इस लेख में आप जानेंगे हृदय रोगों के बारे में, इनके प्रकार, लक्षण, कारण, रिस्क फैक्टर, निदान, इलाज और बचाव –

Table of Contents

हृदय रोग किसे कहते है? – What is heart disease in hindi?

हार्ट रोग के कितने प्रकार होते है? – What are the different types of heart disease in hindi?

हृदय रोग में कार्डियोवस्कुलर संबंधी समस्याओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है. जिसमें कई रोग और कंडीशन हृदय रोग की केटेगरी में आती हैं. कार्डियोवस्कुलर रोग को हार्ट कंडीशन के रूप में जाना जाता है जिसमें ब्लड वैस्लस प्रभावित होती है. (जानें – बैक्टीरिया बनाम वायरल इंफेक्शन के बीच क्या होता है अंतर)

हृदय रोग के प्रकारों में निम्न शामिल हैं –

  • अतालता – हार्ट बीट की असामान्यता को इस कंडीशन के रूप में जाना जाता है.
  • हार्ट इंफेक्शन – बैक्टीरिया, वायरस या पैरासाइट के कारण हार्ट इंफेक्शन होता है.
  • कार्डियोमायोपैथी – इस कंडीशन के कारण हार्ट की मांसपेशियां हार्ड या कमजोर विकसित होती है.
  • एथेरोस्क्लेरोसिस – आर्टरिज के सख्त होने को इस कंडीशन के रूप में जाना जाता है.
  • जन्मजात हृदय दोष – जन्म के समय हार्ट में असामान्ता के कारण दिल में छेद होना.
  • कोरोनरी आर्टरी डिजीज – हार्ट की आर्टरिज में प्लेग जमा होने क कारण यह कंडीशन होती है.

हार्ट रोग के लक्षण क्या है? – What are the symptoms of heart disease in hindi?

अलग प्रकार की कंडीशनों में लक्षण भिन्न हो सकते है –

अतालता

  • इसमें हार्टबीट तेज या स्लो, इसके प्रकार पर निर्भर करती है.
  • चक्कर आना
  • चेस्ट में दर्द
  • बेहोशी
  • धीमी नाड़ी
  • सिर घूमना

हार्ट इंफेक्शन

कार्डियोमायोपैथी

एथेरोस्क्लेरोसिस

  • इसमें ब्लड सप्लाई बहुत कम हो जाती है.
  • साथ ही सीने में दर्द
  • सांस लेने में समस्या
  • पींठलियां सुन्न होना
  • दर्द होना
  • हाथ, पैर कमजोर होना

जन्मजात हृदय दोष

  • गर्भ में शिशु के विकास के दौरान हार्ट की समस्या को जन्मजात हृदय दोष कहा जाता है.
  • सूजन होना
  • स्किन नीली होना
  • थकान
  • एनर्जी कम होना
  • सांस लेने में परेशानी
  • हार्टबीट असामान्ता

कोरोनरी आर्टरी डिजीज

  • सीने में दर्द और असहजता
  • सांसे पूरी न आना
  • मतली
  • अपच
  • गैस
  • चेस्ट पर प्रेशर

महिलाओं में हार्ट रोग के लक्षण क्या होते है? – What are the symptoms of heart disease in women in hindi?

  • विशेष रूप से कोरोनरी आर्टरी रोग और अन्य कार्डियोवस्कुलर रोगों के संबंध में, महिलाएं अक्सर पुरुषों की तुलना में हृदय रोग के विभिन्न संकेतों और लक्षणों का अनुभव करती हैं.
  • महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण अन्य कंडीशन जैसे डिप्रेशन, मेनोपोज और घबराहट से भी भ्रमित हो सकते हैं.

महिलाओं में हार्ट रोग के आम लक्षणों में –

हार्ट रोग के कारण क्या होते है? – What causes heart disease in hindi?

हृदय रोग बीमारियों और स्थितियों का एक संग्रह है जो हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बनता है. प्रत्येक प्रकार के हृदय रोग उस स्थिति के लिए पूरी तरह से अद्वितीय कुछ के कारण होता है. एथेरोस्क्लेरोसिस और कोरोनरी आर्टरी रोग के परिणाम स्वरूप आर्टरिज में प्लेग बिल्डअप से होता है. इसके अलावा अलग प्रकार की कंडीशन के भिन्न कारण होते है –

अतालता

  • हाई ब्लड प्रेशर
  • दवाएं
  • सप्लीमेंट
  • कोरोनरी आर्टरी रोग
  • ज्यादा शराब पीने
  • कैफीन का अधिक उपयोग
  • डायबिटीज
  • तनाव
  • घबराहट
  • जन्मजात हार्ट में छेद

हार्ट इंफेक्शन

  • बैक्टीरिया
  • पैरासाइट्स
  • वायरस
  • समय पर इलाज शुरू न करने पर यह शरीर को नुकसान पहुँचा सकते है.

कार्डियोमायोपैथी

  • हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायपैथी – इस तरह के हार्ट रोग में हार्ट की मांसपेशियां पतली हो जाती है. अधिकतक मामलों में यह अनुवांशिक होता है.
  • रिस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी – इस प्रकार की कार्डियोमायोपैथी के होने का कारण स्पष्ट नहीं है. इसमें हार्ट वॉल्स कठोर हो जाती है. संभावित कारणों में स्कार टिश्यू या असामान्य प्रोटीन बिल्डअप हो सकता है.
  • डाइलेटिड कार्डियोमायोपैथी – इस प्रकार के होने के कारण साफ नहीं है. इसमें हार्ट कमजोर हो जाता है. यह हार्ट में पहले हुए किसी नुकसान के चलते हो सकता है जैसे ड्रग, इंफेक्शन, हार्ट अटैक आदि. इसके अलावा यह अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के लेवल के चलते भी हो सकता है.

जन्मजात हृदय दोष

  • यह तब होती है जब शिशु, मां के गर्भ में विकसित हो रहा होता है.
  • कुछ दिल के छेद गंभीर हो सकते है जिसका निदान कर शुरूआत में ही इलाज किया जा सकता है.
  • जबकि कुछ का कई सालों तक निदान ही नहीं होता है.
  • आयु बढ़ने के साथ ही आपके हार्ट की बनावट भी बदल सकती है.
  • जिसके कारण जटिलताएं और समस्याएं हो सकती है.

हार्ट रोग के रिस्क फैक्टर क्या है? – What are the risk factors for heart disease in hindi?

डायबिटीज से ग्रसित लोगों का हार्ट रोग का रिस्क अधिक होता है क्योंकि अधिक ब्लड ग्लूकोज लेवल के कारण निम्न रिस्क बढ़ जाते है –

  • कोरोनरी आर्टरी रोग
  • स्ट्रोक
  • हार्ट अटैक
  • एंजिना

रिस्क फैक्टर जिनको आप कंट्रोल नहीं कर सकते है –

  • सेक्स
  • आयु
  • फैमिली हिस्ट्री आदि

हार्ट रोग का निदान कैसे होता है? – How is heart disease diagnosed in hindi?

डॉक्टर आपको कई तरह के टेस्ट आदि करवाने के लिए बोल सकते है जिससे हार्ट रोग का निदान किया जा सके. कुछ टेस्ट आपके हार्ट रोग के संकेत दिखने से पहले करवाएं जा सकते है. जबकि अन्य टेस्ट विकसित हो रहे लक्षणों के कारण को देखने के लिए किए जाते है.

शारीरिक परिक्षण और ब्लड टेस्ट

  • सबसे पहले डॉक्टर द्वारा शारीरिक जांच की जाएगी जिसमें अनुभव किए जा रहे लक्षणों के बारे में पूछा जाएगा.
  • जिसके बाद आपकी मेडिकल और रोग संबंधी फैमिली हिस्ट्री पूछी जाएगी.
  • हार्ट रोगों में जेनेटिक्स बहुत अहम रोल अदा करते है.
  • नियमित ब्लड टेस्ट जरूरी होते है जिससे इंफ्लामेशन के संकेत और कोलेस्ट्रोल लेवल देखने को मिलता है. 

नॉनइंवेसिव टेस्ट

  • कैरोटिड अल्ट्रासाउंड
  • स्ट्रेस टेस्ट
  • इको
  • ईसीजी
  • सीटी स्कैन
  • हार्ट का एमआरआई
  • टिल्ट टेबल टेस्ट
  • होल्टर मॉनिटर

इंवेसिव टेस्ट

  • कोरोनरी एंजियोग्राफी
  • कार्डियक कैथराइजेशन
  • इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी अध्ययन

हार्ट रोग के लिए क्या इलाज उपलब्ध है? – What treatments are available for heart disease in hindi?

हृदय रोग के लिए उपचार काफी हद तक हृदय रोग के प्रकार पर निर्भर करता है और साथ ही यह कितना उन्नत है. उदाहरण के लिए, यदि आपको दिल का संक्रमण है, तो आपके डॉक्टर को एंटीबायोटिक लेने की संभावना है. 

यदि आपके पास पट्टिका बिल्डअप है, तो वे दो-आयामी दृष्टिकोण ले सकते हैं – एक दवा लिखिए जो अतिरिक्त पट्टिका बिल्डअप के लिए आपके जोखिम को कम करने में मदद कर सकती है और स्वस्थ जीवनशैली परिवर्तनों को अपनाने में आपकी सहायता करने के लिए देख सकती है. (जानें – एंटीबायोटिक्स दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में)

इसके इलाज को तीन केटेरगरी में बांटा जा सकता है –

दवाएं

  • कुछ प्रकार के हृदय रोग के इलाज के लिए दवा आवश्यक हो सकती है.
  • आपके डॉक्टर दवा लिख सकते है जो या तो आपके हृदय रोग को ठीक कर सकती है या नियंत्रित कर सकती है.
  • जटिलताओं के जोखिम को धीमा करने या रोकने के लिए दवाएं भी निर्धारित की जा सकती हैं.

लाइफ़स्टाइल बदलाव

  • हेल्दी जीवनशैली बदलाव की मदद से हार्ट रोग की रोकथाम की जा सकती है.
  • इससे कंडीशन को अधिक खराब होने से रोका जा सकता है.
  • इसमें सबसे पहले डाइट में बदलाव जरूरी होता है.
  • लो सोडियम डाइट, लो फैट डाइट के अलावा फलों और सब्जियों के सेवन से हार्ट रोग की जटिलताएं कम की जा सकती है.
  • इसके अलावा नियमित एक्सरसाइज, तंबाकू का सेवन न करने, शराब के सेवन से बचने से मदद मिलती है. 

सर्जरी

  • कुछ मामलों में हार्ट सर्जरी की जरूरत पड़ती है जिससे लक्षणों को खराब होने से रोका जा सके.
  • आर्टरी ब्लॉकेज का कारण प्लेग बिल्डअप होता है ऐसे मामलों में डॉक्टर द्वारा स्टेंट डालकर रेगुलर ब्लड फ्लो बनाए रखने में मदद मिलती है.
  • इसके होने का लक्ष्य हार्ट को अन्य किसी नुकसान से बचाना होता है.

हार्ट रोग से बचाव कैसे हो सकता है? – How can I prevent heart disease in hindi?

हार्ट रोग के कुछ रिस्क फैक्टरों को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है जैसे पारिवारिक इतिहास आदि. लेकिन निम्न तरीकों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है –

तनाव को मैनेज करने

  • क्रोनिक तनाव को हार्ट रोग के कारणों में से एक माना जाता है.
  • तनाव को मैनेज करने से हार्ट रोग का रिस्क कम हो सकता है.
  • घबराहट या तनाव के कई कारण हो सकते है तो ऐसे में जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह ले सकते है.

हेल्दी लाइफ़स्टाइल

  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करने और हेल्दी डाइट लेने से लाभ होते है.
  • हाई सैचुरेटिड फैट और नमक वाले भोजनों को खाने से बचना चाहिए.
  • रोजाना कम से कम 30 से 60 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए.
  • स्मोक करने वाले लोगों को इसे बंद कर देना चाहिए.

हेल्दी बीपी और कोलेस्ट्रोल लेवल

  • हार्ट को हेल्दी रखने के सबसे पहले कदमों में से एक ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल के लेवल का ठीक रहना है.
  • कोलेस्ट्रोल लेवल हमारे हार्ट की हेल्थ हिस्ट्री पर निर्भर करते है.
  • इसके अलावा डायबिटीज या हार्ट अटैक के मामलों में रिस्क बढ़ जाता है.

हार्ट रोग होने पर क्या जीवनशैली बदलाव जरूरी होते है? – What lifestyle changes required in heart disease in hindi?

अगर आपको हाल ही में हार्ट रोग का निदान किया गया है कि तो डॉक्टर से बात कर हेल्दी रहने के लिए जरूरी बदलावों पर बात जरूर करें. रोजाना के जीवन में बदलावों में निम्न टॉपिक पर सवाल जरूर पूछें –

  • आपके द्वारा ली जा रही दवाएं
  • कोई खास डाइट
  • हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज का इतिहास
  • हार्ट रोग की फैमिली हिस्ट्री या स्ट्रोक
  • नियमित एक्सरसाइज
  • चक्कर आना
  • तेज हार्टबीट
  • एनर्जी कम होना

डॉक्टर द्वारा निम्न टिप्स दिए जा सकते है –

  • ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने
  • रेगुलर एक्सरसाइज
  • हेल्दी खाने
  • मोटापा होने पर वजन कम करने
  • स्मोकिंग बंद करने
  • हेल्दी कोलेस्ट्रोल बनाए रखने

हार्ट रोग और हाइपरटेंशन के बीच संबंध क्या है? – What is the relation between hypertension and heart disease in hindi?

  • हाइपरटेंसिव हार्ट की बीमारी क्रोनिक हाई ब्लड प्रेशर के कारण होती है.
  • हाइपरटेंशन को आपके शरीर के माध्यम से आपके रक्त को प्रसारित करने के लिए आपके हृदय को कठिन पंप करने की आवश्यकता होती है.
  • इस बढ़े हुए दबाव से हृदय की कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं. 
  • जिसमें एक मोटी, बढ़े हुए हृदय की मांसपेशी और संकुचित धमनियां शामिल हैं.
  • जिसके बाद हृदय को रक्त पंप करने के लिए अतिरिक्त बल का उपयोग पड़ता है. 
  • जिस कारण आपके हृदय की मांसपेशियां कठोर और मोटी बन जाती है.
  • यह आपके हृदय पंप को कितनी अच्छी तरह प्रभावित कर सकता है. 
  • उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हृदय रोग धमनियों को कम लोचदार और अधिक कठोर बना सकते हैं. 
  • यह रक्त परिसंचरण को धीमा कर सकता है और आपके शरीर को ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करने से रोकता है. (जानें – खून को साफ करने वाले फ़ूड्स कौन से होते है)
  • उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हृदय रोग सबसे प्रमुख कारण है. 
  • इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप जितनी जल्दी हो सके उच्च रक्तचाप का इलाज करना शुरू कर दें.
  • उपचार जटिलताओं को रोक सकता है और संभवतः अतिरिक्त क्षति को रोक सकता है.

क्या हार्ट रोग का कोई इलाज है – Is heart disease curable in hindi?

हार्ट रोग का इलाज या इसे रिवर्स नहीं किया जा सकता है. इसके लिए जीवनभर का उपचार और निगरानी की जरूरत होती है. इसके कई लक्षण दवाओं, प्रक्रियाओं और लाइफ़स्टाइल बदलावों के साथ किए जा सकते है. इन मेथड के फेल होने पर कोरोनरी या बायपास सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है. (जानें – कम कैलोरी वाले फ़ूड्स कौन से होते है)

आपको हार्ट संबंधी रोग के किसी प्रकार के लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर से बात कर सलाह लेनी चाहिए. जिसके बाद वह पता लगाने के लिए टेस्ट आदि करवा सकते है और आपको हेल्दी रहने के लिए सलाह दे सकते हैं.

References –

 

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