इस लेख में आप जानेंगे किडनी फेलियर क्या है, लक्षण, कारण, प्रकार, इलाज, डाइट और बचाव –
किडनी फेलियर क्या होता है – what is kidney failure in hindi
हमारे शरीर के सबसे महत्त्वपूर्ण अंगों में से एक किडनियां होती है. यह हमारे शरीर में लोवर बैक की ओर दोनों तरफ एक-एक होती है. इनका काम शरीर में ब्लड को फिल्टर करना और टॉक्सिन को बाहर करना होता है. किडनियों का काम टॉक्सिन को ब्लैडर तक पहुँचाना, जिसे बाद में शरीर यूरिन के जरिए निकाल देता है.
किडनी फेलियर की स्थिति तब होती है जब हमारी किडनियां ब्लड फिल्टर करने में सक्षम नही रहती, इसके पीछे कई कारण हो सकते है जैसे –
- कुछ दवाओं का सेवन
- वातावरण में मौजूद दूषकों को टॉक्सिक एक्सपोज़र
- डिहाइड्रेशन (पानी की कमी)
- किडनी की दूसरी समस्या
जब हमारी किडनी अपना काम ठीक से नही करती है तो थोड़े ही समय में हमारा शरीर टॉक्सिन से पूर्ण हो जाता है. जिस कारण किडनी फेलियर जैसी स्थितियाँ पैदा हो जाती है जिनका इलाज न किए जाने पर जान का खतरा हो जाता है.
किडनी फेलियर के लक्षण – symptoms of kidney failure in hindi
किडनी फेल होने पर इससे ग्रसित रोगी को कुछ लक्षणों जैसे –
- पेशाब कम आना
- पैरों और एड़ी की सूजन
- मतली
- थकान
- सांस लेने में समस्या
- दौरे पड़ना
- सीने में दर्द
- कोमा
- भ्रम की स्थिति
- फ्लूड रिटेंशन
किडनी फेलियर के प्रारंभिक लक्षण – early signs of kidney failure in hindi
इसके शुरूआती लक्षणों को पता लगाना मुश्किल होता है. लेकिन कुछ लक्षण जैसे –
- पेशाब की आवृति कम होना
- फ्लूड रिटेंशन के कारण लिम्ब की सूजन
- सांसों की कमी
किडनी फेलियर के कारण – causes of kidney failure in hindi
इसके कई कारण हो सकते है जैसे किडनी की कोई गंभीर स्थिति का होना, जो किडनी फेलियर के प्रकार से पता चलता है. इसके रिस्क पर होने वाले लोगों को एक या इससे अधिक कारणों जैसे –
ब्लड फ्लो रूक जाना
किडनी में अचानक से ब्लड फ्लो का कम होना जिस कारण किडनी फेलियर हो सकता है. इसके अलावा ब्लड फ्लो रूक जाने से किडनी की स्थितियों जैसे –
- हार्ट अटैक
- हार्ट रोग
- लिवर संकुचन या लिवर फेलियर
- डिहाईड्रेशन
- गंभीर जलन
- एलर्जिक रिएक्शन
- गंभीर इंफेक्शन जैसे सेप्सीस
इन सभी के अलावा हाई बीपी और एंटी-इंफ्लामेटरी दवाएं भी ब्लड फ्लो को सीमित कर सकते है.
पेशाब करने में समस्या
पेशाब न आने पर हमारे शरीर में टॉक्सिन बनने और किडनी में ओवरलोड होने लगते है. कुछ प्रकार के कैंसरों के कारण जिस कारण पेशाब नही निकलता, जैसे –
- प्रोस्टेट (पुरूषों में होने वाली सबसे आम प्रकार)
- कोलन
- सर्वाइकल
- ब्लैडर
अन्य कंडीशन जो पेशाब करने में समस्या और किडनी फेलियर जैसे –
- किडनी स्टोन
- प्रोस्टेट का बढ़ना
- यूरिनरी ट्रैक्ट से ब्लड क्लॉट
- ब्लैडर को कंट्रोल करने वाली नसों की क्षति होना
अन्य कारण
- किडनियों के आस-पास ब्लड क्लॉट जमा होना
- इंफेक्शन
- शराब और ड्रग्स
- नसों की सूजन
- ल्यूपस
- किमोथेरेपी में इस्तेमाल दवाएं
- किडनी की नसों की सूजन
- मल्टीपल माइलोमा
- ऑटोइम्यून रोग
- डायबिटीज़
- कुछ एंटीबायोटिक्स
किडनी फेलियर के प्रकार – Types of kidney failure in hindi
इसके 5 प्रकार होते है –
एक्युट प्रीरेनल किडनी फेलियर
- किडनी में पर्याप्त ब्लड फ्लो न होने पर यह समस्या हो सकती है.
- ब्लड फ्लो न होने पर किडनी टॉक्सिन को फिल्टर नही कर पाती है.
- ब्लड फ्लो कम होने के कारण का पता लगाने पर स्थिति का उपचार किया जा सकता है.
एक्युट इंट्रींसिक किडनी फेलियर
- गंभीर ब्लीडिंग
- शॉक
- किडनी की नसों में समस्या
- ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस
क्रोनिक प्रीरेनल किडनी फेलियर
- लंबे समय तक किडनी में जरूरी ब्लड फ्लो न होने पर किडनी संकुचन हो सकता है.
- जिससे किडनी के काम करने के फंक्शन प्रभावित हो सकते है.
क्रोनिक इंट्रींसिक किडनी फेलियर
- यह तब होता है जब किडनी की क्षति लंबे समय से हो रही हो.
- इस कंडीशन के कारण किडनी को सीधा नुकसान पहुँचता है.
- इससे गंभीर ब्लीडिंग या ऑक्सीजन की कमी हो सकती है.
क्रोनिक पोस्ट-रेनल किडनी फेलियर
- लंबे समय तक यूरिनरी ट्रैक्ट की ब्लॉकेज़ से पेशाब की समस्या या पेशाब न आने की स्थिति हो सकती है.
- इससे प्रेशर और किडनी खराब होने का खतरा रहता है.
किडनी फेलियर टेस्ट – kidney failure test in hindi
यह पता लगाने के लिए कि किडनी फेलियर के कारण क्या है. इसके लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करवा सकते है जैसे –
यूरिन टेस्ट
- यह पता लगाने के लिए कि आपके यूरिन में कोई प्रोटीन या शुगर की असमान्यता तो नही है.
- यूरिनरी सेडिमेंट का परिक्षण भी किया जा सकता है.
- इस टेस्ट में रेड ब्लड सेल्स और वाइट ब्लड सेल्स की अमाउंट देखी जाती है.
- साथ ही हाई लेवल बैक्टीरिया और सेलुलर कास्ट का पता लगाते है.
यूरिन की मात्रा जाँचना
- किडनी फेलियर का पता लगाने के लिए मूत्र की वोल्यूम जानना सबसे बेहतर है.
- यूरिनरी ब्लॉकेज के कारण पेशाब की मात्रा कम होना हो सकता है.
- इसके अलावा एक से अधिक बीमारियाँ होना या किसी चोट के कारण पेशाब की मात्रा कम हो सकती है.
ब्लड सैंपल
- खून की जाँच से यह पता लगाया जा सकता है कि किडनी कितना फिल्टर कर रही है.
- जिसमें ब्लड यूरिया नाइट्रोजन और क्रिएटिनीन देखा जाता है.
- इनके स्तर में बढ़ोतरी तीव्र किडनी फेलियर की ओर इशारा करती है.
इमेजिंग
- अल्ट्रासउंड
- सीटी स्कैन
- एमआरआई से किडनी की समस्या का पता लगाया जा सकता है.
किडनी टिश्यू सैंपल
- टिश्यू का सैंपल लेने से संकुचन, संक्रमण या असामान्य दूषकों का जमा होने की जांच की जाती है.
- इसके लिए किडनी बायोप्सी की जाती है जिसमें टिश्यू लिया जाता है.
- टिश्यू लेने के दौरान लोकल ऐनेस्थिसिया दिया जाता है जिससे दर्द न हो.
- सैंपल लेने के लिए बायोप्सी नीडल डालकर टिश्यू लिया जाता है.
- इन टेस्ट से पता लग सकता है कि किडनी ठीक से काम कर रही है या नही.
किडनी फेलियर स्टेज – kidney failure stages in hindi
इसके 5 प्रकार होते है जिसमें –
स्टेज 1
- यह स्टेड काफी माइल्ड होती है जिसमें लक्षण दिखाई नही देते है.
- लेकिन अच्छी लाइफस्टाइल का पालन कर इसे मैनेज किया जा सकता है.
- जिसके लिए संतुलित डाइट, लगातार एक्सरसाइज और तंबाकू प्रोडक्ट से बचना.
- हेल्दी वजन बनाए रखना.
- ब्लड शुगर होने पर उसे मैनेज करना.
स्टेज 2
- इसे भी माइल्ड रूप में माना जाता है लेकिन यूरिन में प्रोटीन या कोई शारीरिक नुकसान किडनी क्षति का अधिक कारण हो सकता है.
- इसमें स्थिति खराब होने का खतरा अधिक रहता है.
- जिसमें हार्ट रोग, सूजन और ब्लड डिसऑर्डर शामिल है.
- स्टेज 1 में इस्तेमाल की जाने वाली बातों का ध्यान रखना चाहिए.
स्टेज 3
- इस स्टेज में किडनी रोग को मोडरेट माना जाता है.
- कभी कभी स्टेज 3 को दो भागो – 3A और 3B में बांटा जाता है.
- ब्लड टेस्ट कर इसका पता लगाया जा सकता है.
- इस स्टेज के लक्षणों में हाथो और पैरो की सूजन, कमर दर्द और पेशाब की आवृति में बदलाव होना है.
- लाइफस्टाइल बदलाव के अलावा डॉक्टर द्वारा बताई गई स्थिति से रिकवर किया जा सकता है.
स्टेज 4
- यह मोडरेट से गंभीर तक हो सकता है.
- इसके दौरान किडनी ठीक से काम नही करती है लेकिन यह पूर्ण किडनी फेलियर नही होता है.
- लक्षणों में अनेमिया, हाई बीपी और हड्डी रोग हो सकता है.
- इसके उपचार में डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा के साथ लाइफस्टाइल बदलाव होते है.
स्टेज 5
- इस स्टेज में होने का मतलब है कि आपकी किडनी जल्द ही फेल होने वाली है.
- लक्षणों में किडनी फंक्शन का नुकसान होता है.
- जिसके कारण उल्टी, मतली, सांस लेने में समस्या, त्वचा की खुजली आदि हो सकते है.
किडनी फेलियर ट्रीटमेंट – kidney failure treatment in hindi
किडनी फेल होने के कारण को देखते हुए डॉक्टर द्वारा किडनी फेलियर उपचार निर्धारित किया जाता है जिसमें –
डायलिसिस
- मशीन के उपयोग कर खून को साफ किया जाता है.
- इस मशीन का काम किडनी का फंक्शन करना है.
- डायलिसिस के प्रकार पर बड़ी मशीन या छोटी थैली जैसी मशीन लगा दी जाती है.
- इसके दौरान कम पोटेशियम, कम नमक डाइट फॉलो की जाती है.
- इससे किडनी फेलियर का इलाज नही होता है लेकिन समय पर उपचार से आयु बढ़ जाती है.
किडनी ट्रांसप्लांट
- इसके इलाज का दूसरा विकल्प किडनी ट्रांसप्लांट करना भी है.
- ट्रांसप्लांट की गई किडनी नार्मल रूप से काम करती है और डायलिसिस की जरूरत नही पड़ती.
- लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपके शरीर से मैच करने वाला किडनी डोनर मिलें.
- सर्जरी के बाद इम्युनोसरप्रेसिव ड्रग लिए जाते है ताकि हमारा शरीर नई किडनी को रिजैक्ट न करें.
- इस ड्रग के साइड इफेक्ट बहुत घातक होते है.
- इसलिए हर किसी के लिए यह सही उपचार नही होता है.
- साथ ही जरूरी नही कि हर किसी की सर्जरी सफल हो जाएं.
- इसके लिए डॉक्टर से बात कर सलाह ली जानी चाहिए.
किडनी फेलियर डाइट – kidney failure diet in hindi
वैसे तो इसके लिए कोई खास डाइट नही होती है. लेकिन किडनी रोग की स्टेज के आधार पर डॉक्टर द्वारा गाइडलाइंस दी जाती है जैसे –
- सोडियम और पोटेशियम सीमित करना – इन दो तत्वों के सेवन पर नज़र रखनी चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि दोनों का दिन में 2 हज़ार मिलिग्राम से कम मात्रा में सेवन किया जाए.
- फास्फोरस सीमित करना – दिन में इसकी 1 हज़ार मिलीग्राम तक की मात्रा का सेवन करना चाहिए.
- प्रोटीन के लिए – किसी भी प्रकार चाहे – हल्के से लेकर गंभीर किडनी रोग से पीड़ित लोगों को इसके सेवन में कमी करनी चाहिए. लास्ट स्टेज किडनी फेलियर में डॉक्टर द्वारा बताई गई मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए.
किडनी फेल होने पर पेशाब का रंग – kidney failure urine color in hindi
- साफ या हल्का पीला – इसका मतलब होता है कि आपके शरीर में पानी की कमी नही है. हेल्दी लोगों के पेशाब का रंग यही होता है.
- गहरा पीला – इसका मतलब है कि आप पानी कम पी रहे है जिससे पानी की कमी हो गई है. ऐसे में ज्यादा पानी पीने और सोडा, चाय या कॉफी की मात्रा कम करना होता है.
- संतरी – यह डिहाईड्रेशन का लक्षण होता है या ब्लडस्ट्रीम में रूकावट के रूप में भी इसे जाना जाता है. लेकिन यह मुख्यता किडनी रोग के कारण नही होता है.
- पिंक या लाल – पेशाब में पिंक या लाल रंग दिखना इसमें ब्लड का मौजूद होना होता है. यह कुछ फ़ूड जैसे स्ट्रोबैरी से हो सकता है. इसे होने पर तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए.
- झाग आना – ज्यादा बुलबुले के साथ पेशाब आने का मतलब होता है कि उसमें काफी अधिक प्रोटीन है. जिसके होने का अर्थ किडनी रोग का होना होता है.
डायबीटिज़ और किडनी फेल होना – diabetes and kidney failure in hindi
- किडनी फेल होने के मुख्य कारणों में से एक मधुमेह है.
- हाई ब्लड शुगर के लगातार रहने से किडनी को नुकसान होता है जो समय के साथ बिगड़ जाता है.
- टाइप 1 या टाइप 2 डायबीटिज़ के कारण किडनी पर असर हो सकता है जिससे डायबीटिक नैफरोपैथी हो सकती है.
- इससे बचाव के लिए ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को मैनेज रखना होता है.
- साथ ही डॉक्टर से समय समय पर जाँच व परामर्श की जरूरत पड़ती है.
किडनी फेल होने पर जीवन की संभावना – kidney failure life expectancy in hindi
यह बता पाना बहुत मुश्किल है कि किडनी फेल हो जाने के बाद रोगी कितने समय तक जिंदा रह सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हर रोगी में किडनी फेलियर के कारण अलग होते है.
डायलिसिस करवाने वाले रोगी का जीवन 5 से 10 साल या जब तक उपचार चले तब तक रह सकता है. इसके अलावा कुछ फैक्टर जैसे –
- आयु
- किडनी रोग की स्टेज
- किसी अन्य रोग का होना
अन्य रोग न होने पर कम आयु और किडनी फेलियर की मिडस्टेज वाले रोगियों को कोई खासा रिस्क फैक्टर नही होता है.
लेकिन साथ में स्टेज 4 या स्टेज 5 के साथ साथ मधुमेह या हार्ट समस्या होने पर परेशानी बढ़ सकती है.
जिन लोगों की किडनी फेल हो चुकी है उनके किसी एक बार के उपचार के छूट जाने से जीवन को खतरा हो सकता है.
किडनी ट्रांसप्लांट करीब 5 से 10 साल तक चलता है जिसके बाद पहला ट्रांसप्लांट फेल होने पर दूसरा भी किया जा सकता है.
किडनी फेल होना और शराब – kidney failure and alcohol in hindi
- किडनी फेल होने के साथ साथ शराब का सेवन करने से किडनियों को ज्यादा काम करना पड़ता है.
- शराब हमारे शरीर से मेटाबॉलाइज होकर बाहर नही निकलती है तो डायलिसिस न मिलने तक आपको इसका असर महसूस होगा.
- बीयर और वाइन में फास्फेरस की ज्यादा मात्रा होती है जिससे हार्ट समस्याएं और किडनी द्वारा फिल्टर न किए जाने पर मृत्यु तक हो सकती है.
- लंबे समय तक शराब पीने से लिवर की समस्या भी हो सकती है.
- ऐसी किसी भी कंडीशन से बचने के लिए जरूरी है कि शराब का सेवन न किया जाए.
किडनी फेलियर की रोकथाम – kidney failure prevention in hindi
- अच्छी लाइफस्टाइल बनाए रखना
- डॉक्टर की सलाह का पालन करना
- समय पर दवा आदि लेना
- किडनी फेलियर के कारणों जैसे हाई बीपी और मधुमेह का समय से इलाज
अन्य किसी समस्या या सलाह के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
References –