इस लेख में आप जानेंगे जुड़वा बच्चों के जन्म से जुड़े सवाल व जुड़वा बच्चों के लिए गर्भधारण कैसे करें –

आईवीएफ के जरिए जुड़वा बच्चों गर्भधारण कैसे करें – how to conceive twins baby in hindi

  • आईवीएफ को इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन कहा जाता है जो प्रजनन में सहायता करने वाली तकनीक है.
  • इसके जरिए गर्भधारण करने के लिए मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ती है.
  • जो महिलाएं आईवीएफ का इस्तेमाल करती है उन्हें इस प्रक्रिया को करने से पहले फर्टिलिटी दवाओं की जरूरत पड़ती है.
  • ऐसा करने से उनके प्रेगनेंट होने के मौके बढ़ जाते है.
  • आईवीएफ प्रक्रिया के लिए, महिलाओं में उनके अंडे और पुरूष के स्पर्म को हटाने के बाद प्रयोगशाला में रखकर भ्रूण का विकास किया जाता है.
  • इस मेडिकल प्रक्रिया के बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है जहाम पर रहकर वह विकास कर सके.
  • भ्रूण के गर्भाशय में बने रहने के मौक़ों को बढ़ाने के लिए एक से ज्यादा भ्रूण को आईवीएफ के जरिए रखा जाता है. जिस कारण से जुड़वा बच्चों के मौके बढ़ जाते है.

फर्टिलिटी दवाओं से कैसे जुड़वा बच्चों को धारण करें – how to conceive twins with fertility drugs in hindi

  • फर्टिलिटी को बढ़ाने वाली दवाएं महिलाओं की ओवरी में अंडों की संख्या को बढ़ाकर काम करती है.
  • अगर ज्यादा अंडे बनते है तो एक से अधिक अंडे के रिलीज होने और फर्टिलाइज़ करने के मौके ज्यादा होते है.
  • जिससे जुड़वा बच्चों के होने के मौके बढ़ जाते है.

इसके बारे में अधिक जानने के लिए आईवीएफ डॉक्टरों से सलाह ली जानी चाहिए जिससे वह आपकी कंडीशन के आधार पर उचित इलाज उपलब्ध कराएंगे. साथ ही आपको इलाज के फायदे व साइड इफेक्ट के बारे में उचित जानकारी भी देंगे.

क्या पारिवारिक इतिहास आपके जुड़वा बच्चों के मौको को बढ़ा देते है – does family history increase your chances of having twins in hindi

  • अगर आप और आपके परिवार (महिला व पुरूष परिवार) में जुड़वा बच्चे होने का इतिहास है तो आपके जुड़वा बच्चे होने के मौके बढ़ सकते है.
  • ऐसे इसलिए क्योंकि उनके जेनेटिक्स इस प्रकार के होते है जहां एक बार में एक से अधिक अंडे रिलीज होते है.

30 की आयु के बाद जुड़वा बच्चे होने के मौके – chances of having twins after 30 in hindi

  • 30 से अधिक आयु वाली महिलाएं खासकर 35 से अधिक आयु वाली महिलाओं में जुड़वा बच्चे होने के मौके अधिक होते है.
  • ऐसा इसलिए क्योंकि ओव्यूलेशन के दौरान उनके एक से अधिक अंडे रिलीज होने के मौके होते है.
  • माताएं जो पहले ही शिशु को जन्म दे चुकी है 35 से 40 वर्ष की आयु के बीच उनके जुड़वा बच्चों को जन्म देने के मौके अधिक होते है.

क्या सप्लीमेंट लेने पर जुड़वा बच्चे होने के मौके होते है – will you conceive twins if you are taking supplements in hindi

  • विटामिन बी का हिस्सा फॉलिक एसिड का सेवन प्रेगनेंसी से पहले और दौरान कई डॉक्टरों द्वारा बताया जाता है.
  • इसके सेवन से कई समस्याओं के रिस्क कम होते है.
  • काफी सारे छोटे अध्ययनों में देखा गया है कि फॉलिक एसिड के सेवन से जुड़वा बच्चे होने के मौके अधिक हो जाते है.
  • हालांकि इस बात के प्रमाण के लिए कोई बड़ा अध्ययन नही हुआ है.
  • प्रेगनेंट होने पर फॉलिक एसिड का सेवन करने से शिशु के दिमाग का विकास व रक्षा होती है.

क्या स्तनपान कराते समय आप जुड़वा बच्चे गर्भधारण कर सकती है – will you conceive twins if you are breastfeeding in hindi

  • एक अध्ययन के अनुसार जो महिलाएं शिशु को स्तनपान करा रही होती है उनके जुड़वा बच्चों के साथ गर्भधारण करने के मौके अधिक हो जाते है.
  • लेकिन इस मुद्दे पर अभी और भी अध्ययन की जरूरत है इसलिए स्तनपान को जुड़वा बच्चों के गर्भधारण को फैक्टर नही माना जा सकता है.

अंत में

आजकल के तनाव वाले और खराब लाइफस्टाइल वाले समय में विवाहित जोड़े को बहुत तरह की शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसके कारणों में से एक सेक्स से संबंधित समस्याओं का भी होना है.

इस कारण आज के समय में इनफर्टिलिटी के उपचार की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है. साथ ही एक बार में जुड़वा बच्चों के होने की भी मांग बढ़ने लगी है.

इसलिए पहले के समय के मुकाबले आजकल जुड़वा बच्चों का जन्म ज्यादा आम हो गया है.

जुड़वा बच्चों के गर्भधारण कराने के लिए कोई पक्का तरीका नही होता है. लेकिन कुछ जेनेटिक फैक्टर और मेडिकल उपचार आपकी इस ख्वाहिश के मौके को बढ़ा सकते है.

जुड़वा या उससे अधिक बच्चों के साथ गर्भावस्था को एक शिशु के साथ गर्भावस्था से अधिक ज्यादा रिस्क वाली माना जाता है.

अगर आप जुडवा बच्चों के साथ गर्भवती होती है तो आपको अधिक बार डॉक्टर को दिखाना पड़ता है जिससे स्थिति को नजदीक से मॉनीटर किया जा सके.

इसके अलावा गर्भधारण करने से पहले दोनों पार्टनर को डॉक्टर से जांच आदि करवानी चाहिए जिससे महिला या पुरूष साथी में प्रजनन संबंधी समस्याओं को पता लगाकर उचित उपचार दिया जा सके.

References –

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