इस लेख में आप जानेंगे स्किन कैंसर के लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में –
स्किन कैंसर के लक्षण – skin cancer symptoms in hindi
सुर्य श्रृंगीयता (एक्टिनिक कैराटॉसिस)
एक्टिनिक कैराटॉसिस को प्रीकैंसर के रूप में जाना जाता है. यह एक प्रकार का स्कैली या उभार वाला घाव होता है. यह शरीर पर कई जगहों पर दिखाई दे सकता है.
यह सब जगह सूर्य के संपर्क में आसानी से आ जाती है. इस तरह के घाव इतने छोटे होते है कि वह छूने से पता लगते है. समय के साथ यह बढ़ते है और स्किन पर छोटे पैच के जैसे महसूस होते है. इस तरह के घाव लाल हो जाने के अलावा काले या पिंक भी हो सकते है. इसके अलावा वह स्किन के रंग जैसे भी रह सकते है.
एक्टिनिक कैराटॉसिस का शुरूआत होने पर इलाज होना जरूरी है. बिना उपचार किए गए घावों का स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होने के आसार रहते है.
बेसल सेल कार्सिनोमा
बेसल स्किन सेल में विकसित होने वाला बेसल सेल कार्सिनोमा के सेल्स एपिडर्मिस के नीचे स्किन की आउटर लेयर में होते है.
बेसल सेल कार्सिनोमा अलग अलग रूप में दिखाई देता है जैसे –
- 7 से 10 दिन के बाद भी ठीक न होने वाले छाले.
- लाल पैच जिसमें खुजली, दर्द, उभार या खून निकलना होता है.
- हल्की त्वचा का रंग होने पर पिंक, लाल या सफेद उभार दिख सकता है.
- गहरा त्वचा का रंग होने पर टैन, ब्लैक या ब्राउन दिख सकती है.
इस प्रकार का स्किन कैंसर सूर्य के प्रति ज्यादा एक्सपोज़र वाले एरिया पर दिखाई देते है. बेसल सेल कार्सिनोमा का आसानी से इलाज किया जा सकता है. इस तरह की ग्रोथ धीरे धीरे होती है और इसका दूसरे अंगों तक फैलने या मांसपेशी, हड्डियाँ या नर्व तक फैलने के मौके कम होते है.
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा
सूर्य की रोशनी पर एक्सपोज़ रहने वाले पार्ट्स पर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के होने के मौके अधिक होते है. यह मुँह के अंदर या जननांगों पर भी हो सकता है. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के कारण होने वाला ट्यूमर के कई प्रकार हो सकते है जैसे –
- खून निकलने वाले स्कैली और लाल पैच
- खुले हुए छाले जो भरते नही और खून निकलता है
- मस्सों के रूप में होने वाली ग्रोथ जिससे खून निकलता है
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के कारण भी ऐंठन और गंभीर खुजली के साथ त्वचा की जलन महसूस होती है. इसे खुजाने से इंफेक्शन बढ़ता है जिसका उपचार एंटीबायोटिक्स से किया जाता है.
इलाज न किए जाने पर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा ज्यादा विकसित हो सकता है. गंभीर मामलों में यह घाव दूसरे अंगों तक फैल सकते है.
मेलानोमा
यह स्किन कैंसर के सबसे आम प्रकारों में से नही है. लेकिन यह सबसे गंभीर होते है. यह महिलाओं में पैरो पर विकसित होने के अलावा पुरूषों में चेस्ट, कमर, सिर और गर्दन पर हो सकते है. हालांकि, इस प्रकार का स्किन कैंसर शरीर या आंखों पर भी हो सकता है.
असममात्रिक
- अगर आप हेल्दी मस्से के बीच में लाइन बनाए तो उसके दोनों साइड बराबर नज़र आएंगे.
- कैंसर वाले मस्से असममात्रिक होते है.
- इसका मतलब है कि कैंसर वाले मस्से का आधा भाग दूसरे से अलग दिखता है.
बार्डर
- मस्से के बार्डर आदि बराबर आकार के होते है.
- जबकि इसका असमान होना कैंसर का चिन्ह हो सकता है.
रंग में बदलाव
- यह अलग अलग रंगों जैसे काला, ब्राउन, लाल, सफेद या नीले रंग का हो सकता है.
- इसके रंगों में बदलाव कैंसर के कारण हो सकता है.
डायमीटर
- 6 एमएम से अदिक डायमीटर वाला मस्सा स्किन कैंसर का लक्षण हो सकता है.
इसके अलावा किसी भी नए मस्से या तील के बनने का ध्यान रखा जाना चाहिए. साथ ही मस्सों के साइज़ व रंग का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.
स्किन कैंसर का इलाज – treating skin cancer in hindi
अधिकतर प्रकार के स्किन कैंसर जिनको शुरूआत में निदान कर लिया जाता है, उनका इलाज घाव को हटाकर किया जाता है. इसे कई तरह से किया जा सकता है जैसे –
क्रायोसर्जरी
- कैंसर के विकास पर लिक्विड नाइट्रोजन लगाई जाती है.
- इससे वह मस्सा बिना चिरा लगाए, निकलकर गिर जाता है या सिकुड़ जाता है.
- इस तरीके से अधिकतर एक्टिनिक कैराटॉसिस का इलाज किया जाता है.
क्रीम
- इस पर डॉक्टर कुछ टॉपीकल दवाएं इमीक्वीमॉड आदि लगा सकते है.
- इन क्रीम को कुछ हफ्तों तक इस्तेमाल कर एक्टिनिक कैराटॉसिस और बेसल सेल कार्सिनोमास के इलाज के लिए किया जाता है.
क्यूर्टटेज़ और इलैक्ट्रोडेस्सिकेशन
- इसमें मस्से आदि जैसी ग्रोथ को एक क्यूर्टे नाम के इंस्ट्रूमेंट की मदद से हटा दिया जाता है.
- इसके बाद उस एरिया को इलैक्ट्रोकॉटेरी नीडल की मदद से बचे हुए कैंसर सेल्स को खत्म कर दिया जाता है.
सर्जरी
- इसमें स्कैपल की मदद से हेल्दी दिखने वाली स्किन ग्रोथ को हटा दिया जाता है.
- इसके बाद हटा गई स्किन का कैंसर टेस्ट किया जाता है.
- कैंसर सेल्स मिलने पर प्रक्रिया को दोहराया जाता है.
- लिम्फ नोड्स या दूसरे अंगो तक फैल चुके कैंसर के इलाज में ज्यादा तीव्र इलाज की जरूरत पड़ती है.
- जिसमें किमोथेरेपी या सर्जरी शामिल है.
किसी भी समस्या या लक्षण होने पर डॉक्टर से संपर्क कर सलाह ली जानी चाहिए. जिससे वह आपको बेहतर उपचार उपलब्ध करा सकें.
स्किन कैंसर से बचाव – preventing skin cancer in hindi
- 30 एसपीएफ वाली सनस्क्रीन का इस्तेमाल रोजाना करना.
- बाहर निकलने से कम से कम 15 से 30 मिनट पहले बाहर निकलना.
- ज्यादा पसीना या स्वीमिंग करने पर हर दो घंटों में सनस्क्रीन लगाना.
- सूर्य की तेज़ रोशनी वाले समय में बाहर निकलने से बचे.
- जरूरत पड़ने पर बाहर निकलने पर काले चश्मे, टोपी और हल्के रंग के कपड़े जिससे आपका शरीर ढ़का रहें.
- महीने में कम से कम एक बार अपनी स्किन की जांच करें.
- नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराएं.
अंत में
त्वचा का कैंसर अधिकतर हमारे शरीर के उन्ही हिस्सों की स्किन में होता है जो सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट (यूवी) रेज़ के एक्सपोज़र के कारण होता है. आमतौर पर यह चेहरे, चेस्ट, भुजाएं और हाथ पर हो सकता है.
इसके अलावा स्किन कैंसर कम एक्सपोज़र वाले शरीर के हिस्सों पर भी हो सकता है जैसे –
- नाखूनों के नीचे
- गर्दन
- लिप्स
- कान
- स्कैल्प (खोपड़ी)
- जननांग
- पैरों के तलवे (फीट)
स्किन कैंसर की शुरूआत संदेहपूर्ण मस्सा, स्पॉट के रूप में होती है. जिसके साथ स्किन कैंसर के प्रकार के अनुसार लक्षण दिखाई देते है.
इसके अलावा किसी भी समस्या आदि के होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए. साथ ही उन्हें पूरी स्थिति के बारे में अवगत कराना चाहिए.
References –