इस लेख में आप जानेंगे पिंडली में दर्द के कारण, इलाज और बचाव के बारे में –

पिंडली में दर्द के कारण क्या होते है? – What are the causes of calf pain in hindi?

  • पिंडली में दो मांसपेशियाँ होती है – गैस्ट्रोस्नेमियस और सोलेअस.
  • यह एड़ी से सीधे स्नायुजाल से जुड़ती है. (जानें – पैरों में ऐंठन के घरेलू उपायों के बारे में)
  • किसी भी पैर के मोशन के लिए इस मांसपेशी की जरूरत पड़ती है.
  • पिंडली का दर्द एक से दूसरे इंसान में अलग हो सकता है लेकिन यह आमतौर पर हल्का, ऐंठन या तेज़ दर्द, कुछ मामलों में पैर के निचले हिस्से में कठोरता हो सकती है.
  • निम्न लक्षण दिखने पर अधिक गंभीर कंडीशन हो सके है जैसे सूजन, पिंडली की स्किन का पीला पड़ना.
  • टिंगलिंग, पैर और पिंडली की नसों की सूजन, कमज़ोर पैर, फ्लूइड रिटेंशन, लालिमा आदि हो सकते है.
  • पिंडली में दर्द के साथ ऐसे लक्षण दिखने पर डॉक्टर से बात कर सलाह लेनी चाहिए.

डायबिटीक न्यूरोपैथी

  • यह एक ऐसी कंडीशन है जिसमें हाथ, पैर, तलवो की नसों को क्षति होकर नुकसान होता है.
  • यह कंडीशन डायबिटीज की आम जटिलताओं के कारण जिसमें हाई ब्लड शुगर, नसों की इंफ्लामेशन या जेनेटिक फ़ैक्टर शामिल होते है.
  • इसके अन्य लक्षणों में तेज़ दर्द, मांसपेशियों की ऐंठन, सुन्न होना, संतुलन और समन्वय का नुकसान, मांसपेशियों की कमज़ोरी आदि.
  • इसके अलावा आपकी तापमान में बदलाव महसूस करने या दर्द का पता लगने की क्षमता प्रभावित हो जाती है.

अकिलिस टेंडिनाइटिस

  • अकिलिस टेंडिनाइटिस के होने का कारण में अधिक उपयोग, तनाव या ऐंठन होती है.
  • सामान्य लक्षणों में टेंडन की इंफ्लामेशन, पैर के पिछले हिस्से में दर्द, सूजन, सीमित मोशन होना शामिल है.
  • इसके सरल घरेलू उपायों में रेस्ट, बर्फ की सिकाई और पैर को थोड़ा ऊंचा रखना शामिल है.

डीप वेन थ्राम्बोसिस

  • हाथ या पैर की डीप वेन में ब्लड क्लॉट बनने के कारण डीप वेन थ्राम्बोसिस हो जाता है.
  • इसके होने के कारणों में – लंबे समय तक बैठे रहना, दवाओं की जटिलताएं, स्मोकिंग आदि शामिल है.
  • इसके लक्षणों में सूजन, पैरों की ऐंठन, स्किन के रंग में बदलाव, प्रभावित एरिया में नसों का दिखना, पिंडली में गर्मी महसूस करना शामिल है. (जानें – पैरों के तलवों में जलन)
  • ऐसे लक्षण विकसित होने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए.

गुमचोट

  • किसी ट्रॉमा, गिरना, कटना या घूंसा लगना आदि के कारण यह हो सकता है.
  • इसमें स्किन के नीचे चोट लगने के कारण स्किन का रंग बदल जाता है.
  • इस तरह की चोट अपने आप ठीक हो जाती है.
  • बिना चोट के बार बार कटना या नील आदि पड़ने पर डॉक्टर से बात कर सलाह ली जानी चाहिए.

मांसपेशियों में तनाव

  • इसके होने के कारणों में थकान, ज्यादा उपयोग या मांसपेशियों का सही उपयोग न कर पाने के कारण होता है.
  • उदाहरण के लिए नई एक्सरसाइज पैटर्न या दौड़ना, साईकिल चलाना, तैरना, पॉवरलिफ्टिंग आदि के कारण मांसपेशियों में तनाव आ सकता है. (जानें – दौड़ने के दौरान होने वाली इंजरी से बचाव के तरीके)
  • मांसपेशियों में तनाव आपको अचानक से दर्द शुरू होना, फूलना और सीमित गतिविधि कर पाना होता है.
  • हल्के से लेकर मध्यम तक ऐंठन के लिए बर्फ, हीट, एंटी इंफ्लामेटरी दवाएं ली जा सकती है.
  • गंभीर मांसपेशी तनाव या टियर के मामलों में मेडिकल इलाज जरूरी होता है.

कम्पार्टमेंट सिंड्रोम

  • जब मांसपेशियों के अंदर काफी बड़ी मात्रा में प्रेशर बन जाता है तो उस कंडीशन को कम्पार्टमेंट सिंड्रोम कहा जाता है.
  • आमतौर पर इसका अनुभव एरिया पर इंजरी, फ्रैक्चर या हड्डी टूटने के कारण होता है.
  • कम्पार्टमेंट सिंड्रोम के लक्षणों में सुन्न होना, आराम या दवा लेने के बाद भी गंभीर दर्द कम न होना, प्रभावित एरिया को हिलाने में परेशानी, प्रभावित मांसपेशियों का गुच्छा एक जगह दिखना हो सकता है. 

साइटिका

  • पैरों के निचले हिस्से घुटनों व मांसपेशियों के कंट्रोल करने वाली साइटिक नसों से संबंधित मुद्दों को साइटिका कहा जाता है.
  • इसके कारण दर्द, सुन्न होना, कमर के निचले हिस्से में टिंगलिंग जो पिंडली से लेकर पैर के निचले हिस्से की मांसपेशियों तक को प्रभावित करती है. (जानें – कमर के निचले हिस्से में दर्द से राहत पाने के तरीके)
  • साइटिका के गंभीर मामलों में इलाज करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

मांसपेशियों में ऐंठन

  • यह अचानक, पैरों की मांसपेशियों के दर्द के साथ होता है.
  • यह कुछ समय या देर तक रह सकता है.
  • ऐंठन होना आम है जो अधिक एक्सरसाइज या कोई नई एक्सरसाइज करने के कारण हो सकता है.
  • इसके अलावा ऐंठन का कारण डिहाइड्रेशन, मांसपेशी इंजरी, मिनरल की कमी शामिल है.
  • इसके गंभीर कारणों में किडनी फेलियर, डायबिटीज, शराब पीना, हाइपोथायरॉइडिज्म, गंभीर पेरिफेरल वस्कुलर रोग हो सकते है.
  • पैरों की ऐंठन के इससे भी अधिक मामलों में शरीर के भाग तक सीमित ब्लड फ्लो और अन्य गंभीर मेडिकल समस्या इसका कारण बन सकती है.

पिंडली में दर्द के घरेलू उपाय – home remedies for calf pain relief in hindi

पिंडली में दर्द का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है. लेकिन अधिकतर कारणों का इलाज घर पर किया जा सकता है. जबकि ज्यादा उपयोग या हल्के से मध्यम ट्रॉमा के कारण पिंडली में दर्द होने पर निम्न उपाय किए जा सकते है –

  • सिकाई – पैरों को थोड़ा ऊंचा करके रखना चाहिए और बर्फ से सिकाई करनी चाहिए. इसके अलावा आराम बहुत जरूरी है. 20 मिनट के अंतराल पर बर्फ लगाई जानी चाहिए.
  • ओटीसी दवाएं – पिंडली में दर्द को कम करने के लिए ओटीसी दर्द निवारक दवाएं भी ली जा सकती है.
  • स्ट्रैचिंग – पिंडली के दर्द को कम करने के लिए हल्की फुल्की स्ट्रैचिंग आपकी मदद कर सकती है. इसके लिए सीधे काल्फ स्ट्रैच आदि किए जा सकते है.

पिंडली में दर्द से बचाव

एक्सरसाइज को धीरे धीरे बढ़ाएं

  • एक्सरसाइज को एकदम से बढ़ाने या ज्यादा करने से इंजरी हो सकती है.
  • इसलिए एक्टिविटी के लेवल को धीरे धीरे बढ़ाकर इंजरी से बचा जा सकता है.

स्टैचिंग 

  • पिंडली के दर्द से बचाव के बेहतर तरीकों में से एक स्ट्रैचिंग करना है.
  • जिसके लिए वर्कआउट से पहले और बाद में स्ट्रैचिंग जरूर करें जिससे मांसपेशियों को मजबूत और रिपेयर करने में मदद मिलें.
  • साथ ही इससे भविष्य में चोट लगने से खुद को बचाया जा सकता है.
  • सबसे जरूरी है कि वर्कआउट में दो सेट के बीच रेस्ट जरूर लें जिससे मांसपेशी को रिपेयर और ग्रोथ में मदद मिलें.

पानी की कमी न होने दें

  • शरीर में पानी की कमी होने के कारण मांसपेशियों की ऐंठन हो सकती है.
  • ऐसे में शरीर में पानी की कमी न होने दें.

References –

 

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