इस लेख में आप जानेंगे मिनरल की कमी क्या होती है, प्रकार, कारण, लक्षण, निदान और इलाज –
मिनरल की कमी क्या होती है? – what is mineral deficiency?
- शरीर के सही से फंक्शन करने के लिए जरूरी विशेष पोषक तत्व मिनरल होते है.
- जब शरीर मिनरल को सही मात्रा में अवशोषित नहीं कर पाता है तो मिनरल की कमी देखने को मिलती है.
- हमारे शरीर को हेल्दी रहने के लिए सभी जरूरी मिनरल की सटीक मात्रा की जरूरत होती है.
- सामान्य रूप से हम लोग अपने भोजन, फूड प्रोडक्ट, फल आदि से रोजाना की करीब 97 फीसदी मिनरल की जरूरतों को पूरा कर लेते है. (जानें – रेड ब्लड सेल्स को कैसे बढ़ाएं)
- मिनरल की कमी समय के साथ धीरे-धीरे कई कारणों के चलते होती है.
- मिनरल की कमी के कारणों में भोजन में सही मात्रा का न मिल पाना, शरीर द्वारा मिनरल का अवशोषण ठीक प्रकार से करने में सक्षम न हो पाने के कारण हो सकती है.
- जबकि मिनरल की कमी के कारण कई हेल्थ समस्याएं हो सकती है जैसे कमजोर हड्डियां, थकान, कमजोर इम्यून सिस्टम आदि.
मिनरल की कमी के प्रकार कितने है?
आयरन की कमी
- शरीर में आधे से ज्यादा आयरन रेड ब्लड सेल्स होते है.
- जबकि आयरन हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन का मुख्य भाग होता है जो एक प्रकार का प्रोटीन होने के साथ ही प्रत्येक टिश्यू तक ऑक्सीजन पहुंचाता है.
- आयरन की कमी लंबे समय तक रहने से अनेमिया का रिस्क बढ़ जाता है.
- जिसके कारण थकान रहना, प्रदर्शन में गिरावट, बच्चों में विकास धीमा होना आदि होता है.
पोटेशियम की कमी
- यह मिनरल शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के जैसे फंक्शन करता है.
- यह मांसपेशी के सही फंक्शन, नर्व सिग्नल का ट्रांसमिशन, सही हार्ट फंक्शन के लिए जरूरी है.
- पोटेशियम की जरूरत शरीर में अन्य एंजाइम द्वारा कार्ब्स को एनर्जी में बदलने के लिए होती है.
- इसकी बेस्ट सोर्स में फल और सब्जियां शामिल है जैसे काले, एवोकाडो, हरी पत्तेदार सब्जी, आलू आदि शामिल है.
- पोटेशियम की कमी के सबसे आम कारणों में फ्लूइड लॉस के साथ ही उल्टी, किडनी रोग के अलावा दवाओं के उपयोग के कारण हो सकते है.
- इसके लक्षणों में मांसपेशी ऐंठन और कमजोरी शामिल है.
- अन्य लक्षणों में कब्ज, पेट फूलना, पेट दर्द आदि.
- जबकि कमी के गंभीर होने पर मांसपेशियों का पैरालाइज या अनियमित दिल की धड़कन हो सकती है.
मैग्नीशियम की कमी
- शरीर को कई सारे केमिकल रिएक्शन के लिए मैग्नीशियम की जरूरत पड़ती है.
- इस शरीर के केमिकल रिएक्शन में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना और ब्लड प्रेशर को सामान्य रखना शामिल है.
- जबकि मांसपेशी, नर्व, दिमाग के फंक्शन, मेटाबॉलिज्म को एनर्जी देना, प्रोटीन का प्रोडक्शन आदि मैग्नीशियम से कंट्रोल होता है.
- शरीर का करीब 60 फीसदी मैग्नीशियम हड्डियों में जबकि 40 फीसदी मांसपेशी और सॉफ्ट टिश्यू सेल्स में होता है.
- पालक, पूर्ण अनाज, बीज, नट्स, दाल आदि मैग्नीशियम के अच्छे सोर्स होते है.
- हेल्दी लोगों में मैग्नीशियम की कमी होना काफी रेयर है.
- शराब आदि के कारण इसकी कमी हो सकती है.
- मैग्नीशियम की कमी के कारण मतली, उल्टी, थकान, कमजोरी, भूख न लगना शामिल है.
- वहीं समय से इलाज न कराने पर दौरे, मांसपेशी ऐंठन, सुन्न होना, टिंगलिंग आदि शामिल है.
जिंक की कमी
- शरीर के मेटाबॉलिज्म के कई पहलुओं में जिंक अहम भूमिका निभाता है.
- जिसमें घाव भरना, इम्यून सिस्टम फंक्शन आदि शामिल है.
- यह बचपन, व्यस्क, प्रेगनेंसी के दौरान विकास और सही ग्रोथ के लिए भी जरूरी है.
- जिंक के सोर्स में डेयरी प्रोडक्ट, पूर्ण अनाज, नट्स, दाल आदि शामिल है.
- जिंक की कमी के कारण भूख कम लगना, स्वाद या गंध न आना शामिल है.
- साथ ही इम्यून सिस्टम के फंक्शन का स्लो होना शामिल है.
कैल्शियम की कमी
- मजबूत दांतों और हड्डियों के लिए कैल्शियम जरूरी होता है.
- यह ब्लड वैसल्स, मांसपेशियां, नर्व और हार्मोन के सही फंक्शन को सपोर्ट करते है.
- कैल्शियम के नैचुरल सोर्स में दूध, दही, चीज, मटर, राजमा आदि होते है.
- जबकि सब्जियों में ब्रोकली, काले, गोभी आदि भी कैल्शियम उपलब्ध कराते है.
- कैल्शियम की कमी शरीर में लंबे समय तक रहने पर ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क बढ़ जाता है.
- कुछ दवाओं या सर्जरी जैसे पेट या किडनी फेलियर के कारण भी कैल्शियम की कमी हो जाती है.
- जिसके चलते थकान, भूख न लगना, फिंगर में टिंगलिंग, मांसपेशियों की ऐंठन, सुन्न होना, अनियमित दिल की धड़कन होना शामिल है.
मिनरल की कमी के कारण क्या है?
- मिनरल की कमी के कारणों में से एक भोजन या सप्लीमेंट से इसकी सही मात्रा प्राप्त न कर पाना है.
- ऐसी कई प्रकार की डाइट है जिनके कारण कमी हो सकती है.
- खराब डाइट जिसमें जंक फूड या फल, सब्जियों का सही मात्रा में न होना इसके संभावित कारणों में से एक है.
- कम कैलोरी वाली डाइट के कारण भी यह हो सकता है.
- इसमें वेट लॉस प्रोग्राम या भोजन डिसऑर्डर वाले लोग शामिल है.
- फूड एलर्जी या वीगन डाइट वाले लोगों को भी इसका रिस्क रहता है.
- पाचन में परेशानी या पोषक तत्वों के ठीक से अवशोषण न करने के कारण लिवर समस्या, गालब्लैडर, आंत, किडनी, पाचन तंत्र की सर्जरी, शराब का अधिक सेवन करना.
- इसके अलावा दवाएं जैसे एंटासिड, एंटीबायोटिक्स, लैक्सेटिव आदि के कारण भी मिनरल की कमी हो सकती है.
मिनरल की कमी के लक्षण क्या है?
- कब्ज
- पेट फूलना
- डायरिया
- पेट दर्द
- भूख की कमी
- उल्टी
- मतली
- इम्यून सिस्टम कमजोर होना
- मांसपेशियों की ऐंठन
- कमजोरी
- थकान
- बच्चों में धीमा मानसिक विकास
- एकाग्रता की कमी
- सुन्न होना या टिंगलिंग
इसके अलावा –
- आपको एक या अधिक लक्षण दिखाई दे सकते है और गंभीरता अलग हो सकती है.
- कुछ लक्षण इतने छोटे हो सकते है कि आप नोटिस न करें और निदान न कर पाए.
- थकान के लंबे समय तक बने रहने या अनुभव करने, कमजोरी या एकाग्रता की परेशानी होने पर तुरंत मेडिकल सहायता ली जानी चाहिए.
मिनरल की कमी का निदान कैसे करें?
- डॉक्टर द्वारा शारीरिक परीक्षा की जाती है.
- मेडिकल हिस्ट्री के साथ ही पारिवारिक हिस्ट्री भी पूछी जाती है.
- अपनी डाइट और भोजन की आदतें का ध्यान रखा जाता है.
- नियमित ब्लड टेस्ट जिसमें सीबीसी और ब्लड में मिनरल की जांच शामिल है.
- अन्य कंडीशन का पता लगाने के लिए अन्य टेस्ट किए जा सकते है.
मिनरल की कमी का इलाज कैसे होते है?
सप्लीमेंट
- कुछ मिनरल की कमी होने पर सिर्फ उन्हें डाइट से ही सही नहीं किया जा सकता है.
- इसके लिए आपको मल्टी विटामिन या मिनरल सप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है.
- सप्लीमेंट को आप अकेले या अन्य सप्लीमेंट के साथ शरीर से अवशोषण करके किया जा सकता है.
- उदाहरण के लिए विटामिन डी को कैल्शियम के साथ लिया जाता है.
डाइटरी बदलाव
- हल्की मिनरल की कमी होने पर डाइटरी बदलाव से मदद मिल सकती है.
- डाइट में आयरन की कमी के कारण अनेमिया होने पर आयरन रिच डाइट ली जानी चाहिए.
References –
- http://apps.who.int/iris/bitstream/handle/10665/43894/9789241596657_eng.pdf;jsessionid=77CDFE7A31F82B9F57BB9D87E68336BD?sequence=1
- https://lpi.oregonstate.edu/mic/minerals/potassium
- https://ods.od.nih.gov/factsheets/Magnesium-HealthProfessional/
- https://ods.od.nih.gov/factsheets/Iron-HealthProfessional/
- https://ods.od.nih.gov/factsheets/Calcium-HealthProfessional/