इस लेख में आप जानेंगे फैटी लिवर क्या है, इसके लक्षण, कारण, प्रकार, ट्रीटमेंट, रोकथाम, स्टेज, डाइट और घरेलू उपचार –

Table of Contents

फैटी लिवर क्या होता है? – What is fatty liver in hindi?

  • किसी भी सामान्य व्यक्ति के लीवर या कहे यकृत में कुछ फैट होना लाज़मी है.
  • लेकिन आपके लीवर के वजन का 5% -10% से अधिक होना खतरे की घंटी से कम नही है ऐसा होने पर फैटी लिवर रोग होने का खतरा रहता है. 
  • लीवर पर ज्यादा फैट जमा होने को हेपटिक स्टीएटॉसिस भी कहा जाता है जिसके होने पर कई स्वास्थ संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
  • हमारे शरीर में लीवर दूसरे सबसे बड़ा अंग होता है.
  • यह हमारे द्वारा खाएं व पिये गए सामग्री आदि में से पोषक तत्वों का अवशोषण करने और खून में से दूषक तत्वों को बाहर करके काम करता है.
  • लीवर पर ज्यादा फैट आने से लिवर पर सूजन आ सकती है जिसके चलते लिवर को नुकसान और क्षति भी हो सकती है.
  • जबकि गंभीर मामलों में यह क्षति लिवर फेलियर भी कर सकती है.
  • अधिक शराब पीने के कारण पैदा होने वाली लिवर की समस्याओं को अल्कोहोलिक फैटी लिवर रोग (AFLD) कहा जाता है. 

फैटी लिवर रोग के लक्षण क्या होते है? – What  are the symptoms fatty liver disease in hindi?

कभी-कभी लंबे समय तक फैटी लिवर के कोई लक्षण नहीं दिखते है. लेकिन आपको थकान या असहजता महसूस हो सकती है. जबकि कुछ लोगों को लिवर संकुचन, लिवर फ्रिब्रोसिस जैसे स्थितियां हो सकती है. इसके अलावा निम्न कंडीशन को नज़रअंदाज़ न करें –

  • भूख न लगना
  • वजन घट जाना
  • कमजोरी
  • थकान
  • नाक से खून बहना
  • त्वचा की खुजली
  • आंख और त्वचा का पीला पड़ना
  • पेट में दर्द
  • पेट की सूजन
  • भ्रम और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
  • पैरों की सूजन
  • पुरूषों में स्तन का विकास

फैटी लिवर होने के कारण क्या होते है? – What are the causes of fatty liver in hindi?

जब हमारा शरीर ज्यादा फैट बनाता है या फैट को ठीक से मेटाबॉलाइज़ न कर पाने पर लिवर पर फैट जमा हो जाता है. जिसमें ज्यादा फैट लिवर सेल्स के अंदर जमा होने लगता है जिससे फैटी लिवर रोग का कारण बनता है. इसके कारण कई हो सकते है –

बहुत कम मामलों में –

  • प्रेगनेंसी
  • तेज़ी से वजन कम होना
  • हेपेटाइटिस सी जैसी इंफेक्शन
  • कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट
  • जेनेटिक आदि

फैटी लिवर का पता कैसे लगाएं? – How to diagnose fatty liver in hindi?

इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर आपसे कुछ सवाल जैसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री आदि पूछने के अलावा शारीरिक जांच या टेस्ट करवा सकते है. जिसमें फैटी लिवर का संदेह होने पर –

मेडिकल हिस्ट्री

  • कही आपको या आपके परिवार में पहले किसी को लिवर रोग तो नही हुआ है.
  • आपकी लाइफस्टाइल के तरीके और शराब सेवन की मात्रा.
  • कोई अन्य हेल्थ समस्या.
  • अगर आप कोई दवा आदि का सेवन कर रहे हैं.
  • सेहत में हाल में हुए बदलाव आदि.

शारीरिक जांच

  • इसके दौरान डॉक्टर पेट को दबा कर चेक कर सकते है.
  • जिससे यह पता लग सके कि कही कोई लिवर पर सूजन तो नही है.
  • लिवर का साइज बड़ा होने पर वह महसूस कर सकते है.
  • जबकि लिवर पर सूजन होने पर वह आपको छूकर नही बता पाएंगे.

ब्लड टेस्ट

  • अधिकतर मामलों में फैटी लिवर का पता ब्लड टेस्ट के बाद ही लगता है.
  • लिवर एंजाइम को चेक करने के लिए डॉक्टर एएलटी (ALT) और एएसटी (AST) टेस्ट कराने को बोल सकते हैं.
  • इसके अलावा लिवर रोग के लक्षण होने पर भी यह टेस्ट करवाएं जाते है.
  • बढ़े हुए लिवर एंजाइम का होना लिवर की सूजन का ईशारा करता है.

इमेजिंग टेस्ट

लिवर बायोप्सी

  • गंभीर रोग होने पर उसकी गंभीरता को जानने के लिए बायोप्सी कराना जरूरी होता है.
  • लिवर बायोप्सी के दौरान डॉक्टर लिवर में नीडल डालकर टिश्यू का टुकड़ा निकालते है और जांच करते है.
  • इस प्रक्रिया में दर्द कम करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है.
  • इसे लीवर पर फैट और संकुचन का पता लग जाता है. 

फैटी लिवर रोग के प्रकार? – Types of fatty liver disease in hindi?

फैटी लिवर रोग के दो मुख्य प्रकार हैं – 

  • अल्कोहोलिक लिवर रोग (ALD)
  • नॉन अल्कोहोलिक लिवर रोग (NAFLD)

जबकि तीसरी स्थिति गर्भवती महिलाओं के लिए होती हैं, जो फैटी लिवर रोग से ग्रसित हो सकती हैं. इसके अलावा नॉन अल्कोहोलिक स्टेटोहेपेटाइटिस (NASH) और एक्युट फैटी लिवर ऑफ प्रेगनेंसी (AFLP).

अल्कोहल लिवर रोग (ALD) – alcoholic liver disease in hindi

  • जरूरत से ज्यादा शराब रोजाना पीने से आपको एएलडी हो सकता हैं. 
  • एएलडी (ALD) में जेनेटिक्स की भूमिका होती है. 
  • जेनेटिक या फैमिली हिस्ट्री होने के कारण शराब पीने पर इसकी संभावना बढ़ सकती है.
  • साथ ही जेनेटिक्स कारण के चलते शराब पीने शरीर बहुत बुरी तरह से प्रभावित हो सकता हैं.

एएलडी (ALD) के अन्य मूल कारण –

  • हेपेटाइटिस सी एएलडी का मुख्य कारण नहीं होता है, यह फैटी लिवर के कारणों में से एक है.
  • हेपेटाइटिस बी को भी फैटी लिवर का कारण माना जाता है. 
  • ऐसी कुछ दवाएं हैं जिनकी मदद से कुछ लाइफस्टाइल बदलाव कर लाभ उठाया जा सकता है.
  • शरीर में अतिरिक्त आयरन
  • मोटापा

नॉन अल्कोहोलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) – non alcoholic fatty liver disease in hindi

एनएएफएलडी (NAFLD) का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन हम जानते हैं कि यह जेनेटिक्स भी हो सकता है. एनएएफएलडी (NAFLD) मध्यम आयु वर्ग और मोटापे से ग्रस्त लोगों को होने की संभावना रहती है. इसके अलावा हाई कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह वाले रोगियों में भी इसके होने का खतरा बना रहता है.

अन्य जोखिम कारक हैं:

  • वायरल हेपेटाइटिस
  • ऑटोइम्युन बीमारी
  • तेज़ी से वजन बढ़ना
  • कुपोषण
  • गर्भावस्था के दौरान तीव्र फैटी लिवर
  • जब आप गर्भवती हों, फैट आपके लिवर में बन सकता है, जिससे इस तरह का फैटी लिवर रोग हो जाता है.
  • यह एक गंभीर स्थिति है क्योंकि यह आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए जोखिम भरा हो सकता है.
  • हार्मोनल बदलाव भी एक भूमिका निभा सकते हैं.

नॉन अल्कोहोलिक स्टेटोहेपेटाइटिस (NASH) – Nonalcoholic steatohepatitis in hindi

  • जब लिवर पर सूजन के साथ ज्यादा फैट जमा हो जाता है तो उसे इस स्थिति के रूप में जाना जाता है.
  • अगर आपको शराब पीने की आदत नही है लेकिन फिर भी लिवर पर फैट आ गया है तो उसे इसी स्थिति के रूप में जाना जाता है.
  • उपचार न किए जाने पर लिवर का संकुचन या गंभीर मामलों में सिरोसिस और लिवर फेलियर हो सकता है.

एक्युट फैटी लिवर ऑफ प्रेगनेंसी – acute fatty liver of pregnancy in hindi

  • यह बहुत कम देखने के मिलती है लेकिन गर्भवती महिला में इसका होना गंभीर जटिलता को जन्म देता है.
  • इसके हो जाने पर यह प्रेगनेंसी के तीसरे तिमाही में नज़र आता है.
  • उपचार न किए जाने पर यह शिशु और मां दोनों के स्वास्थ के लिए गंभीर समस्या बन सकता है.
  • इस कंडीशन के पता चलने पर डॉक्टर आपको जल्द से जल्द डिलीवरी के लिए बोल सकते हैं.
  • शिशु जन्म के कुछ हफ्ते बाद आपका लिवर फिर से पहले जैसा हो जाएगा.

अल्कोहोलिक स्टेटोहेपेटाइटिस (ASH) – Alcoholic steatohepatitis in hindi

  • यह एएफएलडी (AFLD) का एक प्रकार होता है जिसे अलेकोहोलिक हेपेटाइटिस भी कहते है.
  • लिवर पर ज्यादा फैट, सूजन होने के बावजूद शराब का अधिक सेवन करने से यह स्थिति जन्म लेती है.
  • इलाज न किए जाने पर लिवर संकुचन, लिवर सिरोसिस या लिवर फेल हो सकता है.
  • इसके इलाज के लिए जरूरी है कि शराब का सेवन बंद कर दिया जाए. 

फैटी लिवर रोग का इलाज – fatty liver disease treatment in hindi

फैटी लिवर रोग के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है.लेकिन कुछ लाइफस्टाइल बदलाव कर इसे ठीक किया जा सकता है. जिसके लिए डॉक्टर आपको – 

जटिलताएँ बढ़ने पर डॉक्टर आपको –

  • लाइफस्टाइल बदलाव
  • दवाएं
  • सर्जरी

सिरोसिस होने के कारण लिवर फेलियर जैसी कंडीशन पैदा हो सकती है जिसके कारण लिवर ट्रांस्पलांट तक की जरूरत पड़ सकती है.

फैटी लिवर की रोकथाम – fatty liver prevention in hindi

फैटी लिवर की स्टेज – Stages of fatty liver in hindi

  • सिंपल फैटी लिवर – लिवर पर अधिक फैट जमा होना.
  • स्टेटोहेपेटाइटिस – अधिक फैट के साथ – साथ लिवर पर सूजन का आ जाना.
  • फिब्रोसिस – लिवर पर सूजन के कारण संकुचन का होना.
  • सिरोसिस – लिवर के संकुचन का फैल जाना जिस कारण से लिवर फेल हो जाने का खतरा बढ़ जाता है.

हालांकि इन स्थितियों को शुरूआत में पता लगने पर ठीक किया जा सकता है. जिसके लिए डॉक्टर द्वारा बताए गए प्लान को फॉलो करना चाहिए.

फैटी लिवर के लिए डाइट – fatty liver diet in hindi 

लिवर पर फैट के मामलें में डॉक्टर आपको अपनी डाइट में बदलाव कर स्थिति का उपचार करने की सलाह दे सकते है जिससे रिस्क को कम किया जा सकें. इसमें –

  • प्लांट आधारित डाइट का पालन करना होता है जिसमें फल, सब्जियां और पूरण अनाज शामिल होता है.
  • रिफांइड कार्ब्स जैसे – मिठाई, सफेद चावल, सफेद ब्रेड आदि का सीमित सेवन करना होता है.
  • सैचुरेटिड फैट जैसे – लाल मांस या अन्य जानवरों से बने प्रोडक्ट.
  • ट्रांस फैट के सेवन से बचना चाहिए.
  • शराब का सेवन नही करना चाहिए.

फैटी लिवर का खतरा किन लोगों को है? – Who are the risk of fatty liver in hindi?

फैटी लिवर रोग का घरेलू उपचार – How to reduce fatty liver home remedies in hindi?

इसके उपचार की शुरूआत का सबसे पहला कदम है लाइफस्टाइल बदलाव का होना जिससे –

कुछ अध्ययनों के अनुसार विटामिन ई सप्लीमेंट का सेवन करने से लिवर का बचाव और इलाज होता है. हालांकि इस बात को लेकर उनके पास भी स्पष्ट सबूत नही है. लेकिन ज्यादा विटामिन ई का सेवन करने से कुछ हेल्थ रिस्क होने का खतरा अधिक हो जाता है.

किसी भी नए सप्लीमेंट या कोई घरेलू उपचार शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी होता है.

जरूरी बातें

काफी सारे मामलों में लाइफस्टाइल बदलाव करके फैटी लिवर की समस्या को ठीक किया जा सकता है. ऐसा करने से लिवर को नुकसान और संकुचित होने से बचाया जा सकता है. 

जबकि गंभीर स्थितियों में सिरोसिस हो सकता है जिसके चलते लिवर कैंसर और लिवर फेल आदि होने पर लिवर ट्रांसप्लांट जैसी कंडीशन देखने को मिल सकती है.

इसलिए बेहतर है कि अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर रखें और समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

References –

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