इस लेख में आप जानेंगे स्लीप डिसऑर्डर (नींद संबंधी विकार) के बारे में – क्या होता है, इसके प्रकार, लक्षण, कारण, निदान और इलाज –

नींद संबंधी विकार क्या होते है – what are sleep disorders in hindi

  • कई सारी कंडीशन का एक ग्रुप जो नियमित रूप से आपकी नींद को प्रभावित करें, तो उसे स्लीप डिसऑर्डर कहा जा सकता है.
  • इसके होने के कारण कोई हेल्थ समस्या या बहुत अधिक तनाव हो सकता है.
  • दुनियाभर में लोग इस समस्या से परेशान है.
  • अधिकतर मामलों में तनाव, भाग-दौड़ वाली लाइफ़ समेत अन्य कारणों का सामना करने वाले लोगों को इसका अनुभव होता है.
  • जब यह मुद्दा नियमित रूप से होने लगे और आपकी नींद को प्रभावित करने लगे तो इसे स्लीप डिसऑर्डर माना जाता है.
  • नींद संबंधी विकार के प्रकार के आधार पर लोगों को नींद आने में परेशानी होती है.
  • इसके अलावा पूरे दिन के दौरान बहुत अधिक थकान रहती है.
  • कम नींद लेने के हेल्थ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते है जिसमें एनर्जी, मूड, ध्यान लगाने में परेशानी शामिल है.
  • कुछ मामलों में नींद संबंधी विकार किसी अन्य मेडिकल या दिमागी कंडीशन का लक्षण हो सकता है.
  • कंडीशन का पता लगाकर इलाज करने से यह समस्या ठीक हो जाती है.
  • जब स्लीप डिसऑर्डर किसी अन्य कंडीशन के कारण नहीं होता है तो इलाज में दवाओं के साथ लाइफ़स्टाइल बदलाव शामिल होते है.
  • नींद डिसऑर्डर का अंदेशा होने पर तुरंत निदान और इलाज किया जाना चाहिए.
  • उपचार न मिलने पर इसके नकारात्मक प्रभाव हो सकते है जिसके कारण और भी हेल्थ समस्याएं हो सकती है.
  • साथ ही इससे आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होने समेत अन्य परेशानियां भी होती है.

स्लीप डिसऑर्डर के प्रकार क्या होते है – what are the different types of sleep disorders in hindi

रेस्टलेस लेग सिंड्रोम

  • रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (आरएलएस) एक ऐसी कंडीशन है जिसमें पैरों को स्थानांतरित करने की अत्यधिक आवश्यकता महसूस होती है.
  • यह आग्रह कभी-कभी पैरों में झुनझुनी सनसनी के साथ होता है. (जानें – पैरों के तलवे में जलन होने पर क्या करें)
  • जबकि ये लक्षण दिन के दौरान हो सकते हैं लेकिन यह रात में सबसे अधिक प्रचलित हैं.
  • यह अन्य हेल्थ कंडीशन के साथ जुड़ा होता है जिसमें एडीएचडी, पार्किंसन रोग होते है.

अनिद्रा

  • अनिद्रा या कहे नींद न आना सोने में परेशानी या बीच में उठ जाना होता है.
  • इसका कारण जेट लेग, तनाव, घबराहट, हार्मोन या पाचन समस्या हो सकते है.
  • डिप्रेशन, फोकस करने में परेशानी, वजन बढ़ना, प्रदर्शन खराब होना आदि इससे प्रभावित हो सकते है.
  • यह समस्या अधिक आयु वाले और महिलाओं में आम है.

अनिद्रा की परेशानी को तीन प्रकार में अलग किया जा सकता है जैसे – (जानें – अनिद्रा के बारे में सबकुछ)

  • क्रोनिक अनिद्रा – जो 1 महीने तक रोजाना होती है.
  • इंटरमिटेंट अनिद्रा – यह कभी कभी कुछ समय के लिए होता है.
  • ट्रांसिएंट – जब अनिद्रा कुछ रातों के लिए रहती है.

नार्कोलेप्सी

  • नार्कोलेप्सी की विशेषता “स्लीप अटैक” है जो जागते समय होती है.
  • इसका मतलब है कि आप अचानक बिना किसी चेतावनी के बेहद थकान और सो जाएंगे.
  • विकार भी स्लीप पैरालाइज का कारण बन सकता है, जो आपको जागने के बाद शारीरिक रूप से सही स्थानांतरित करने में असमर्थ बना सकता है.
  • हालांकि, नार्कोलेप्सी अपने आप हो सकता है, यह कुछ न्यूरोलॉजिकल विकारों से भी जुड़ा हुआ है, जैसे कि मल्टीपल स्केलेरोसिस आदि.

स्लीप एपनिया

  • नींद के दौरान सांस रूक रूक कर आने के स्लीप एपनिया कहा जाता है.
  • यह गंभीर मेडिकल कंडीशन होती है जिसमें शरीर में कम ऑक्सिजन पहुँचती है.
  • इसके कारण रात को कई बार नींद टूट सकती है.

इसके दो प्रकार होते है –

  • सेंट्रल स्लीप एपनिया – दिमाग और सांस को कंट्रोल करने वाली मांसपेशी के बीच कनेक्शन में समस्या.
  • ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया – संकीर्ण होने या किसी अन्य रूकावट के कारण हवा को फ्लो में बाधा आने पर यह होता है.

पैरासोमनिया

  • नींद के दौरान असामान्य गतिविधि या व्यवहार को इस कंडीशन के रूप में जाना जाता है.
  • नींद में चलना
  • नींद में बोलना
  • बिस्तर गीला करना
  • डरावने सपने आना
  • कराहना
  • दांत या जबड़े में जकड़न

नींद संबंधी डिसऑर्डर के लक्षण क्या होते है – what are the symptoms of sleep disorders in hindi

गंभीरता के आधार पर लक्षण हो सकते है. लेकिन स्लीप डिसऑर्डर के आम लक्षणों में –

  • दिन के दौरान थकान रहना
  • नींद आने या सोते रहने में परेशानी
  • दिन के दौरान नींद की आवृत्ति
  • चिड़चिड़ापन
  • घबराहट
  • डिप्रेशन
  • वजन बढ़ना
  • फोकस करने में परेशानी
  • नींद के पैटर्न में बदलाव
  • सांस लेने के पैटर्न में समस्या

स्लीप डिसऑर्डर के कारण क्या है – what causes sleep disorders in hindi

नींद के रूकावट करने वाली कई हेल्थ कंडीशन, डिसऑर्डर, रोग हो सकते है. कई मामलों में स्लीप डिसऑर्डर किसी पहले से जारी हेल्थ समस्या के कारण हो सकते है.

तनाव और घबराहट

  • नींद की गुणवत्ता पर तनाव और घबराहट का खराब असर पड़ता है.
  • ऐसे में नींद आना या बिना रूकावट नींद लेना मुश्किल होता है.
  • डरावने सपने, सोते हुए बोलना या चलना भी नींद में रूकावट डाल सकते है.

एलर्जी और सांस संबंधी समस्या

  • एलर्जी, जुकाम और ऊपरी सांस की नली का इंफेक्शन के चलते रात को सांस लेने में परेशानी हो सकती है.
  • नाक से सांस न ले पाने के कारण परेशानी अधिक हो सकती है.  

बार बार पेशाब आना

  • रात को बार बार जागकर पेशाब जाने से नींद में रूकावट हो सकती है.
  • हार्मोन बदलाव और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण यह कंडीशन विकसित हो सकती है.
  • पेशाब के साथ ब्लीडिंग या दर्द होने पर डॉक्टर से मिलकर सलाह जरूर लें.

क्रोनिक दर्द

  • गठिया
  • इंफ्लामेटरी बाउल रोग
  • लगातार सिरदर्द रहना
  • क्रोनिक फटिग सिंड्रोम
  • फिब्रोमायलज़िया
  • कमर के निचले हिस्से में दर्द रहना
  • इन कंडीशन के कारण दर्द के बने रहने से सोने में परेशानी होती है.
  • इसके लिए डॉक्टर से बात करते सलाह ली जानी चाहिए.

स्लीप डिसऑर्डर का निदान कैसे होता है – how are sleep disorders diagnosed in hindi

इसके लिए डॉक्टर द्वारा शारीरिक एक्जाम किया जाता है. साथ ही मेडिकल हिस्ट्री, लक्षणों को जाना जाता है. डॉक्टर द्वारा निम्न टेस्ट करवाएं जा सकते है –

  • पॉलीसोम्नोग्राफी – इसमें ऑक्सीजन लेवल, शारीरिक गतिविधियां, दिमाग की तरंग को देखा जाता है. जिससे स्लीप एपनिया का पता लग जाता है.
  • मल्टीपल स्लीप लटेंसी टेस्ट – इस दिन के समय के नैपिंग अध्ययन का उपयोग रात में पीएसजी के साथ संयोजन में किया जाता है ताकि नार्कोलेप्सी का निदान किया जा सके.

नींद संबंधी विकार का इलाज कैसे होता है – how are sleep disorders treated in hindi

नींद के विकारों के लिए उपचार, इसके प्रकार और अंतर्निहित कारण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं. हालांकि, इसमें आम तौर पर चिकित्सा उपचार और जीवनशैली में बदलाव शामिल होते हैं.

मेडिकल ट्रीटमेंट

  • नींद की गोलियां
  • एलर्जी
  • सर्दी खांसी की दवा
  • सर्जरी
  • डेंटल गार्ड
  • अंतर्निहित हेल्थ समस्या की दवाएं
  • मेलाटोनिन सप्लीमेंट

लाइफ़स्टाइल बदलाव

  • एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग से तनाव और घबराहट कम करना
  • रात को सोने से पहले कम पानी पीएं.
  • शराब और तंबाकू के सेवन से बचना
  • हेल्दी वजन बनाए रखना
  • नियमित समय पर सोना
  • डाइट में अधिक सब्जियों को शामिल करना

अंत में

नींद की गड़बड़ी के प्रभाव इतने विघटनकारी हो सकते हैं कि आप तुरंत राहत चाहते हैं. दुर्भाग्य से, लंबे समय वाले मामलों को हल करने में थोड़ा अधिक समय लग सकता है. हालांकि, यदि आप अपने ट्रीटमेंट प्लान के साथ बने रहते हैं और नियमित रूप से अपने चिकित्सक से बात करते हैं, तो आपको बेहतर नींद में मदद मिल सकती हैं.

References –

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