इस लेख में आप जानेंगे फेफड़ों के कैंसर के लक्षण, कारण, स्टेज, रिस्क, निदान, इलाज और घरेलू उपचार –

क्या फेफड़ों के कैंसर अलग प्रकार के होते है? – Are there different types of lung cancer in hindi?

  • फेफड़ों से शुरू होने वाले कैंसर को लंग्स (फेफड़ों) का कैंसर कहा जाता है.
  • इसके सबसे आम प्रकारों में नॉन स्माल सेल्स लंग्स कैंसर (NSCLC) होते है.
  • फेफड़ों के कैंसर के करीब 30 फीसदी मामले बॉडी कैविटी लिनिंग और सर्फेस से शुरू होते है.
  • यह फेफड़ो के बाहरी हिस्सों में बनते है जिसे एडेनोकार्सिनोमा कहा जाता है.
  • अन्य 30 फीसदी मामले रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट (स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा) में होते है.
  • 15 से 20 फीसदी मामलों में स्माल सेल्स लंग कैंसर(SCLC) इसके कारण होते है.
  • कुछ मामलों में फेफड़ों के कैंसर वाले ट्यूमर में छोटे और बड़े दोनों प्रकार के कैंसर सेल्स होते है.
  • मेसोथेलियोमा को फेफड़ों के कैंसर का अन्य प्रकार माना जाता है. 
  • फेफड़ों में ट्यूमर का विकास बिना किसी लक्षण के तेज़ी से होता है.
  • शुरूआती लक्षणों में ठंड लगना आदि जैसी आम समस्या हो सकती है.
  • इसलिए लंग कैंसर का शुरूआती निदान बहुत मुश्किल होता है.

फेफड़ों के कैंसर के लक्षण क्या है? – What are the symptoms of lung cancer in hindi?

छोटे और बड़े सेल्स कैंसर के लक्षण लगभग एक जैसे होते है. इसके शुरूआती लक्षण जैसे –

  • खांसी की स्थिति खराब होना
  • खांसने में बलगम या खून आना
  • सांसों की कमी
  • कमजोरी
  • थकान
  • भूख न लगना
  • अचानक वजन कम होना
  • सांस लेने, हंसने या खांसने में चेस्ट में दर्द खराब हो जाना
  • आवाज़ का भारीपन
  • घरघराहट

इसके अलावा आपको निमोनिया या ब्रोनकाइटिस के कारण भी रेस्पिरेट्री इंफेक्शन हो सकता है.

कैंसर फैलने पर इसके साथ के लक्षण जहां ट्यूमर फैलता है वहां पर उदाहरण के लिए –

  • हड्डियाँ – खासकर कमर, पसली या हिप्स में दर्द होना.
  • लिम्फ नोड्स – गर्दन या कॉलरबोन में दर्द.
  • दिमाग या स्पाइन – सिरदर्द, चक्कर आना, संतुलन के मुद्दे, हाथ,पैर सुन्न होना.
  • लिवरपीलिया के कारण स्किन और आंखों का पीला होना.

फेफड़ों के ऊपर ट्यूमर होने पर चेहरे की नर्व प्रभावित हो सकती है जिसमें पलकों का लटकना, पुतली छोटा होना और आधे चेहरे का ठीक से काम न करना हो सकता है. इन लक्षणों के एक साथ होने को हॉर्नर सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है. जिससे कंधे में भी दर्द हो सकता है.

यह ट्यूमर सिर, हाथ और हार्ट तक खून पहुँचाने वाली बड़ी नस को भी प्रेस कर सकती है. इससे चेहरे, गर्दन, ऊपरी चेस्ट और हाथों पर सूजन आ सकती है.

फेफड़ों के कैंसर के कारण बहुत बार इसके जैसे ही हार्मोन बन जाते है जिसे पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम कहा जाता है और इसके कई प्रकार के लक्षण देखने को मिलते है जैसे –

फेफड़ों के कैंसर के कारण क्या होते है? – What causes lung cancer in hindi?

  • लंग कैंसर किसी को भी हो सकता है लेकिन 90 फीसदी से अधिक मामले स्मोकिंग के कारण होते है.
  • धुम्रपान करने से फेफड़ों के टिश्यू को नुकसान होने लगता है.
  • फेफड़े खुद को रिपेयर कर लेते है लेकिन लगातार स्मोक करने से लंग्स के लिए खुद को रिपेयर करना मुश्किल हो जाता है.
  • सेल्स का एक बार डैमेज हो जाने पर वह असामान्य रूप से प्रतिक्रिया करने लगते है जिससे कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है.
  • अधिकतर स्माल सेल लंग कैंसर ज्यादा स्मोकिंग से जुड़े होते है.
  • स्मोकिंग छोड़ देने से समय के साथ फेफड़ों के कैंसर का रिस्क कम हो जाता है.
  • कुछ जेनेटिक्स कारणों के चलते भी फेफड़ों के कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है.

लंग कैंसर की स्टेज क्या है? – What are the stages of lung cancer in hindi?

नॉन स्माल सेल कैंसर(NSCL) के चार मुख्य स्टेज होते है –

  • स्टेज 1 – यह कैंसर फेफड़ों में पाया जाता है लेकिन इनसे बाहर नही फैलता है.
  • स्टेज 2 – यह फेफड़ों के अंदर लिम्फ नोड्स के पास होता है.
  • स्टेज 3 – चेस्ट के बीच में लंग और लिम्फ नोड्स में होने वाला कैंसर
  • स्टेज 3ए – लिम्फ नोड्स में होने वाला कैंसर लेकिन यह चेस्ट के उसी तरफ रहता है जहां से यह शुरू होता है.
  • स्टेज 3बी – चेस्ट के दूसरी तरफ या कॉलरबोन के ऊपर लिम्फ नोड्स में कैंसर का फैलना.
  • स्टेज 4 – कैंसर दोनों फेफड़ों और दूसरे अंगों तक फैल जाता है.

जबकि स्माल सेल लंग कैंसर(SCLC) के दो स्टेज होते है. सीमित स्चेट तक कैंसर एक फेफड़े या एक ही तरफ के लिम्फ नोड्स तक फैलता है. जबकि स्टेज आगे होने पर कैंसर निम्न स्थानों तक फैल सकता है –

  • पूरे एक फेफड़े में
  • दूसरे फेफड़े तक
  • दूसरी तरफ की लिम्फ नोड्स
  • बोन मैरो
  • दूसरे दूर अंगों
  • फेफड़े के आसपास फ्लूइड

फेफड़ों का कैंसर और कमर में दर्द – Lung cancer and back pain in hindi

  • अधिकतर लोगों को कमर में दर्द होना काफी आम है और कमर दर्द होने वाले हर व्यक्ति को लंग कैंसर होना जरूरी नही है.
  • फेफड़ों के कैंसर वाले हर रोगी को कमर में दर्द नही होता है लेकिन काफी सारे रोगियों को दर्द होता है.
  • कुछ लोगों के लिए कमर में दर्द लंग कैंसर का पहला लक्षण होता है.
  • कमर में दर्द लंग में विकसित हो रहे ट्यूमर पर प्रेशर के कारण होता है.
  • कैंसर वाले ट्यूमर के बढ़ने पर स्पाइनल कॉर्ड का कंप्रेशन बढ़ सकता है.

इसके कारण निम्न कंडीशन हो सकता है जैसे –

  • हाथ और पैर कमज़ोर होना
  • पैर और फीट में सुन्न होना और कुछ भी महसूस न होना
  • यूरिनरी और बाऊल को कंट्रोल करने में परेशानी
  • स्पाइनल ब्लड सप्लाई की समस्या 

बिना उपचार के यह कमर में दर्द काफी खराब हो सकता है. इसके उपचार में सर्जरी, रेडिएशन या कीमोथेरेपी ट्यूमर को हटा या छोटा कर सकती है. इसके अलावा डॉक्टरों द्वारा एनएसएड्स और दर्द निवारक दवाएं दी जाती है.

लंग कैंसर के रिस्क फैक्टर कौन से है? – What are the risk factors of lung cancer in hindi?

  • इसके सबसे बड़े रिस्क फैक्टरों में से एक स्मोकिंग है.
  • तंबाकू में कई हज़ार टॉक्सिक पदार्थ होते है.
  • इसके अलावा वातावरण में मौजूद ऐसी बहुत सारी गैस है जिनसे लंग कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है.
  • इस तरह की गैस से स्मोकिंग न करने वाले लोगों को भी खतरा रहता है.
  • चेस्ट पर हुई रेडिएशन थेरेपी के कारण भी लंग कैंसर हो सकता है.
  • पारिवारिक इतिहास या कहे फैमिली हिस्ट्री भी इसके रिस्क को बढ़ाते है.
  • स्मोकर होने पर पहले से फेफड़ों के कैंसर की हिस्ट्री

लंग कैंसर और स्मोकिंग – lung cancer and smoking in hindi

  • जरूरी नही कि हर किसी स्मोकर को लंग कैंसर हो जाएं लेकिन लंग कैंसर वाले रोगियों में स्मोकिंग इसका मुख्य कारण होती है.
  • सिग्रेट, सीगर आदि को फेफड़ों के कैंसर से लिंक किया जा सकता है.
  • जितना ज्यादा और लंबे समय तक स्मोक करेंगे उतना ही कैंसर बनने का रिस्क रहेगा.
  • तंबाकू उत्पादों में काफी सारे केमिकल होते है जिससे कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
  • तंबाकू प्रोडक्ट में होने वाले केमिकल ब्लडस्ट्रीम से पूरे शरीर में फैलकर अन्य प्रकार के कैंसर विकसित होने का रिस्क बढ़ा देते है.

फेफड़ों के कैंसर का निदान कैसे होता है? – Lung cancer diagnosis in hindi

इसके लिए शारीरिक जांच के साथ साथ कुछ टेस्ट किए जाते है जैसे –

  • इमेजिंग टेस्ट – एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन, पीईटी स्कैन आदि जिनमें छोटे से छोटे घावों को देखा जाता है.
  • स्पूटम साइटोलॉजी – खांसी के दौरान बलगम होने पर उसे माइक्रोस्कोप से देखा जाता है और कैंसर सेल्स का पता लगाया जाता है.

बायोप्सी से यह पता लगाया जाता है कि ट्यूमर सेल्स में कैंसर है या नही, जिसके लिए टिश्यू का सैंपल लिया जाता है. जिसमें – 

  • ब्रोंकोस्कोपी – इसमें लाइट वाली ट्यूब को गले से फेफड़ों तक डाला जाता है और देखा जाता है.
  • मीडियास्टीनोस्कोपी – इसके लिए गर्दन पर चीरा लगाकर लाइट वाली ट्यूब आदि के साथ सर्जरी वाले टूल्स की मदद से लिम्फ नोडस् के सैंपल लिए जाते है. इसे करने के लिए जनरल एनेस्थिसिया दिया जाता है.
  • नीडल – इमेजिंग टेस्ट के बाद में चेस्ट वॉल में नीडल को अंदेशे वाले लंग टिश्यू का सैंपल लिया जाता है. 

टिश्यू के सैंपल को लैब में टेस्ट के लिए भेजा जाता है. इसके रिजल्ट पॉजिटिव आने पर कैंसर की पुष्टि हो जाती है. 

फेफड़ों के कैंसर का इलाज क्या है? – lung cancer treatment in hindi

उपचार की शुरूआत करने से पहले दूसरे डॉकटर से बात करके विचार जाने लेने चाहिए. आमतौर पर फेफड़ों में कैंसर का निदान किए जाने पर –

  • मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट
  • रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट
  • फेफड़ों का स्पेशिलिस्ट
  • चेस्ट और फेफड़ों का विशेषज्ञ डॉक्टर

उपचार शुरू करने से पहले डॉक्टर से विकल्प जान लेने चाहिए. नॉन स्माल सेल लंग कैंसर (NSCLC) का इलाज एक से दूसरे व्यक्ति पर अलग होता है.

  • स्टेज 1 (NSCLC) – फेफड़ों के भाग को निकालने के लिए सर्जरी, जबकि फिर से होने के रिस्क को देखते हुए कीमोथेेरेपी भी की जाती है.
  • स्टेज 2 (NSCLC) – लंग के पार्ट्स को निकालने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है. साथ ही कीमोथेरेपी भी दी जाती है.
  • स्टेज 3 (NSCLC) – इसमें कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी तीनों की जरूरत पड़ती है.
  • स्टेज 4 (NSCLC) – इसे क्योर करना मुश्किल होता है लेकिन विकल्प जैसे रेडिएशन, कीमो, टारगेटिड थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी की जाती है.

जबकि स्माल सेल लंग कैंसर के लिए भी सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी दी जाती है.

फेफड़ों के कैंसर के घरेलू उपचार क्या है? – What are the home remedies for lung cancer in hindi?

घरेलू उपचार या होम्योपैथी दवाएं कैंसर को ठीक नही कर सकते है. लेकिन कुछ घरेलू उपचार इसके लक्षणों में राहत देने के साथ साथ उपचार के साइड इफेक्ट को कम कर सकते है. 

किसी भी नए सप्लीमेंट आदि को लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इसके वैकल्पिक उपचार में –

  • मसाज – इससे दर्द और घबराहट में आराम मिलता है. इसके लिए प्रशिक्षित थेरेपीस्ट होना चाहिए.
  • योग – सांस से संबंधित प्राणायम, मेडिटेशन, स्ट्रेचिंग से बेहतर हेल्थ और नींद अच्छी आती है.
  • एक्यूपंचर – इसे प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए. जिससे मतली, उल्टी और दर्द में आराम मिलें.
  • मेडिटेशन – इससे तनाव को कम करके जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है.

खाने पीने के टिप्स –

  • भूख लगने पर भोजन खाएं.
  • ज्यादा भूख न लगने पर भोजन को छोटे हिस्सों में बांटे.
  • वजन बढ़ाने के लिए लो शुगर सप्लीमेंट, हाई कैलोरी ड्रिंक्स आदि ले सकते है.
  • बेहतर पाचन के लिए मिंट या अदरक की चाय जरूर लें. 
  • मुँह के छाले या पेट खराब होने पर तीखा भोजन न खाएं.
  • कब्ज होने पर भोजन में फाइबर का अधिक मात्रा लें.

अंत में

जब कैंसर एक बार आपके लिम्फ नोड्स या ब्लडस्ट्रीम में घूस जाता है तब इसके शरीर में कही भी फैलने के मौके बढ़ जाते है. इसके अलावा आयु, पूरी हेल्थ, उपचार के प्रति शरीर की सक्रियता आदि मुद्दों पर फेफड़ों से पीड़ित व्यक्ति के लाइफ के बारे में बताया जा सकता है.

(फेफड़ों की क्षमता कैसे बढ़ाएं जानें

किसी अन्य समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से संपर्क कर सलाह ली जानी चाहिए.

References –

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