भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली ‘आयुर्वेद’ जिसका उपयोग कई हजारों वर्षों से स्वास्थ समस्याओं के लिए किया जाता रहा है. आयुर्वेदिक उपचार हर्बल कंपाउंड, डाइटरी गाइडलाइंस और कुछ एक्सरसाइज के साथ करने पर काफी प्रभावी हो सकता है.

ऐसी ही कुछ समस्याओं में से एक इरेक्टाइल डिसफंक्शन होती है जिसमें किसी पुरूष को सेक्स के दौरान इरेक्शन (खड़ा रखने) बनाए रखने में परेशानी होती है.

आज इस लेख में हम आपको बताने वाले है इरेक्टाइल डिसफंक्शन का आयुर्वेदिक इलाज –

इरेक्टाइल डिसफंक्शन का आयुर्वेदिक इलाज – erectile dysfunction ka ayurvedic upchar

सेक्स करते समय पेनिस का इरेक्शन (खड़ा रखना) बनाए रखने में परेशानी होती है. 40 से अधिक आयु वाले लोगों में यह समस्या आम हैं. 

ईडी के इलाज में हाल में चल रही मानसिक परेशानियाँ और वजह के कारण सेक्सुअल फंक्शन प्रभावित हो सकता है. रिसर्च के अनुसार इरेक्टाइल डिसफंक्शन के आयुर्वेदिक उपचार में निम्न दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है.

जिनसेंग

  • आयुर्वेद दवाओं में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली हर्ब है.
  • इसे जिनसेंग और अश्वगंधा भी कहा जाता है.
  • हमारे शरीर में मौजूद सेल्स को बेहतर करने और हार्मोन लेवल रेगुलेट करने में मदद करता है.
  • यह पुरूषों में स्पर्म काउंट और फर्टिलिटी बेहतर करने में मदद करती है.
  • साथ ही इस हर्ब का प्रयोग मानसिक तनाव को कम करने के लिए किया जाता है.
  • इसके उपयोग से पहले चिकित्सक से सलाह ली जानी चाहिए.

सफेद मूसली

  • इसे वजीकर्ण हर्ब के रूप में जाना जाता है.
  • कुछ अध्ययनों की माने तो यह स्पर्म बूस्ट करने में मददगार है.
  • सफेद मूसली की डोज़ दिन में 2 ग्राम ली जानी चाहिए.
  • साथ ही यह कैप्सूल या पाउडर फार्म में उपलब्ध है.

शतावरी

  • भारत, नेपाल और श्रीलंका में मिलने वाली यह हर्ब कई रोगों के उपचार में प्रयोग की जाती है.
  • शतावर की जड़ का उपयोग कई दवाओं को बनाने में भी किया जाता है. 
  • साथ ही यह बेहतर सेक्सुअल फंक्शन और हेल्थ के लिए अच्छी होती है.
  • कुछ अध्ययनों में देखने को मिला है कि शतावरी के सेवन से पुरूष प्रजनन क्षमता बेहतर होती है.
  • इसके अलावा परिसंचरण बेहतर होने और नर्व काल्म होती है.
  • ईडी से ग्रसित पुरूषों में यह सहायता करती है.
  • इसे बाज़ार से पाउडर के रूप में खरीदा जा सकता है लेकिन इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेद डॉक्टर से इसके उपयोग के बारे में सलाह जरूरी ली जानी चाहिए.

दालचीनी

  • इसे पेड़ की टहनी से निचोड़ कर निकाला जाता है.
  • यह सेक्सुअल फंक्शन को बेहतर करने के लिए काम करता है.
  • इसका उपयोग भोजन में भी किया जाता है.
  • इसके बेहतर उपयोग के बारे में जानने के लिए आयुर्वेद डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए.

योगा

  • आयुर्वेद उपचार के बेहतर नतीजों के लिए शारीरिक गति विधि करना बहुत जरूरी है.
  • रिसर्च में देखने को मिला है कि योगा करने से काफी सारे लाभ होते है.
  • योगा में स्ट्रेचिंग, मेडिटेशन और ध्यान लगाना आदि होता है.
  • जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होने और तनाव का स्तर भी कम करने में मददगार है.
  • हालांकि, तनाव के स्तर को कम करके ईडी के लक्षणों को कम किया जा सकता है.
  • इसके अलावा योग से टेस्टोस्टेरोन लेवल को हेल्दी किया जा सकता है.
  • थोड़ा समय निकालकर हल्की फुल्की एक्सरसाइज करने के लिए समय निकालना चाहिए.

आयुर्वेदिक दवाओं के रिस्क

कई अध्ययनों में आयुर्वेद दवाओं के असर पर फोकस किया जा रहा है. हालांकि इसके बारे में ज्यादा जानकारी नही है. इसके डोज़, दूसरे हर्ब के साथ इंटरैक्शन आदि के बारे में ज्यादा जानकारी नही है.

आयुर्वेद दवाओं के साथ ईडी का खुद से इलाज किया जा सकता है लेकिन इसके लिए डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए.

अंत में

ईडी का इलाज करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार काफी मददगार होता है. दूसरी दवाएं जैसे वियाग्रा के जैसे इसका कोई साइड इफेक्ट नही होता है. लंबे समय सेवन किए जाने पर इस इलाज के बारे में कुछ शंकाए है. लेकिन दूसरे हर्ब्स के साथ उपचार किए जाने पर इरेक्टाइल डिसफंक्शन का उपचार किया जा सकता है.

योग के साथ अपनी दिमागी क्षमता बेहतर करने और तनाव को कम करके भी ईडी का इलाज किया जा सकता है.

परंतु इरेक्टाइल डिसफंक्शन के इलाज शुरू करने से पहले आयुर्वेद डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए जिससे कंडीशन के आधार पर बेहतर उपचार दिया जा सकें.

References –

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