एचआईवी एड्स क्या होता है, इसके कारण, लक्षण, निदान, इलाज और बचाव –

एचआईवी और एड्स क्या होता है? – What is Hiv Aids in hindi?

एचआईवी और एड्स दो अलग रोग है जिसमें –

एचआईवी क्या होता है? – What is hiv in hindi?

  • यह एक वायरस होता है जो इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है.
  • इलाज न मिलने पर समय के साथ एचआईवी के प्रभाव के कारण शरीर इम्यून सेल्स को अधिक मारने लगता है जिससे कई रोग समेत कैंसर हो सकते है.
  • एचआईवी का वायरस शरीर के फ्लूइड जैसे सीमन, स्तनदूध, ब्लड, वेजाइनल या रेक्टल फ्लूइड आदि से फैलता है.
  • यह वायरस सामान्य संपर्क, हवा या पानी से नहीं फैलता है.
  • एचआईवी का वायरस खुद से व्यक्ति के डीएनए सेल्स में प्रवेश कर जीवनभर के लिए रहता है.
  • फिलहाल मॉर्डन साइंस के पास एचआईवी एड्स के लिए कोई दवा नहीं है और इसपर रिसर्च जारी है.
  • लेकिन कुछ ट्रीटमेंट के माध्यम से एचआईवी को मैनेज किया जा सकता है.
  • बिना ट्रीटमेंट के एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के गंभीर समस्या विकसित होने का रिस्क रहता है जिसे एड्स कहा जाता है.
  • समस्या के गंभीर होकर एड्स बन जाने पर इम्यून सिस्टम इतना ज्यादा कमजोर हो जाता है कि वह दूसरे रोग, इंफेक्शन और कंडीशन के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है.

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एड्स क्या होता है? – What is aids in hindi?

  • एड्स एक ऐसा रोग है जो एचआईवी वाले रोगियों में विकसित होता है.
  • इसे एचआईवी की एडवांस स्टेज भी कहा जा सकता है.
  • ध्यान रखने वाली बात यह है कि जरूरी नहीं कि जिस व्यक्ति को एचआईवी है उसे एड्स विकसित हो.
  • जबकि बहुत ही रेयर मामलों में एचआईवी वाले रोगियों के कैंसर या निमोनिया जैसा इंफेक्शन विकसित होने के कारण एड्स हो जाता है.
  • इसके होने का कारण इम्यून सिस्टम का बहुत अधिक कमजोर होना माना जाता है.
  • एचआईवी का इलाज न कराने पर अधिकतम 10 वर्ष के भीतर एड्स हो जाता है.
  • जबकि एड्स का निदान हो जाने पर व्यक्ति का शेष जीवन अधिकतम तीन वर्ष रह जाता है.

एड्स के कारण इम्यून सिस्टम इतना कमजोर हो जाता है कि वह कई प्रकार के रोगों के प्रति बचाव नहीं कर पाता है जिसके परिणामस्वरूप कई रोग होने का रिस्क रहता है – (बैक्टीरियल बनाम वायरल इंफेक्शन के बीच क्या होता है अंतर जानें)

  • टीबी
  • निमोनिया
  • मुंह के छाले
  • हर्पस वायरस
  • मेनिंगजाइटिस
  • लिम्फोमा
  • कपोसी सारकोमा
  • टॉक्सोप्लामॉसिस
  • क्रिप्टोस्पोरिडॉसिस

एचआईवी और एड्स के बीच क्या संबंध है?

  • एड्स विकसित होने के लिए रोगी का एचआईवी होना जरूरी है.
  • अगर किसी को एचआईवी है तो जरूरी नहीं कि उसे एड्स हो जाए.

एचआईवी तीन स्टेज में विकसित होता है –

  • स्टेज 1 – एक्यूट स्टेज यह ट्रांसमिशन के पहले कुछ हफ्तों में होता है.
  • स्टेज 2 – क्रोनिक स्टेज
  • स्टेज 3 – एड्स

एचआईवी फैलने के अन्य तरीके

  • योनि या एनल सेक्स
  • एक ही इंजेक्शन सीरेंज का उपयोग करने
  • गर्भावस्था
  • डिलीवरी के दौरान शिशु में पहुंच सकता है
  • स्तनपान के दौरान
  • टैटू बनाने वाले औजार का साफ न होना
  • ब्लड, सीमन, वेजाइनल या रेक्टल फ्लूइड के कारण यह हो सकता है
  • ऑर्गन ट्रांसप्लांट
  • ब्लड ट्रांसफ्यूजन

रेयर मामलों में संक्रमित व्यक्ति के साथ –

  • ओरल सेक्स
  • घाव के संपर्क में आने
  • काटने के कारण खून वाले स्लाइवा का लगा रहना

निम्न तरीकों से एचआईवी नहीं फैलता –

  • किस करने
  • हाथ मिलाने
  • भोजन शेयर करना
  • स्किन से स्किन संपर्क
  • टावल, टॉयलेट आदि शेयर करने
  • मच्छर या किसी अन्य कीट के काटने

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एचआईवी और एड्स के कारण क्या होते है? – What are the causes of Hiv Aids in hindi?

एचआईवी के कारण

  • एचआईवी एक प्रकार के वायरस है जो अफ्रीकन चीम्पांज़ी से फैले.
  • वैज्ञानिकों की माने तो इसका कारण इंसानों द्वारा चीम्पांज़ी का संक्रमित मांस सेवन करने से फैला.
  • जिसके बाद यह एक से दूसरे इंसान में कई दशकों तक फैलते फैलते पूरी दुनिया में फैल गया.

एड्स के कारण

  • एड्स का कारण एचआईवी होता है.
  • अगर किसी व्यक्ति को एचआईवी नहीं है तो उसे एड्स नहीं हो सकता है.

एचाईवी और एड्स के लक्षण क्या होचे है? – What are the symptoms of Hiv Aids?

एचआईवी के लक्षण

  • सिरदर्द
  • थकान
  • मतली
  • डायरिया
  • उल्टी
  • लिम्फ नोड्स की सूजन
  • स्किन रैश
  • वेजाइनल यीस्ट इंफेक्शन
  • वजन कम होना
  • बुखार बने रहना
  • निमोनिया आदि

पुरूषों में एचआईवी के लक्षण

  • गोनोरिया
  • सिफलिस
  • क्लाइमैडिया
  • ट्रिकोमोनोसिस

महिलाओं में एचआईवी के लक्षण

एड्स के लक्षण

  • बुखार बने रहना
  • रात को पसीना आना
  • बहुत अधिक थकान रहना
  • स्किन रैश
  • बार-बार या क्रोनिक दस्त रहना
  • तेजी से वजन कम होना
  • न्यूरोलॉजिक समस्याएं
  • आंख, नाक, मुंह के भीतर डार्क धब्बे
  • गले, ग्रोइन, बगल की लिम्फ नॉड्स की सूजन
  • जनानंगो या गुदा, मुंह, जीभ आदि पर चाले या कटना आदि
  • घबराहट और अवसाद

एचआईवी का निदान कैसे होता है?

इसके लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते है जो एक से दूसरे व्यक्ति की स्थिति अनुसार अलग होते है –

  • एंटीजेन टेस्ट – एचआईवी संपर्क में आने के बाद रिजल्ट 18 से 45 दिन में दिख जाते है.
  • एंटीबॉडी टेस्ट – संपर्क में आने के 23 से 90 दिन के भीतर रिजल्ट दिख जाते है.
  • अन्य टेस्ट जैसे एनएटी आदि में एचाईवी के शुरूआती लक्षण देखे जाते है.

एचआईवी का इलाज क्या है? – What is the treatment of HIV in hindi?

  • इसका इलाज जितना जल्दी हो उतनी जल्दी शुरू करना चाहिए.
  • एचआईवी के इलाज में एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी का उपयोग होता है जिसमें रोजाना का दवाएं भी शामिल होती है.
  • इससे वायरस के फैलने को कम करने में मदद मिलती है.
  • इससे इम्यून सेल्स को मजबूत रखने में मदद मिलती है जिससे अन्य रोगों से बचाव करने में सहायता मिलती है.
  • एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी के कारण एचआईवी को एड्स बनने से रोकने में मदद मिलती है.
  • साथ ही दूसरों तक एचआईवी फैलने का रिस्क कम होता है.
  • हालांकि एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी बंद करने पर वायरस फिर से बढ़ सकता है. इसलिए दवाओं के बारे में डॉक्टर से जानकारी लेकर उसी अनुसार दवाएं लेते रहना चाहिए.

थेरेपी के साइड इफेक्ट

  • मतली, सिरदर्द, चक्कर आना आदि एंटीरिट्रोवायरल थेरेपी के साइड इफेक्ट में से एक है.
  • यह लक्षण समय के साथ ठीक हो जाते है.
  • गंभीर दुषप्रभावों में मुंह और जीभ की सूजन, लिवर या किडनी को नुकसान आदि हो सकते है.

एचआईवी से बचाव कैसे किया जाता है? – HIV prevention in hindi

काफी सारे रिसर्च इसपर अध्ययन कर रहे है. अभी इसके लिए कोई वैक्सीन आदि उपलब्ध नहीं है. लेकिन कुछ स्टेप्स लेकर एचआईवी ट्रांसमिशन को रोका जा सकता है –

  • सुरक्षित सेक्स – सेक्स से बचकर इसे बिल्कुल सुरक्षित किया जा सकता है. लेकिन कंडोम और अन्य सुरक्षा तरीकों से रिस्क को कम किया जा सकता है.
  • कंडोम का उपयोग – काफी सारे लोगों को इसका सही उपयोग नहीं करना आता है. एनल या ओरल सेक्स के दौरान जरूर कंडोम का उपयोग करें. 
  • एचआईवी का टेस्ट – इससे आप और आपके पार्टनर के बारे में पता करने में मदद मिलेगी.
  • एचआईवी के मामलों में समय पर दवा लें इससे वायरस फैलने का रिस्क कम हो जाता है.
  • यौन संचारित रोग – इसके लिए टेस्ट करवाना चाहिए जिससे उचित समय पर इलाज कराया जा सके.
  • अन्य तरीके जैसे एक ही सुई का उपयोग करने से बचें इससे अन्य तरह के रोग फैलने का रिस्क रहता है.

References –

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