इस लेख में आप जानेंगे बच्चों में पीलिया के प्रकार, लक्षण, कारण, निदान, इलाज और घरेलू उपायों के बारे में –

बच्चों में पीलिया क्या होता है? – What is jaundice in children?

  • पीलिया लिवर संबंधी रोग होता है जिसमें स्किन, आंखों के सफेद हिस्से का पीला पड़ना देखने को मिलता है.
  • वैसे तो नवजात शिशुओं में अस्थाई पीलिया हो जाना काफी आम है, लेकिन बच्चों में पीलिया किसी गंभीर रोग का संकेत हो सकता है.
  • ब्लड में बिलीरुबिन नाम के पदार्थ का बिल्डअप होने के कारण पीलिया होता है.
  • सामान्य रूप से रेड ब्लड सेल्स के ब्रेकडाउन के कारण बिलीरुबिन विकसित हो जाता है.
  • बिलीरुबिन संतरी-पीले रंग का पदार्थ होता है जो लिवर से गुजरते हुए शरीर से निकलता है.
  • ब्लड में बिलीरुबिन के असामान्य हाई लेवल होते है तो पीलिया विकसित हो जाता है.
  • इसके संकेत में आंखों के सफेद हिस्से का पीला होना समेत त्वचा का पीलापन होता है.
  • जबकि बच्चों और वयस्कों में पीलिया का होना, किसी हेल्थ समस्या की ओर ईशारा करता है जिसमें ट्रीटमेंट की जरूरत होती है.
  • बच्चों में ऐसे किसी संकेत के दिखने पर डॉक्टर से बात कर सलाह ली जानी चाहिए.

बच्चों में पाए जाने वाले पीलिया के प्रकार क्या है? – What are the types of jaundice found in children? 

  • नवजात शिशुओं में पीलिया का कारण लिवर का बिलीरुबिन को निकालने और ब्रेकडाउन करने में ठीक से फंक्शन न कर पाना होता है.
  • जबकि थोड़े बड़े बच्चों में पीलिया का कारण अलग हो सकता है.

पीलिया को तीन प्रकार में बांटा जा सकता है –

  • ऑब्सट्रक्टिव पीलिया – पैंक्रियाज और लिवर के बीच मौजूद बाइल डक्ट में ब्लॉकेज के कारण यह होता है.
  • हेपैटोसेलुलर पीलिया – किसी लिवर रोग या नुकसान होने पर यह दिखता है.
  • हैमोलायटिक पीलिया – रेड ब्लड सेल्स का असामान्य ब्रेकडाउन विकसित होने के कारण ब्लड में बिलीरुबिन का लेवल बहुत ज्यादा हो जाना. (जानें – शरीर में रेड ब्लड सेल्स कैसे बढ़ाए)

बच्चों में पीलिया के लक्षण क्या है? – What are the symptoms of jaundice in children?

  • पीलिया होने पर शरीर के फ्लूइड के रंग में भी बदलाव आ जाता है जैसे पेशाब और मल के रंग में बदलाव आना.
  • अगर आपके बच्चे को किसी गंभीर समस्या से संबंधित पीलिया हुआ है जैसे हेपेटाइटिस, तो इसके साथ अन्य लक्षण बुखार, पेट दर्द, मतली, थकान आदि हो सकते है.
  • इसके लक्षणों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, जबकि अन्य किसी तनाव पैदा करने वाले लक्षण के साथ दिखने पर तुरंत मेडिकल सहायता ली जानी चाहिए.

बच्चों में पीलिया के कारण क्या है? – What are the causes of jaundice in children?

एपस्टीन-बार वायरस (ईबीवी)

  • बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करने वाला यह काफी आम वायरस है.
  • यह शरीर के फ्लूइड के जरिए फैलता है जैसे लार आदि.
  • बच्चे जो टूथब्रश या पानी का झुठा गिलास एक दूसरे से शेयर करते है तो ऐसे में ईबीवी वायरस फैल सकता है. (जानें – वायरल रोगों के बारे में)
  • आप या आपके बच्चे को यह वायरस हो सकता है और फिर भी आपको इससे कोई हेल्थ समस्या या लक्षण न हों.
  • गंभीर मामलों में पीलिया, बुखार, बढ़ी हुई लिम्फ नोड्स समेत अन्य संकेत हो सकते है.

हेमोलीटिक एनीमिया

  • इसके कई प्रकार होते है और सभी में हेल्दी और सामान्य तरीके की तुलना में तेजी से रेड ब्लड सेल्स हटते और क्षतिग्रस्त होते है.
  • यह कंडीशन माता-पिता से अपने बच्चों में जा सकती है.
  • इसके अलावा यह ऑटोइम्यून रोग के कारण या किसी इंफेक्शन के कारण भी हो सकती है.

कैंसर

  • लिवर और पैंक्रियाज के कैंसर के कारण पीलिया हो सकता है.
  • हालांकि, बच्चों में इसका होना काफी रेयर है.

पित्त की थैली में पथरी

  • पथरी का साइज छोटा, कठोर और पित्त की थैली में जमा होने लगती है.
  • यह अब तक साफ नहीं है तो पित्त की थैली में पथरी क्यों बनती है.
  • लेकिन यह बच्चे के कोलेस्ट्रॉल में पित्त के साथ बिलीरुबिन का बहुत अधिक होने के कारण होता है.
  • जब तक पित्त की थैली खाली नहीं होती है तब तक यह फ्लूइड पथरी बनाता रहेगा. (जानें – पित्त की थैली हटाने के साइड इफेक्ट)

हेपेटाइटिस

  • हेपेटाइटिस ए – दूषित भोजन या पानी के कारण होता है.
  • हेपेटाइटिस बी – शरीर के फ्लूइड के जरिए ट्रांसमिट होता है. अगर किसी माता को हेपेटाइटिस बी है, तो शिशु को जन्म देते समय वह वायरस शिशु में जा सकता है.
  • हेपेटाइटिस सी – यह दूषित ब्लड या ड्रग नीडल के कारण फैलता है. युवा बच्चों में इसके होने के आसार कम होते है. (जानें – खून साफ करने वाले फ़ूड्स के बारे में)
  • हेपेटाइटिस डी – जिन लोगों को हेपेटाइटिस बी का वायरस होता है उनमें इसके विकसित होने के आसार अधिक होते है.
  • हेपेटाइटिस ई – यह विकासशील देशों तक सीमित है.

बच्चों में पीलिया का निदान कैसे होता है? – How to diagnose jaundice in children?

  • सबसे पहले डॉक्टर द्वारा शारीरिक जांच की जाती है.
  • साथ ही बच्चों की स्किन और आंखों को देखा जाता है.
  • जब पीलिया के कारण का निदान करना कठिन हो जाता है तो डॉक्टर द्वारा लिवर रोग के अन्य संकेत की जांच की जाती है.
  • लिवर की सूजन को चेक करने के लिए शारीरिक जांच की जाती है.
  • ब्लड टेस्ट और यूरिन की जांच से शरीर में लिवर फंक्शन और खून की कमी के अलावा बिलीरुबीन का पता लगाने में मदद मिलती है.
  • ब्लड टेस्ट से हेपेटाइटिस और ईबीवी का पता लगाने में मदद मिलती है.
  • बच्चे को पीलिया के साथ एनीमिया होने पर अधिक टेस्ट करके पता लगाया जाता है कि कहीं एंटीबॉडी रेड ब्लड सेल्स को अटैक तो नहीं कर रही.
  • यह संकेत होता है कि कही कोई ऑटोइम्यून रोग बच्चे में पीलिया का कारण तो नहीं है.

बच्चों में पीलिया का इलाज क्या है? – what are the treatment of jaundice in children?

  • पीलिया का सही इलाज अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करती है.
  • नवजात शिशुओं में पीलिया बिलीरुबिन लेवल बढ़ने के परिणामस्वरूप हो सकता है जिसका इलाज फोटोथेरेपी से होता है.
  • इस ट्रीटमेंट के दौरान बच्चे को खास नीली लाइट पर एक्सपोज कर बिलीरुबिन लेवल को कम करने की कोशिश की जाती है.
  • समस्या के रेड ब्लड सेल्स को खराब करने के मामलों में डॉक्टर आपको ब्लड ट्रांसफ्यूजन, कुछ दवाएं या प्लाज्मा को ब्लड सेल्स से अलग करने की प्रक्रिया के लिए बोल सकते है. 
  • जिन नवजात शिशुओं का बिलीरुबिन लेवल काफी हाई होता है उनको ब्लड ट्रांसफ्यूजन मदद कर सकता है. 
  • इस ट्रीटमेंट के दौरान बच्चे के शरीर से छोटी मात्रा में ब्लड निकालकर दिया जाता है.
  • इससे बच्चे को रेड ब्लड सेल्स बूस्ट करने के साथ बिलीरुबिन लेवल कम करने में मदद मिलती है.
  • वहीं हेपेटाइटिस का इलाज इसके प्रकार पर निर्भर करता है.
  • हेपेटाइटिस ए बिना इलाज के कुछ महीनों में शरीर से निकल जाता है.
  • हेपेटाइटिस बी और सी के लिए एंटीवायरल ड्रग की जरूरत पड़ सकती है.
  • ईबीवी के लिए कोई एंटीवायरल नहीं है. यह समय के साथ ठीक होता है.
  • पीलिया के अन्य कारणों का इलाज उससे होने वाले लक्षणों को मैनेज करके किए जाते है.

पीलिया के लिए घरेलू उपाय – home remedies for jaundice in children

  • अगर लिवर रोग, हेपेटाइटिस या किसी अन्य गंभीर समस्या के कारण पीलिया होता है तो डॉक्टर द्वारा बताए गए ट्रीटमेंट को फॉलो करना चाहिए.
  • बच्चों में पीलिया के माइल्ड मामलों में काफी बार बिना इलाज के पीलिया चला जाता है उदाहरण के लिए नवजात शिशुओं के साथ.
  • ध्यान रखें कि आपका बच्चा नियमित रूप से बाउल मूवमेंट करता है.
  • कब्ज से बचने के लिए और बच्चे के नियमित बाउल मूवमेंट के उसके शरीर में पानी की कमी न होने दें.
  • नियमित रूप से बच्चे को शारीरिक एक्टिविटी करवाते रहें.
  • उसे जरूरत के अनुसार डाइटरी फाइबर जरूर दें.

अंत में

पीलिया के माइल्ड मामले अधिकांश रूप खुद से ठीक हो जाते है. जबकि किसी अन्य समस्या के कारण पीलिया होने पर उसका इलाज करने से अन्य लक्षण भी ठीक हो जाते है.

हमेशा पीलिया से बचाव कर पाना संभव नहीं है, विशेष रूप से जब बच्चे को ऑटोइम्यून रोग या कोई अंतर्निहित समस्या हो जिसके कारण बिलीरुबिन बनता है. (जानें – गाल ब्लैडर को साफ कैसे करें)

हालांकि, अच्छी हाइजीन और एक दूसरे का जूठा खाने-पीने से बचना चाहिए. इससे वायरस का रिस्क कम हो जाता है. जबकि हेपेटाइटिस के लिए वैक्सीन उपलब्ध है.

किसी अन्य समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से बात कर जानकारी ली जानी चाहिए.

References –

 

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