इस लेख में आप जानेंगे लिवर रोग क्या होता है, लक्षण, आम समस्याएं, रिस्क फ़ैक्टर, निदान और इलाज –
लिवर रोग क्या होता है? – what are liver diseases?
- लिवर हमारे शरीर में मौजूद जरूरी अंगों में से एक होता है.
- इसके कई काम जैसे मेटाबॉलिज़्म, एनर्जी स्टोर करने, डिटॉक्सिफाई आदि करना होता है.
- साथ ही यह भोजन को पचाने, एनर्जी में बदलने और जरूरत पड़ने तक एनर्जी को स्टोर करके काम करते है. (जानें – शरीर को डिटॉक्स करने के टिप्स)
- लिवर का काम खून से टॉक्सिक तत्वों को बाहर करके फिल्टर करना भी होता है.
- कोई भी कंडीशन जो लिवर को प्रभावित करें उसे लिवर रोग कहा जाता है.
- इनके विकसित होने के कई कारण हो सकते है लेकिन यह लिवर फंक्शन को प्रभावित करने के अलावा लिवर को नुकसान भी पहुंचा सकते है.
लिवर रोग के लक्षण क्या होते है? – what are the symptoms of liver diseases?
लिवर रोग के लक्षण अंतनिर्हित कारणों पर निर्भर करते है. हालांकि, कुछ आम लक्षण है जो लिवर रोग को दर्शा सकते है जैसे –
- डार्क यूरिन
- मल का काला या खून आना
- पेट, पैर या टखने की सूजन
- मतली
- उल्टी
- पीलिया
- स्किन की खुजली
- भूख कम लगना
- थकान बने रहना
- आसानी से छिलना
लिवर रोग की आम समस्याएं क्या है?
लिवर को काफी सारी कंडीशन प्रभावित कर सकती है. जिसमें से कुछ मुख्य –
लिवर फेलियर
- जब लिवर का एक प्रमुख हिस्सा नुकसान के कारण ठीक से कार्य नहीं कर पाता है तो उसे क्रोनिक लिवर फेलियर कहा जाता है.
- आमतौर पर लिवर फेलियर जो लिवर रोग और सिरोसिस से संबंधित होता है धीरे से होता है.
- शुरूआत में लक्षण नहीं होते है लेकिन बाद के स्टेज में दस्त, पीलिया, मतली, भ्रम, थकान, कमजोरी आदि हो सकते है.
- यह गंभीर कंडीशन होती है जिसमें लगातार मैनेज करने की जरूरत होती है.
- जबकि एक्यूट लिवर फेलियर अचानक से होता है जो ओवरडोज या जहर के कारण होता है.
जेनेटिक कंडीशन
- माता पिता से कई जेनेटिक कंडीशन बच्चों में आ सकती है जो लिवर को प्रभावित कर सकती है.
- इन कंडीशन में विल्सन रोग, हिमोक्रोमाटोसिस, अल्फा ए-1 एंटीट्रीपसिन की कमी आदि होते है.
कैंसर
- लिवर कैंसर सबसे पहले लिवर में विकसित होता है.
- जबकि कैंसर शरीर के किसी भी दूसरे हिस्से में होकर लिवर तक फैलने को सेकेडरी लिवर कैंसर कहा जाता है.
- लिवर कैंसर के सबसे आम प्रकार हेपाटोसेलुलर कार्सिनोमा कहा जाता है.
- इसके कारण लिवर में कई छोटे ट्यूमर हो सकते है जिसकी शुरू एक ट्यूमर से होती है.
- समय से उपचार न मिने के कारण लिवर कैंसर विकसित होने का खतरा रहता है.
फैटी लिवर रोग
- लिवर पर फैट बनने के कारण फैटी लिवर रोग हो सकता है.
- आमतौर पर फैट लिवर रोग के दो प्रकार होते है – अल्कोहोलिक फैटी लिवर रोग और नॉनअल्कोहोलिक फैटी लिवर रोग.
- इलाज न मिलने पर दोनों प्रकार के रोग लिवर को नुकसान पहुंचाकर सिरोसिस या लिवर फेलियर के कारण बन सकते है.
- डाइट और लाइफस्टाइल बदलाव के साथ लक्षणों को बेहतर करके जटिलताओं को कम किया जा सकता है.
सिरोसिस
- इसे स्कैरिंग के रूप में जाना जाता है जो पहले से हुए लिवर रोग के कारण हो सकती है.
- जबकि इसके अन्य कारणों में लिवर को नुकसान शराब के डिसऑर्डर के कारण हो सकते है.
- सिस्टिक फिब्रोसिस और सिफिल्स के कारण लिवर को नुकसान के साथ सिरोसिस हो सकता है.
- नुकसान की प्रतिक्रिया के रूप में लिवर फिर से बन सकता है जिस कारण स्कार टिश्यू विकसित हो सकता है.
- स्कार टिश्यू जितना कठोर होता है लिवर के लिए कार्य कर पाना उतना ही मुश्किल हो जाता है.
- शुरूआती स्टेज में सिरोसिस का अंतनिर्हित कारण का पता लगाकर इलाज किया जा सकता है.
- जबकि इलाज न मिलने पर जटिलता समेत जान की हानि का नुकसान हो सकता है.
ऑटोइम्यून रोग
- ऑटोइम्यून कंडीशन में हमारा इम्यून सिस्टम गलती से शरीर के हेल्दी सेल्स को अटैक करना शुरू कर देता है.
- कई ऑटोइम्यून कंडीशन में लिवर सेल्स पर इम्यून सिस्टम का अटैक होने लगता है.
- इन कंडीशन में ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस, प्राइमरी बीलैरी सिरोसिस, प्राइमरी स्कलैरोसिंग कोलैंजाइटिस शामिल होते है.
हेपेटाइटिस
- यह लिवर का वायरल इंफेक्शन होता है जिसमें लिवर पर इंफ्लामेशन और नुकसान पहुंचता है.
- जिस कारण लिवर ठीक से कार्य नहीं कर पाता है.
- सभी प्रकार के हेपेटाइटिस संक्रमण फैला सकते है लेकिन हेपेटाइटिस ए और बी की वैक्सीन लगवाकर आप रिस्क को कम करते है.
- जबकि अन्य प्रकार के लिए आप सुरक्षा स्टेप्स ले सकते है जैसे किसी नीड्ल का बार बार उपयोग न करना और सुरक्षित सेक्स आदि.
हेपेटाइटिस के प्रकार
- हेपेटाइटिस ए – यह संक्रमित पानी या भोजन के संपर्क से फैलता है. इसके लक्षण बिना इलाज के ठीक हो जाते है और रिकवर करने में कुछ हफ्तों का समय लग सकता है.
- हेपेटाइटिस बी – यह शॉर्ट या लंबे समय के लिए हो सकता है. यह खून या सीमेन के जरिए फैलता है. कुछ हेपेटाइटिस बी का इलाज संभव है जबकि कुछ का कोई इलाज नहीं है. इसमें नियमित रूप से स्क्रीनिंग जरूरी है.
- हेपेटाइटिस सी – यह भी एक्यूट या क्रोनिक हो सकता है. यह पहले से हेपेटाइटिस सी से संक्रमित व्यक्ति के खून से संपर्क में आने के कारण फैलता है. शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते है लेकिन बाद के स्टेज में लिवर को नुकसान पहुंच सकता है.
- हेपेटाइटिस डी – यह काफी गंभीर हेपेटाइटिस का रूप है जो सिर्फ हेपेटाइटिस बी वाले लोगों में विकसित होता है. यह अपने आप ठीक नहीं होता है और यह एक्यूट या क्रोनिक हो सकता है.
- हेपेटाइटिस ई – आमतौर पर यह संक्रमित पानी पीने को कारण होता है. आमतौर पर यह कुछ हफ्तों में बिना किसी जटिलताओं के अपने आप ठीक हो जाती है.
लिवर रोग के रिस्क फ़ैक्टर क्या होते है? What are the risk factors of liver diseases?
- कुछ विशेष चीज़ों के कारण आपको लिवर रोग विकसित होने के रिस्क अधिक होता है.
- इसके सबसे प्रमुख कारणों में से एक ज्यादा शराब पीना है.
- जबकि अन्य रिस्क फ़ैक्टर में नीड्ल शेयर करना.
- टैटू या बॉडी पीयरसिंग कराना.
- किसी एसटीआई वाले पार्टनर के साथ बिना कंडोम के सेक्स करना.
- डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रोल होने, अधिक वजन होना.
- खून या शरीर के अन्य फ्लूइड के प्रति एक्सपोज होने का खतरा रहना.
- लिवर रोग की फैमिली हिस्ट्री होना, पेस्टिसाइड या टॉक्सिन का एक्सपोजर.
- कुछ सप्लीमेंट, हर्ब्स को ज्यादा मात्रा में लेना.
- कुछ दवाओं को शराब के साथ मिक्स करना या बताई गई डोज से अधिक लेना.
लिवर रोग का निदान कैसे होता है? – how to diagnose liver diseases?
- अगर आपको लगता है कि आप लिवर रोग से पीड़ित है तो ऐसे में बेहतर है कि डॉक्टर से संपर्क कर सलाह लें.
- डॉक्टर द्वारा आपके लक्षण, मेडिकल हिस्ट्री, फैमिली हिस्ट्री, आदि समेत कुछ सवाल पूछे जाएंगे.
- जानकारी लेने के बाद लिवर फंक्शन टेस्ट, ब्लड काउंट टेस्ट, सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड, लिवर बायोप्सी की जा सकती है.
- लक्षणों के आधार समेत आपके खाने और शराब आदि का आदतों को जानने के बाद दवाएं प्रीस्काइब की जाएंगी.
लिवर रोग का इलाज – treatment of liver diseases
- कई लिवर रोग क्रोनिक हो सकते है जो कई सालों तक रह सकते है.
- क्रोनिक लिवर रोगों को मैनेज किया जा सकता है.
- लाइफ़स्टाइल फ़ैक्टर की मदद से लक्षणों को दूर रखा जा सकता है.
- जिसमें शराब का सेवन सीमित करना, हेल्दी वजन बनाए रखना, ज्यादा पानी पीना, लिवर के लिए अच्छी डाइट जिसमें अधिक फाइबर, कम फैट, शुगर और नमक शामिल है. (जानें – फैटी लिवर डाइट के बारे में)
- लिवर कंडीशन के आधार पर डाइटरी बदलावों की जरूरत पड़ सकती है.
- इसके अलावा लिवर कंडीशन के आधार पर मेडिकल इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
- जिसमें एंटीबायोटिक्स, ब्लड प्रेशर की दवा, एंटीवायरल ड्रग, स्टेरॉइड, विटामिन, सप्लीमेंट, दवाएं.
- कुछ मामलों में आपकी सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है जिसमें लिवर का कुछ या पूरा भाग हटाने की जरूरत पड़ सकती है. (जानें – एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट)
- सभी विकल्पों के फेल हो जाने पर लिवर ट्रांसप्लांट किया जाना चाहिए.
अंत में
कई लिवर रोगों का शुरूआत में पता चलने पर मैनेज किया जा सकता है. इलाज न मिलने पर स्थाई लिवर क्षति हो सकती है. लिवर समस्या के लक्षण दिखने या विकसित होने का रिस्क के मामले में डॉक्टर से बात कर नियमित जांच की जानी चाहिए.
References –
- https://www.niddk.nih.gov/health-information/liver-disease/primary-biliary-cholangitis
- https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/15831-fatty-liver-disease
- https://liverfoundation.org/for-patients/about-the-liver/health-wellness/nutrition/
- https://www.cancer.org/cancer/liver-cancer.html
- https://liverfoundation.org/for-patients/about-the-liver/diseases-of-the-liver/hepatitis-c/diagnosing-hepatitis-c/
- https://www.niddk.nih.gov/health-information/liver-disease/cirrhosis/all-content
- https://www.cdc.gov/nchs/fastats/liver-disease.htm
- https://liverfoundation.org/for-patients/about-the-liver/diseases-of-the-liver/autoimmune-hepatitis/
- https://liverfoundation.org/for-patients/about-the-liver/diseases-of-the-liver/alpha-1-antitrypsin-deficiency/
- https://www.cdc.gov/alcohol/faqs.htm