क्या होते है एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं के मुद्दे – What are the concerns of HIV positive women in hindi?

एचआईवी के शुरूआती लक्षण हल्के और आसानी से पहचान लिए जाने वाले होते है. लेकिन बिना किसी नोटिस किए गए लक्षण वायरस को एक से दूसरे इंसान में जा सकते है. इसलिए लोगों को एचआईवी के बारे में जानकारी रखना जरूरी होता है.

ऐसी काफी सारी महिलाएं है जिनको पता नही होता है कि महिलाओं की तुलना में पुरूषों में एचआईवी के लक्षण अलग होते है. हालांकि पुरूष और महिलाओं में एचआईवी के काफी सारे लक्षण एक जैसे होते है लेकिन सारे लक्षण ऐसे नही होते है. महिलाओं में दिखने वाले एचआईवी के लक्षण जिसमें से कुछ कॉमन होते है और कुछ सिर्फ महिलाओं में –

ग्लैंड की सूजन

  • हमारे पूरे शरीर जैसे गर्दन, सिर के पीछे, बगल, ग्रोइन एरिया में लिम्फ नोड्स होती है.
  • इम्यून सिस्टम का पार्ट होने के कारण लिम्फ नोड्स शरीर के अंदर इम्यून सेल्स को स्टोर करके इंफेक्शन से बचाती है.
  • एचआईवी के फैलने पर इम्यून सिस्टम तेजी से काम करने लगता है.
  • इस कारण लिम्फ नोड्स बड़े हो जाते है जिसे ग्लैंड की सूजन कहा जाता है.
  • ग्लैंड की सूजन कई महीनों तक रह सकती है और इसे एचआईवी का पहले लक्षण के रूप में जाना जाता है.

फ्लू जैसे लक्षण

  • बुखार
  • रैश
  • लिम्फ ग्लैंड की सूजन
  • सिर दर्द
  • एनर्जी कम रहना

कुछ लोगों में यह लक्षण कुछ हफ्तों के अंदर चले जाते है जबकि कुछ मामलों में लक्षण दिखने में 10 साल से ज्यादा का समय लग सकता है.

बुखार और रात को पसीना आना

  • हल्का बुखार बने रहना एचआईवी पीड़ितों में कॉ़मन है.
  • शरीर में सबकुछ सही नही होने पर बुखार हो जाता है.
  • जिन लोगों को एचआईवी पॉजिटिव होने का पता नही होता है वह इन्हें इग्नोर कर देते है.
  • कुछ मामलों में रात को पसीना आने के कारण नींद में परेशानी हो सकती है.

स्किन रैश और छाले

  • एचआईवी से पीड़ित अधिकतर लोगों को स्किन समस्याएं हो जाती है.
  • स्किन पर रैश होना इसके आम लक्षणों मे से एक है.
  • एचआईवी से जुड़े हुए कई प्रकार के स्किन रैश हो सकते है.
  • यह एचआईवी या किसी दूसरी समस्या के कारण हो सकते है.
  • रैश होने पर डॉक्टर से बात कर सलाह ली जानी चाहिए.
  • मुँह के अंदर छाले या कटाव हो जाना या जनानंगो, गुदा आदि पर त्वचा की समस्या एचआईवी से ग्रसित लोगों में होता है.
  • सही दवाओं के साथ स्किन समस्याओं को गंभीर होने से रोका जा सकता है.

पेल्विक इंफ्लामेटरी रोग

  • यह यूटेरस, फैलोपियन ट्यूब और ओवरी पर होने वाला इंफेक्शन है.
  • एचआईवी पीड़ित महिलाओं में इस इंफेक्शन का इलाज बहुत मुश्किल होता है.
  • लक्षण सामान्य से थोड़े लंबे समय तक रहने के अलावा जल्दी से वापस आ सकते है.

इंफेक्शन

  • एचआईवी के कीटाणुओं से हमारे इम्यून सिस्टम के लिए लड़ना काफी मुश्किल होता है.
  • ऐसे में ग्रसित व्यक्ति को निमोनिया, टीबी, ओरल या वेजाइनल कैंडिडियासिस हो सकता है.
  • एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं में यीस्ट और बैक्टीरियल इंफेक्शन होना काफी आम है.
  • साथ ही इसका इलाज करना बहुत मुश्किल होता है.
  • एचआईवी संक्रमित लोगों को स्किन, आंख, फेफड़े, दिमाग, किडनी, पाचन तंत्र का इंफेक्शन हो सकता है.
  • इसके अलावा एचआईवी के कारण फ्लू के उपचार में भी काफी परेशानी आती है.
  • दवाओं के साथ अच्छी हाइजिन रखना इससे बचाव का एकमात्र कदम है.

मासिक धर्म में बदलाव

  • एचआईवी पीड़ित महिलाओं को पीरियड्स साईकल में बदलाव का अनुभव करना पड़ता है.
  • उनके पीरियड्स सामान्य से कम या ज्यादा होने के अलावा काफी सारे मामलों में नही होते है.
  • एचआईवी पीड़ित महिलाओं में गंभीर प्रीमेंस्ट्रअल लक्षण भी गंभीर होते है.

एसटीआई

  • सेक्सुअली ट्रांसमिट इंफेक्शन से ग्रसित लोगों में एचआईवी के लक्षण और भी खराब हो सकते है.
  • एचपीवी के कारण जनानंग दाद होने की तीव्रता अधिक हो सकती है.
  • साथ ही ऐसे लोगों का शरीर उपचार पर रिस्पोंस नही करता है. 

एचआईवी और एड्स के विकसित लक्षण

  • निगलने में परेशानी
  • वजन कम होना
  • मांसपेशियों में दर्द
  • जोड़ों में दर्द
  • सांस पूरी न आना
  • गंभीर सिरदर्द
  • क्रोनिक खांसी
  • डायरिया
  • मतली और उल्टी
  • कोमा
  • भ्रम
  • याद्दाश्त कमजोर होना

एचआईवी का रिस्क कम करना – reducing the risk of hiv in hindi

  • एचआईवी हमारे शरीर में मौजूद फ्लूइड से फैलता है.
  • इसके फैलने का कारण सेक्स या एक ही सुई का प्रयोग कई लोगों पर करना हो सकता है.
  • इससे बचने के लिए पहले से इस्तेमाल की जा चुकी नीड्ल का उपयोग न करें.
  • सेक्स करते समय कंडोम का प्रयोग करें.
  • दोनों में से किसी एक पार्टनर के एचआईवी पॉजिटिव होने वाले के दवाओं का सेवन करने पर एचआईवी फैलने के रिस्क कम हो जाते है.

अंत में

किसी भी समस्या आदि के होने पर डॉक्टर से मिलकर सलाह ली जानी चाहिए. साथ ही अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री आदि के बारे में भी डॉक्टर को बताया जाना चाहिए. जरूरत पड़ने पर वह कुछ टेस्ट आदि करवा सकते है जिसके बाद उचित उपचार दिया जाता है.

References –

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