इस लेख में आप जानेंगे कैल्शियम की कमी (हायपोकैल्शिमिया) क्या होती है, कारण, लक्षण, निदान, इलाज, जटिलताएं और बचाव –
हायपोकैल्शिमिया (कैल्शियम की कमी) क्या होती है? – What is calcium deficiency?
- हमारे शरीर के लिए जरूरी मिनरल में से एक कैल्शियम होता है.
- कैल्शियम का उपयोग मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए किया जाता है.
- हमारे हार्ट और अन्य मांसपेशियों के सुचारु फंक्शन के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है.
- जबकि शरीर को कैल्शियम की सही मात्रा नहीं मिलने पर रोगों – हायपोकैल्शिमिया, ऑस्टियोपेनिया और ऑस्टियोपोरोसिस आदि का खतरा बढ़ जाता है.
- जिन बच्चों को कैल्शियम की जरूरी मात्रा नहीं मिलती है वह व्यस्क होने पर अपनी पूरी हाइट तक विकसित नहीं हो पाते है.
- आपको रोजाना की जरूरत का कैल्शियम अपने भोजन, सप्लीमेंट या विटामिन के माध्यम से प्राप्त कर लेना चाहिए.
हायपोकैल्शिमिया (कैल्शियम की कमी) के कारण क्या होते है? – What causes calcium deficiency?
फैक्टर
- आयु बढ़ने के साथ कैल्शियम की कमी का रिस्क बढ़ जाता है.
- बचपन में लंबे समय तक कैल्शियम की कमी रहना.
- महिलाओं में हार्मोन बदलाव.
- दवाएं जो कैल्शियम के अवशोषण को कम कर देती है.
- विशेष जेनेटिक्स फैक्टर.
- हाई कैल्शियम फ़ूड्स के प्रति डाइटरी इनटोलरेंस होना.
- हर आयु पर सही कैल्शियम की मात्रा का सेवन किया जाना चाहिए.
मेनोपॉज
- अगर बात करें महिलाओं की, तो पुरुषों की तुलना में इन्हें मिडल आयु के आसपास अधिक कैल्शियम का सेवन शुरू कर देना चाहिए.
- जैसे जैसे महिलाएं अपने मेनोपॉज के वर्षों के आसपास पहुंचती है वैसे ही कैल्शियम की जरूरी मात्रा को पूरा करना बहुत आवश्यक हो जाता है. (जानें – मिनरल की कमी के बारे में)
- मेनोपॉज के दौरान भी महिलाओं को कैल्शियम का सेवन बढ़ देना चाहिए इससे कैल्शियम की कमी वाले रोग और ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क कम हो जाता है.
- ऐसा इसलिए क्योंकि मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन कम बनने लगता है जिससे महिलाओं की हड्डियां तेजी से पतली होने लगती है.
हार्मोन डिसऑर्डर
- हार्मोन डिसऑर्डर जैसे हाइपर पैराथायराइडिज्म के कारण कैल्शियम की कमी वाले रोग हो सकते है.
- हाइपर पैराथायराइडिज्म से ग्रसित लोगों में ब्लड में कैल्शियम लेवल को कंट्रोल करने वाला पैराथायराइड हार्मोन नहीं बनता है.
अन्य कारण
- कुपोषण
- किडनी फिलियर
- शरीर की ठीक से विटामिन और मिनरल को अवशोषित न कर पाना.
- विटामिन डी के लेवल कम होना
- हाइपोमैग्नेसेमिया
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन
- सर्जरी
- कीमोथेरेपी
- हाइपरमैग्नेसेमिया
- कुछ दवाएं
कैल्शियम की कमी के लक्षण क्या होते है? – What are the symptoms of calcium deficiency?
शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नहीं होते है. हालांकि, कंडीशन के विकसित होने पर लक्षण दिखने लगते है. गंभीर लक्षणों में –
- भ्रम
- डिप्रेशन
- मांसपेशियों की ऐंठन
- हड्डियों का आसानी से फ्रैक्चर होना
- नाखून का कमजोर या आसानी से टूट जाना
- हाथ, पैर, चेहरा सुन्न होना या टिंगलिंग
- याददाश्त खोना
- बालों की स्लो ग्रोथ
- पतली स्किन
- दौरे पड़ना
- नाजुक त्वचा
कैल्शियम की कमी का निदान कैसे होता है? – How is calcium deficiency diagnosed?
डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जो निम्न चीज़े पूछ सकते हैं –
- मेडिकल हिस्ट्री
- कैल्शियम की कमी की फैमिली हिस्ट्री
- ब्लड सैंपल जिससे खून में कैल्शियम की कमी का पता लगाया जा सके
- टेस्ट में रेंज से कम कैल्शियम लेवल होने पर इसकी कमी की पुष्टि हो सकती है.
कैल्शियम की कमी का इलाज कैसे होता है? – What is the treatment of calcium deficiency?
- इसका इलाज डाइट में कैल्शियम को शामिल करके किया जा सकता है.
- लेकिन बिना सलाह के कैल्शियम सप्लीमेंट का सेवन करने से गंभीर समस्याएं जैसे किडनी स्टोन आदि हो सकते है.
- कैल्शियम सप्लीमेंट में कैल्शियम कार्बोनेट, कैल्शियम सिट्रेट, कैल्शियम फास्फेट आदि होते है.
- इसके सप्लीमेंट तरल, टैबलेट और चबाने वाले रूप में उपलब्ध है.
- जिन मामलों में दवाओं, डाइटरी बदलाव या सप्लीमेंट आदि से कैल्शियम की कमी दूर नहीं होती, तब रेगुलर इंजेक्शन भी दिए जा सकते है.
- ट्रीटमेंट का रिजल्ट आपको पहले हफ्ते से ही महसूस होने लगेगा.
- गंभीर कमी के मामलों में एक से तीन महीने के इंटरवल पर निगरानी की जरूरत पड़ती है.
कैल्शियम की कमी होने पर क्या संभावित जटिलताएं हो सकती है? – What are the possible complications of calcium deficiency?
- आंखों को नुकसान
- असामान्य हार्टबीट
- ऑस्टियोपोरोसिस
- हड्डियों का फ्रैक्चर होना
- चलने में परेशानी
- स्पाइनल फ्रैक्चर
- इलाज न मिलने पर जान की हानि भी हो सकती है.
कैल्शियम की कमी से बचाव कैसे किया जा सकता है? – How can calcium deficiency be prevented?
- कैल्शियम को रोजाना डाइट में शामिल करके बचाव किया जा सकता है.
- ध्यान रहें कि हाई कैल्शियम फ़ूड्स जैसे डेयरी प्रोडक्ट आदि सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट में भी हाई होते है.
- लो फैट या फैट फ्री विकल्प चुनने से हाई कोलेस्ट्रॉल और हार्ट रोग का रिस्क कम किया जा सकता है.
- आप रोजाना की जरूरत की ⅓ से लेकर ¼ कैल्शियम की जरूरत को दूध और दही के सेवन से पूरा कर सकते है.
- जबकि 51 से अधिक आयु वाले महिलाओं और पुरुषों को 2 हजार एमसीजी प्रति दिन कैल्शियम चाहिए होता है.
- वहीं 19 से लेकर 50 साल आयु वाले महिलाओं और पुरुषों को 2500 एमसीजी प्रति दिन कैल्शियम की जरूरत पड़ती है.
- अगर आपको कैल्शियम की कमी होने का रिस्क है तो डॉक्टर द्वारा आपको डाइट में सप्लीमेंट या मल्टीविटामिन लेने की सलाह दी जा सकती है.
विटामिन डी
- विटामिन डी बहुत जरूरी है क्योंकि इसी के कारण खून में कैल्शियम अवशोषण तेजी से होता है.
- रोजाना की जरूरत के विटामिन डी की मात्रा के बारे में डॉक्टर से सलाह ले उपयोग किया जाना चाहिए.
- कैल्शियम का अवशोषण बढ़ाने के आप डाइट में विटामिन-डी रिच फ़ूड्स को शामिल कर सकते है.
- सूर्य की रोशनी से शरीर में विटामिन डी ट्रिगर हो जाता है.
लाइफस्टाइल बदलाव
- शरीर में हेल्दी विटामिन डी और कैल्शियम के लेवल बनाए रखने के लिए लाइफस्टाइल बदलाव जरूरी है.
- इससे बेहतर हड्डियों की हेल्थ में मदद मिलती है.
- साथ ही शरीर का हेल्दी वजन बनाए रखना.
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करना. (जानें – विटामिन की कमी के बारे में)
- शराब या धूम्रपान के सेवन से बचना शामिल है.
References –
- https://ods.od.nih.gov/factsheets/calcium-HealthProfessional/
- https://health.gov/our-work/food-nutrition/previous-dietary-guidelines/2015
- https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/hypoparathyroidism/symptoms-causes/syc-20355375
- https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/nutrition-and-healthy-eating/in-depth/calcium-supplements/art-20047097
- https://www.merckmanuals.com/professional/pediatrics/metabolic,-electrolyte,-and-toxic-disorders-in-neonates/neonatal-hypocalcemia