इस लेख में आप जानेंगे मैग्नीशियम की कमी के लक्षणों के बारे में –

मैग्नीशियम की कमी के लक्षण – magnesium deficiency symptoms

अस्थमा

  • गंभीर अस्थमा से पीड़ित लोगों में कभी कभी मैग्नीशियम की कमी देखने को मिलती है. (जानें – अस्थमा का होम्योपैथी इलाज)
  • साथ ही अस्थमा रोगियों में मैग्नीशियम लेवल हेल्दी लोगों की तुलना में कम देखने को मिलते है.
  • रिसर्चर के अनुसार, मैग्नीशियम की कमी के कारण मांसपेशियों और फेफड़ों के मार्ग में कैल्शियम जमा हो सकता है.
  • इस कारण सांस की नली सिकुड़ जाती है जिससे सांस लेना कठिन हो जाता है.
  • जिन लोगों के लिए यह लक्षण जीवन-हानि का संकेत होते है उन्हें इंजेक्शन देना अधिकांश मामलों में अधिमानित होते है.

थकान और कमजोर मांसपेशियां

  • शारीरिक या मानसिक थकान के कारण कमजोरी आना मैग्नीशियम की कमी के लक्षणों में से एक है.
  • ध्यान रहें समय समय पर सभी को थकान होती है जिसका अर्थ है कि आपको आराम की जरूरत है.
  • लेकिन थकान के बने रहने या गंभीर होने के मामले हेल्थ समस्या को दर्शाते है.
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि कमजोरी का कारण मांसपेशी सेल्स में पोटेशियम की कमी के कारण होता है.

मानसिक हेल्थ डिसऑर्डर

  • मैग्नीशियम की कमी के कारण संभावित परिणामों में से एक मानसिक हेल्थ डिसऑर्डर है. (जानें – मानसिक हेल्थ के बारे में)
  • इसके दौरान मानसिक सुन्नता या भावनाएं न होना शामिल है.
  • गंभीर कमी के कारण कोमा आदि भी हो सकता है.
  • कुछ अध्ययनों में देखने को मिला है कि लो मैग्नीशियम लेवल के कारण डिप्रेशन का रिस्क बढ़ जाता है.
  • वैज्ञानिकों के अनुसार मैग्नीशियम की कमी के कारण घबराहट की समस्या हो सकती है.
  • कुछ लोगों को कमी के कारण नर्व डिसफंक्शन और मानसिक समस्याएं हो सकती है.

अनियमित हार्टबीट

  • दिल की धड़कन का अनियमित होना मैग्नीशियम की कमी के सबसे गंभीर लक्षणों में से एक है.
  • कुछ लोगों को हार्ट बीट के बीच पॉज होने की समस्या हो सकती है.
  • अन्य लक्षणों में सीने में दर्द, बेहोशी, सिर चकराना, सांस की कमी होना आदि.
  • गंभीर मामलों में हार्ट फेलियर या स्ट्रोक का रिस्क बढ़ जाता है.
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, पोटेशियम लेवल के असंतुलन के कारण मैग्नीशियम की कमी हो सकती है.
  • ऐसे लोगों को मैग्नीशियम का इंजेक्शन हार्ट फंक्शन को बेहतर कर सकता है.

हाई ब्लड प्रेशर

  • जानवरों पर हुए अध्ययनों में देखने को मिला है कि मैग्नीशियम की कमी के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है जिससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है जो हार्ट रोग के रिस्क फैक्टर में से एक है.
  • कुछ विश्लेषणात्मक अध्ययनों के अनुसार, लो मैग्नीशियम लेवल या खराब डाइटरी सेवन के कारण ब्लड प्रेशर का लेवल बढ़ सकता है.
  • कई समीक्षाओं में देखा गया है मैग्नीशियम सप्लीमेंट से हाई ब्लड प्रेशर कम हो जाता है.
  • हालांकि, इस विषय के बारे में अधिक अध्ययनों की जरूरत है.

ऑस्टियोपोरोसिस

  • कमजोर हड्डियों और फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाने से इस कंडीशन के रूप में जाना जाता है.
  • इस कंडीशन के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार होते है जैसे एजिंग, एक्सरसाइज कम करना, विटामिन डी और के का खराब सेवन करना शामिल है.
  • मैग्नीशियम की कमी के कारण खून में कैल्शियम के लेवल की कमी होने के कारण हड्डियां कमजोर हो सकती है.

मांसपेशियों में ऐंठन

  • ऐंठन, झटके आदि मैग्नीशियम की कमी के संकेत है.
  • खराब मामलों में कमी के कारण दौरे या भ्रम की स्थिति हो सकती है.
  • वैज्ञानिकों के अनुसार यह लक्षण नर्व सेल्स में कैल्शियम के तेज फ्लो के कारण होता है जिससे मांसपेशी की नर्व हाइपर उत्तेजित हो जाती है.
  • मांसपेशियों की ऐंठन के अन्य कारण भी हो सकते है जैसे बहुत अधिक तनाव या कैफीन उपयोग के कारण भी यह हो सकता है.
  • कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण या न्यूरोलॉजिकल रोग के लक्षण के चलते यह हो सकता है.

मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा कैसे लें

  • इसके लिए मैग्नीशियम रिच फूड्स का सेवन कर सकते है.
  • बादाम, पॉपकॉर्न, कद्दू के बीज, पीनट, डार्क चॉकलेट में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा होती है.
  • मैग्नीशियम के अन्य सोर्स में अलसी के बीज, कॉफी, ओट्स, काजू, कोकोआ, सूरजमुखी के बीज, हेजलनट्स आदि शामिल है.

अंत में

शरीर में मैग्नीशियम की कमी को हाइपोमैग्नेसेमिया कहा जाता है, शायद ही इसे हेल्थ समस्या के रूप में जाना जाता है.

जबकि शरीर में मैग्नीशियम के लेवल बहुत ज्यादा कम हो जाने तक कोई संकेत नहीं दिखते है. वहीं मैग्नीशियम की कमी के कारण अलग-अलग हो सकते है.

मैग्नीशियम की कमी के कारण होने वाली हेल्थ समस्याओं में डायबिटीज, क्रोनिक डायरिया, खराब अवशोषण, सेलिएक रोग आदि हो सकते है. साथ ही शराब के अधिक सेवन से इसका रिस्क कहीं अधिक बढ़ सकता है.

इसकी कमी को दूर करने के लिए आप मैग्नीशियम रिच फूड्स का सेवन कर सकते है. इनको डाइट में शामिल करने से संपूर्ण हेल्थ को बेहतर किया जा सकता है.

References –

 

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