इस लेख में आप जानेंगे बैक्टीरिया बनाम वायरल इंफेक्शन के बीच क्या अंतर होता है, इनके कारण, निदान, इलाज और बचाव –

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बैक्टीरिया बनाम वायरल इंफेक्शन के बीच क्या अंतर होता है? – bacterial vs viral infection

  • बैक्टीरिया और वायरस के कारण कई सारे सामान्य इंफेक्शन हो सकते है.
  • बैक्टीरिया काफ़ी छोटे माइक्रोऑर्गेनिज़म होते है जो सिंगल सेल से बने होते है.
  • इनकी भिन्नता बहुत अलग होने के अलावा कई प्रकार के आकार और संरचना के साथ आते है.
  • बैक्टीरिया शरीर के भीतर या बाहर किसी भी प्रकार के वातावरण में फ़ैल सकता है.
  • कुछ विशेष बैक्टीरिया के कारण ही मानव शरीर में इंफेक्शन हो सकता है जिन्हें पेथोजेनिक बैक्टीरिया कहा जाता है. (जानें – वायरल रोगों के बारे में)
  • वायरस अन्य प्रकार के छोटे माइक्रोऑर्गेनिज़म होते है जो बैक्टीरिया से अधिक छोटे होते है.
  • साथ ही वायरस भी कई प्रकार के आकार व संरचना के हो सकते है.
  • वायरस को पैरासाइट भी कहा जाता है जिसको फ़ैलने के लिए कोई टिश्यू या जिंदा सेल की आवश्यकता होती है.
  • वायरस शरीर में सेल्स के जरिए प्रवेश करके, विकसित होने के साथ तेज़ी से खुद को कई गुना बढ़ाते है.
  • कुछ वायरस अपनी लाइफ साईकल के लिए होस्ट सेल्स को भी मार देते है.

बैक्टीरियल इंफेक्शन कैसे फैलता है?

  • काफी सारे बैक्टीरियल इंफेक्शन जानलेवा होते है जो एक से दूसरे इंसान में फैल सकते है.
  • यह इंफेक्शन छूने या किस करने से भी फैल सकता है.
  • संक्रमित व्यक्ति के शरीर के फ्लूइड में गैर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से खासकर छींकना, खांसना या सेक्सुअल संपर्क के कारण हो सकता है.
  • शिशु के जन्म या गर्भावस्था के दौरान मां से ट्रांसमिशन होना.
  • संक्रमित वस्तु जिसे ज्यादा लोगों द्वारा छुए जाने के बाद अपना मुंह, चेहरा, नाक आदि को छूने के कारण हो सकता है.
  • इसके अलावा बैक्टीरियल इंफेक्शन एक से दूसरे इंसान में फैलने के साथ साथ कीटो के काटने के कारण भी फैल सकता है.
  • दूषित भोजन या पानी के कारण भी इंफेक्शन फैल सकता है.

सामान्य बैक्टीरियल इंफेक्शन कौन से है?

  • यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
  • गोनोरिया
  • टीबी
  • लाइम रोग
  • बैक्टीरिया के कारण फ़ूड पॉइजनिंग
  • सेल्यूलाइटिस
  • दिमागी बुखार (मेनिनजाइटिस)
  • टिटनस
  • स्ट्रेप थ्रोट

वायरल इंफेक्शन कैसे फैलते है?

  • काफी सारे वायरल इंफेक्शन जानलेवा होते है जो अन्य इंफेक्शन की ही तरह फैलते है.
  • जिसमें संक्रमित व्यक्ति के निजी संपर्क में आना.
  • निजी संपर्क में शरीर के फ्लूइड शामिल है.
  • गर्भवास्था के दौरान मां से शिशु में संक्रमण चले जाना या दूषित जगह के संपर्क के कारण हो सकता है.
  • इसके अलावा दूषित पानी या भोजन के कारण समेत किसी कीट के काटने से भी हो सकता है.

सामान्य वायरल इंफेक्शन कौन से है?

  • वायरल हेपेटाइटिस
  • वायरल दिमागी बुखार
  • एचआईवी
  • सर्दी खांसी
  • खसरा
  • चिकनपॉक्स
  • मस्से
  • ज़िका वायरस
  • इंफ्लूएंजा
  • वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस

कोरोना भी वायरस के कारण होने वाले रोगों में से एक है जिसमें –

सर्दी क्या होती है बैक्टीरियल या वायरल ?

  • सर्दी के कारण नाक बहना या बंद होना, हल्का बुखार हो सकता है
  • सामान्य रूप से सर्दी खांसी का कारण कई अलग वायरस हो सकते है.
  • हालांकि, राइनोवायरस इसके सबसे अधिक मामलों में देखने को मिलता है.
  • कुछ मामलों में दूसरा बैक्टीरियल इंफेक्शन सर्दी जुकाम के दौरान विकसित होता है.
  • जिसके आम कारणों में साइनस इंफेक्शन, कान का इंफेक्शन, निमोनिया शामिल है.
  • लक्षणों के 10 से 14 दिन तक या अधिक रहने पर बैक्टीरियल इंफेक्शन विकसित हो सकता है.
  • कुछ दिनों तक लक्षण बेहतर होने के स्थान पर खराब होते जाते है.
  • जुकाम के साथ में आपको थोड़ा अधिक बुखार हो सकता है.

क्या बलगम के रंग से पता लगाया जा सकता है कि इंफेक्शन बैक्टीरियल है या वायरल?

  • हालांकि, आपको बलगम के रंग से बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन का पता नहीं करना चाहिए.
  • लंबे समय से ऐसा माना जाता है कि हरे रंग का बगलम बैक्टीरियल इंफेक्शन को दर्शाता है जिसमें एंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ती है.
  • बलगम का हरा रंग, इम्यून सेल्स में किसी बाहरी कण के कारण होता है.
  • इसके अलावा वायरस, बैक्टीरिया और मौसमी एलर्जी हरे बलगम का कारण हो सकती है.

पेट का फ्लू क्या होता है बैक्टीरियल या वायरल?

  • जब आपको मतली, डायरिया या पेट में ऐंठन का अनुभव बोता है तो ऐसे में आपको पेट का फ्लू होने के आसार अधिक होते है.
  • इसकी दो केटेगरी होती है जिसमें फ़ूड पॉइजनिंग और गैस्ट्रोएंटराइटिस शामिल है.
  • गैस्ट्रोएंटराइटिस पाचन तंत्र का इंफेक्शन होता है जो संक्रमित व्यक्ति के मल या उल्टी में संपर्क में आने के कारण होता है.
  • फ़ूड पॉइजनिंग पाचन तंत्र का इंफेक्शन होता है जिसका कारण दूषित भोजन या तरल का सेवन होता है.
  • यह दोनों वायरस या बैक्टीरिया के कारण हो सकते है और इसके लक्षण करीब एक दिन के अंदर चले जाते है.
  • लक्षणों के 3 दिन से अधिक समय तक रहने से खूनी दस्त, गंभीर पानी की कमी जिससे इंफेक्शन फैल जाता है और सही मेडिकल उपचार की जरूरत पड़ती है.

इंफेक्शन का निदान कैसे होता है?

  • कभी कभी आपका डॉक्टर, लक्षण और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर आपकी कंडीशन का निदान कर लेते हैं.
  • जैसे खसरा या चिकनपॉक्स के लक्षण सीधे शारीरिक जांच करने के बाद बताए जा सकते है.
  • जबकि इंफ्लूएंजा आदि ठंड के मौसम में होने वाला रोग है जो हर साल लोगों को होता है.
  • जबकि कीटाणु के प्रकार का पता लगाने के लिए डॉक्टर द्वारा यूरिन, मल, स्किन, ब्लड, बलगम, सेरेब्रल स्पाइनल फ्लूइड के सैंपल लिए जा सकते है.
  • इससे डॉक्टर को कंडीशन के कारण का पता लगाने में मदद मिलती है.
  • बैक्टीरियल इंफेक्शन के मामले में एंटीबायोटिक्स से इलाज काफी मदद करता है.

एंटीबायोटिक्स से किस प्रकार के इंफेक्शन का इलाज होता है?

  • एंटीबायोटिक्स दवाएं होती है जिनका उपयोग बैक्टीरियल इंफेक्शन का इलाज करने के लिए किया जाता है.
  • यह कई प्रकार में उपलब्ध है लेकिन यह बैक्टीरिया को प्रभावी रूप से विकसित होने और बंटने से रोकती है.
  • एंटीबायोटिक्स दवाएं, वायरल इंफेक्शन पर प्रभावी नहीं होती है.
  • ध्यान रहें कि एंटीबायोटिक्स का अधिक इस्तेमाल करने से एंटीबायोटिक रसिस्टेंस हो सकता है.
  • एटीबायोटिक्स प्रतिरोध का अर्थ है कि बैक्टीरिया खुद को उसके सक्ष्म कर सकता है.
  • जिस कारण दवाओं का असर नहीं होने के चलते इलाज कठिन हो जाता है. (जानें – एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट के बारे में)
  • एंटीबायोटिक प्रीस्क्राइब के मामले में डॉक्टर द्वारा निर्धारित समय तक दवा की डोज़ ली जानी चाहिए.

वायरल इंफेक्शन का इलाज कैसे होता है?

  • इसके लिए कोई विशेष इलाज नहीं है लेकिन उपचार के दौरान लक्षणों से राहत देने पर फोकस किया जाता है.
  • इसके इलाज में तरल पदार्थ का सेवन करना जिससे शरीर में पानी की कमी न हो.
  • शरीर को पूरा आराम देना जरूरी होता है.
  • दर्द, बुखार, ऐंठन आदि के लिए ओटीसी दवाएं ली जा सकती है.
  • नाक बहना या बंद होने के मामलों में भी ओटीसी उपाय लिए जा सकते है.

इंफेक्शन से बचाव कैसे करें

बीमार होने पर बाहर न जाएं

  • बीमार होने और संक्रमण फैलाने का खतरा होने पर घर में लोगों से दूर रहें.
  • बाहर जाने पर हाथ बार बार धोएं.
  • इसके अलावा खांसने, छींकते समय टिश्यू या कोहनी का इस्तेमाल करें.

सही से पका हुआ भोजन

  • मांसाहार का सेवन करने वाले लोगों द्वारा मांस को ठीक से पकाकर खाना चाहिए.
  • फल और सब्जियों को खाने से पहले उन्हें ठीक से धो लें.
  • भोजन को बाहर न छोड़े, रेफ्रिजरेटर में रखें.

अच्छी हाइजिन

  • भोजन खाने से पहले या बाद में, बाथरूम का उपयोग करने के बाद में हाथों को धोना या सैनिटाइज़ किया जाना चाहिए.
  • हाथों के साफ न होने पर इन्हें चेहरे, मुंह या नाक पर लगाने से बचें.
  • अपनी निजी वस्तुओं जैसे खाने के बर्तन, टूथब्रश, पानी का गिलास आदि किसी से शेयर न करें.

सुरक्षित सेक्स

  • सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करने से सेक्सुअली ट्रांसमिट इंफेक्शन के रिस्क को कम किया जा सकता है.
  • इसके अलावा सबसे जरूरी कि अपने सेक्सुअल पार्टनर कम से कम रखें. 

कीट के काटने से बचाव

  • मच्छर आदि कीट के काटने से खुद का बचाव जरूर करें.
  • इसके लिए आप पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े आदि पहन सकते हैं.

टिकाकरण

  • इंफ्लूएंजा, टीटनस, खसरा आदि का टिका लिया जा सकता है जिससे भविष्य में इन रोगों से बचाव संभव हो.
  • इन वैक्सीन को लेने से पहले डॉक्टर से बात कर सलाह लेनी चाहिए.

अंत में

बैक्टीरिया और वायरस के कारण कई प्रकार के इंफेक्शन हो सकते है जो एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते है. कुछ मामलों में डॉक्टर शारीरिक जांच के आधार पर निदान कर लेते है. जबकि अन्य में टेस्ट आदि किए जाते है.

एंटीबायोटिक्स आदि का इस्तेमाल बैरक्टीरिया इंफेक्शन का इलाज करने के लिए किया जाता है. जबकि वायरल इंफेक्शन के मामलों में लक्षणों के सुधार पर ज़ोर दिया जाता है. (जानें – एंटीवायरल हर्ब्स के बारे में)

किसी अन्य समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से बात कर सलाह ली जानी चाहिए.

References –

 

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