड़ी – बूटी

  • यह भी जड़ी बूटी परिवार का हिस्सा है जिसका इस्तेमाल कई तरह के वायरल इंफेक्शन का इलाज करने के लिए किया जाता है. 
  • रिसर्च की माने तो इसमें मौजूद तत्व एचआईवी-1 से लड़ने में मदद करते है.
  • इसके अलावा यह घोड़े, गाय जैसे पालतू जानवरों को भी एचएसवी-1 वायरस से बचाव करने में मदद करती है.

तुलसी

  • भारत में इसे लगभग हर घर में पाया जा सकता है.
  • इसके आलौखिक गुण बहुत अधिक है जिससे यह कई प्रकार के वायरल इंफेक्शनों से लड़ने में मदद करती है.
  • इन वायरल इंफेक्शनों में हर्पस वायरल, हेपीटाइटिस बी और एंटरोवायरल शामिल है.

सौंफ

  • इसे भी कई तरह के वायरल संक्रमणों से लड़ने के लिए जाना जाता है.
  • रिसर्च की माने तो यह इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने, जलन कम करने और वायरल इंफेक्शन से लड़ने में काफी कारगर है.

लहसुन

  • कई प्रकार के रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है.
  • अध्ययनों की माने तो लहसुन का उपयोग निमोनिया, राइनोवायरल, सर्दी लगना, इंफ्लूएंजा ए और बी समेत कई रोगों से लड़ने में किया जाता है. 
  • इसके अलावा इसके सेवन से हमारा इम्युन सिस्टम भी मजबूत होता है जिससे वायरल इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है.

लेमन बाम

  • टाय की पत्तीयों में उपयोग किए जाने वाला लेमन बाम अपने मेडिकल उपयोगों के लिए भी जाना जाता है.
  • इसकी पत्तीयों से निकले तेल आदि को एंटीवायरल गुणों के लिए जाना जाता है.
  • रिसर्च के अनुसार यह बर्ड फ्लू, हर्पस वायरस, एचआईवी-1 समेत बच्चों और शिशुओं में होने वाले कई रोगों से बचाव होता है.

पुदिना

  • प्रकृतिक रूप से वायरल इंफेक्शन के इलाज में उपयोग होने वाला पुदीना, जलन जैसी समस्याओं में भी बहुत लाभ देता है.
  • इसके रस में मेंथॉल और रोसमेरीनिक एसिड जैसी तत्व मौजूद होते है.

रोज़मैरी

  • इसका प्रयोग खाना पकाने के अलावा जानवरों में बहुत से रोग जैसे हर्पस वायरस, एचआईवी, इंफ्लूएंजा के लिए होता है.
  • जबकि इसके नीचोड़ का इस्तेमाल लीवर संबंधित समस्याओं में राहत देता है.

मुलेठी

  • चीनी दवा पद्धति में इसका उपयोग काफी पहले से ही हो रहा है.
  • आमतौर पर इसमें मौजूद एंटीवायरल गुण निमोनिया, समेत सांस से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी है.

अदरक

  • वैसे तो इसका उपयोग हम दैनिक रूप से चाय में करते है.
  • लेकिन इसके बहुत सारे प्राकृतिक फायदे होते है जैसे इसका हमारे शरीर में वायरस के सेल्स से बचाव करना आदि.

जिनसेंग

  • इसका उपयोग कई तरह के उपचारों जिसमें मर्दाना कमजोरी, मधुमेह, कैंसर, शीघ्रपतन, तनाव आदि में की जाती है.
  • प्राचीन समय से इसका इस्तेमाल चीइनीज मेडिसन में होता आ रहा है.

सिंहपर्णी 

  • इस फूल का प्रयोग लिवर से जुड़ी हुई समस्याओं में काफी अधिक होता है. यह साल के सभी महीनों में उपलब्ध रहता है.
  • इसके अलावा तेज़ बुखार, उल्टी, मांसपेशियों के दर्द, डेंगू और मच्छरों से होने वाली बहुत सारी बीमारियों में इसका प्रयोग होता है. 

अंत में

अगर प्राचीन समय की बात करें तो इन सभी जड़ी बूटियों और मसालों को हमारे भोजन में शामिल कर हमारे पूर्वजों ने काफी अच्छा किया है. लेकिन किसी एक मसाले का अधिक सेवन समस्या भी पैदा कर सकता है. इसलिए किसी भी मसाले आदि का उपयोग सही मात्रा में करना चाहिए.

References –

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