मानव शरीर की संरचना अलग होती है, जिसमें पुरूषों और महिलाओं के शरीर में भी काफी सारी भिन्नताएं होती है. अगर पुरूषों की बात करें तो प्रजनन और शरीर में ताकत के लिए अंडकोष जरूरी होते है. यह पेनिस के नीचे लटकी हुई दो बॉल जैसे होते है जिसमें प्रजनन और शरीर के विकास के लिए जरूरी हार्मोन आदि होते है.

जबकि टेस्टिकल्स में समस्या होने पर कई तरह के रोगों का ख़तरा बढ़ जाता है. पुरूषों की बात करें तो ऐसे बहुत से पुरूष होते है जिनका एक टेस्टिकल दूसरे की तुलना में अधिक लटका हुआ होता है.

दूसरे शब्दों में कहे तो अंडकोष के साइज में अंतर होता है जिसमें से एक थोड़ा बड़ा और भारी और दूसरा उससे छोटा और हल्का होता है.

आज इस लेख में हम आपको बताने वाले है इससे जुड़े सबसे आम सवाल जैसे टेस्टिस के बड़े छोटे होने की पहचान कैसे करें, इसके कारण, निदान, उपचार और जटिलताएंं – testis up and down problem solution in hindi

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दोनों टेस्टिकल में से एक का बड़ा होना और दूसरे का छोटा क्या यह कॉमन है? – is it common to have different size testis in hindi

  • दोनों में से एक टेस्टिकल का बड़ा और लटका हुआ होना जबकि दूसरे का उसकी तुलना में छोटा होना बिल्कुल नार्मल है. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि आपको इसमें दर्द महसूस नही होना चाहिए. 
  • अगर आपको लगता हैै कि आपका एक टेस्टिकल दूसरे की तुलना में बड़ा है और उसमें दर्द भी है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

मैं कैसे पता करूँ की मेरा एक टेस्टिकल दूसरे से बड़ा है?

  • ऐसा जरूरी नही कि किसी एक तरफ वाला अंडकोष ही भारी हो लेकिन इनमें बहुत ही मामूली अंतर भी हो सकता है.
  • लेकिन आपको बैठने, खड़े होने या चलने फिरने के दौरान टेस्टिकल में दर्द महसूस जैसा कोई भी लक्षण नही हैं.
  • आपके अंडकोष पर किसी भी तरह की लाली या सूजन नही है तो आपको घबराने की जरूरत नही है.
  • टेस्टिकल की शेप गोल होने की बजाएं अंडे की शेप की होती है.
  • इसमें किसी भी प्रकार का उभार आदि नही होता है और यह बहुत स्मूथ होते है.
  • लेकिन अगर आपको कोई उभार या ज्यादा सॉफ्टनेस महसूस होती है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

हेल्दी टेस्टिकल का पता कैसे लगाएं – how to diagnose healthy testicle in hindi

आप खुद के अंडकोष की जांच करना सीख सकते है जिससे आप महसूस कर किसी भी प्रकार का दर्द, उभार, ऐंठन या किसी भी टेस्टिकल में बदलाव आदि का पता लगा सकते है. इसके लिए आपका स्क्रोटम सुकड़ा हुआ आदि न होकर, ढीला होना चाहिए. ध्यान रहें कि महीने में कम से कम एक बार अपनी जांच करनी चाहिए. खुद से जांच के लिए –

  • अपने टेस्टिकल पर अंगुली और अंगूठे को धीरे से घूमाएं, इसे तेज़ी से करने की गलती न करें.
  • टेस्टिकल के नीचे से लेकर पूरा एरिया ठीक से देखे की कही उसपर किसी प्रकार का उभार, फूलाव, साइज में बदलाव, ऐंठन या दर्द आदि तो नही है.
  • स्क्रोटम के अंत में इपीडीडीमिस, स्पर्म को स्टोर करने वाली ट्यूब की भी जांच करें, यह ट्यूब के गुच्छे जैसी महसूस होती है.
  • एक टेस्टिकल पर कर लेने के बाद दूसरे टेस्टिकल पर इस प्रक्रिया को दोहराएं.

किसी एक टेस्टिकल के बड़ा होने के कारण – testis diseases causes in hindi

एपीडीडीमिटिस

  • यह इपीडीडीमिस की होने वाली सूजन होती है जिसका कारण इंफेक्शन होता है.
  • इसे एक प्रकार के एसटीआई का लक्षण होता है जिसे क्लामाइडिया कहते है.
  • पेशाब करने के दौरान किसी भी प्रकार की जलन, डिस्चार्ज, पेनिस पर सूजन या कोई असमान्य बदलाव होने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिए.

एपीडीडीमल सिस्ट

  • ज्यादा फ्लूड के कारण होने वाली इपीडीडीमिस की ग्रोथ होती है.
  • इससे कोई नुकसान नही होता है और न ही किसी उपचार की जरूरत पड़ती है.

ओरकाइटिस

  • यह अंडकोष पर होने वाली एक प्रकार की सूजन होती है जो इंफेक्शन या वायरस के कारण होती है.
  • अगर आपको कोई दर्द आदि महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.

हाइड्रोसील

  • टेस्टिकल के आस पास बनने वाला फ्लूड जिसके कारण सूजन होती है.
  • उम्र बढ़ने के साथ ही फ्लूड बनना नार्मल हो जाता है और आपको उपचार की जरूरत नही पड़ती है.
  • हालांकि यह सूजन होना भी होता है.

वैरीकोसेल

  • स्क्रोटम की नसों का बड़ा हो जाने की स्थिति को वैरीकोसेल कहा जाता है.
  • इसके कारण लो स्पर्म काउंट हो सकता है.
  • इसके साथ किसी अन्य लक्षण के न होने पर इसके उपचार की जरूरत नही पड़ती है.

टेस्टिकुलर टॉर्सन

  • अंडकोष के ज्यादा घूमने से स्पर्मेटिक कॉर्ड मूड जाती है इसे टेस्टिकुलर टॉर्सन भी कहते है.
  • इसके होने पर टेस्टिकल तक खून धीरे या पहुँचना बंद हो जाता है.
  • चोट लगने के बाद लगातार टेस्टिकल्स में दर्द रहने पर या कभी भी दर्द होने आदि स्थिति में डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए.
  • टेस्टिकुलर टॉर्सन एक प्रकार की इमरजेंसी कंडीशन है जिसमें तुरंत चिकित्सा सहायता की जरूरत होती है.

टेस्टिकुलर कैंसर

  • जब किसी के टेस्टिकल्स में कैंसर के सेल्स बनने लगते है तो उस स्थिति को टेस्टिकुलर कैंसर कहा जाता है.
  • अगर आप अपने टेस्टिकल्स पर या इनके आसपास किसी प्रकार ग्रोथ या उभार महसूस करते है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

डॉक्टर से कब मिलना चाहिए – testis disease symptoms in hindi

नीचे बताएं गए किसी भी लक्षण के दिखने पर डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए –

इसके अलावा डॉक्टर के पास जाने पर वह आपके स्क्रोटम की जांच करेंगे जिसमें यह देखा जाएगा कि कही किसी प्रकार की कोई ग्रोथ या कोई असमान्यता को पैदा नही हो रही है. टेस्टिकुलर कैंसर की संभावना लगने पर आपकी फैमली और मेडिकल हिस्ट्री आदि पूछी जा सकती है.

अंडकोष की समस्या का निदान करने के लिए – how to diagnose testicular problems in hindi

  • यूरीन टेस्ट – किडनी या इंफेक्शन की स्थिति का पता लगाने के लिए पेशाब की जांच की जाती है.
  • ब्लड टेस्ट – इसमें खून के नमूने लिए जाते है जिससे ट्यूमर मार्कर का पता लगता है जो कैंसर को दर्शाते  है.
  • अल्ट्रासाउंड – अंडकोष के अंदर देखने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड ट्रांसडूसर और जेल का उपयोग कर सकते है. इससे उन्हें अंडकोष में ब्लड फ्लो या ग्रोथ देखने में मदद मिलती है जिससे टॉर्सन या कैंसर का पता लगता है.
  • सीटी स्कैन – इसके दौरान प्रभावित भाग की बहुत सारी तस्वीरे ली जाती है जिससे किसी भी प्रकार की असमान्यता का पता लगता है.

अंडकोष की समस्या का उपचार – testis disease treatment in hindi

ऐसा काफी सारे मामलों में देखने को मिलता है कि उपचार की जरूरत नही होती है. लेकिन अगर आप किसी दूसरे लक्षण या गंभीर कंडीशन का सामना कर रहे है तो डॉक्टर आपको ट्रीटमेंट प्लान दे सकते है जिसमें अलग अलग स्थितियों के अलग उपचार शामिल है –

एपीडीडीमिटिस

  • क्लामाइडिया होने पर डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स प्रीस्क्राइब कर सकते है.
  • इसके अलावा सूजन और इंफेक्शन से राहत के लिए पस को निकाल सकते है.

ओरकाइटिस

  • एसटीआई के कारण होने पर डॉक्टर इंफेक्शन से लड़ने वाली दवाएं प्रीस्क्राइब कर सकते हैं.
  • इसके अलावा दर्द और सूजन कम करने के लिए कोल्ड पैक का उपयोग किया जा सकता है.

टेस्टिकुलर टॉर्सन

  • टेस्टिकल के मुड़ जाने पर हो सकता है कि डॉक्टर हाथों से ही इसको वापस अपनी पोजीशन में ले आएं.
  • अगर आप चाहते है कि यह दोबारा न हो तो उसके लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है.
  • इसके इलाज में देरी होने पर अंडकोष को हटाने तक की नौबत आ सकती है.

टेस्टिकुलर कैंसर

  • कैंसर सेल्स के होने पर डॉक्टर सर्जरी कर आपके अंडकोष को हटा सकते है.
  • जिसके बाद कैंसर का पता लगाने के लिए टेस्टिकल की जांच की जाती है.
  • ब्लड टेस्ट कर पता लगाया जा सकता है कि कैंसर के सेल्स अंडकोष के बाहर तक फैल चुके है या नही.
  • हालांकि, लंबे समय तक रेडिएशन थेरेपी या किमोथेरेपी से कैंसर सेल्स को खत्म कर बचाव किया जा सकता है.

क्या कोई जटिलताएँ हो सकती है – testis diseases complications in hindi

  • समय के साथ उपचार हो जाने पर कोई जटिलताएँ नही होती है.
  • लेकिन अंडकोष से लंबे समय तक ब्लड फ्लो कम रहना या टेस्टिकल को हटा देने से लो स्पर्म काउंट या बांझपन आ सकता है.
  • इसके अलावा पुरूषों में बांझपन की समस्या कैंसर ट्रीटमेंट के लिए ली गई किमोथेरेपी के बाद भी हो सकती है.

अंत में

अंडकोष या कहे टेस्टिकल के आकार का असामान्य होना कोई चिंता का विषय नही है. लेकिन इसके साथ किसी भी प्रकार का दर्द या उभार आदि ऊपर बताए गए लक्षण होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, साथ ही किसी भी प्रकार के इंफेक्शन, टॉर्सन या कैंसर होने पर तुरंत उसका इलाज किया जाना चाहिए.

शुरूआत में निदान किए जाने पर कई कारणों के चलते बढ़े हुए अंडकोष को दवा या सर्जरी के साथ उपचार कर ठीक किया जा सकता है.

References –

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