इस लेख में आप जानेंगे थायराइड कैंसर क्या है, लक्षण, रिस्क फ़ैक्टर, प्रकार, निदान, इलाज और बचाव –

थायराइड कैंसर क्या होता है? – what is thyroid cancer?

  • हमारे शरीर में हार्मोन को बनाने और सामान्य फंक्शन के लिए रेगुलेट करने का काम अंतःस्रावी ग्रंथियां (एंडोक्रीन सिस्टम) द्वारा किया जाता है.
  • जबकि थायराइड ग्लैंड इसी एंडोक्रीन सिस्टम का एक हिस्सा होता है.
  • थायराइड छोटा, तीतली के आकार का ग्लैंड जो गले के आधार पर स्थित होता है.
  • इसमें लेफ्ट और राइट लोब होते है. (जानें – थायराइड की आयुर्वेदिक दवा)
  • इसके अलावा जहां दोनों लोब कनैक्ट करते है उसे इस्थेमस कहते है.
  • थायराइड द्वारा शरीर में थायरॉक्सिन हार्मोन बनाया जाता है जो शरीर में मेटाबॉलिज्म, ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट, शरीर को वजन और तापमान को रेगुलेट करने में मदद करता है.

थायराइड कैंसर के लक्षण क्या होते है? – what are the symptoms of thyroid cancer?

थायराइड कैंसर के रिस्क फ़ैक्टर क्या है? – what are the risk factors for thyroid cancer?

  • महिलाओं को इसका रिस्क अधिक होता है.
  • फैमिली हिस्ट्री होने
  • स्तन कैंसर की हिस्ट्री होने
  • रेडिएशन एक्सपोज़र की हिस्ट्री होना
  • आयु भी एक रिस्क फ़ैक्टर हो सकता है जो 40 वर्ष के बाद देखने को मिल सकता है.

थायराइड कैंसर के प्रकार

थायराइड कैंसर असमान्य होते है और इनका प्रकार कैंसर सेल्स के आधार पर निर्धारित किया जाता है. कैंसर सेल्स जो हेल्दी दिखते है उनकी ग्रोथ धीमी होती है. इसके प्रकार में –

फॉलिकुलर थायराइड कैंसर

  • कैंसर का यह प्रकार फैलकर और दोबारा से हो सकता है.
  • हर्थल सेल कैंसर इस प्रकार के कैंसर का कारण होता है.

थायराइड लिम्फोमा

पेपिलैरी थायराइड कैंसर

  • यह थायराइड कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार है.
  • यह इसके दूसरे प्रकारों से कम घातक होता है.
  • इसके अधिकांश मामले गर्भधारण करने वाली आयु में देखने को मिलते है.
  • कैंसर का यह प्रकार धीरे धीरे फैलता है और इसका इलाज संभव है.

एनाप्लास्टिक थायराइड कैंसर

  • यह काफी रेयर कंडीशन होती है और इसका इलाज भी कठिन होता है.
  • थायराइड कैंसर के इस प्रकार को सबसे आक्रामक रूप माना जाता है.

मैडुलैरी थायराइड कैंसर

  • इसके कुछ मामलों में जेनेटिक फ़ैक्टर शामिल होता है.
  • इस तरह के जेनेटिक मामलों के कारण एंडोक्रीन ग्लैंड कैंसर के भाग जैसा दिखता है.
  • बिना जेनेटिक्स फ़ैक्टर वाले मामलों को स्पोरेडिक कहा जाता है.
  • कैंसर का यह प्रकार थायराइड ग्लैंड में मौजूद नॉन थायराइड सेल्स में दिखने लगते है.
  • इस प्रकार का इलाज अन्य प्रकारों से अलग होता है.

थायराइड कैंसर का निदान कैसे होता है? – how to diagnose thyroid cancer?

  • शारीरिक जांच और लैब टेस्ट के बाद परिमाणस्वरूप इसका निदान होता है. (जानें – सिबयेसिस सिस्ट के बारे में)
  • गर्दन की जांच के दौरान थायराइड का छोटा या बड़े आकार से इसका पता लग सकता है.
  • लिम्फ नॉड्स भी बढ़ सकती है.

निदान करने के लिए लैब टेस्ट और प्रक्रिया –

  • थायराइड स्कैन
  • अल्ट्रासाउंड
  • ब्लड में फोस्फोरस लेवल
  • थायराइड फंक्शन टेस्ट
  • थायरोग्लोबिन टेस्ट
  • बायोप्सी
  • ब्लड में कैल्शियम लेवल
  • लैरिग्नस्कोपी
  • ब्लड में कैल्सिटॉनिन लेवल की जांच

थायराइड कैंसर का इलाज – what are the treatment of thyroid cancer?

  • इसका इलाज कैंसर के प्रकार, साइड और फैलने पर निर्भर करता है.
  • अधिकांश लोगों की सर्जरी करके प्रभावित हिस्सा या पूरे थायराइड ग्लैंड को हटा दिया जाता है.
  • इससे आपके शरीर की सामान्य थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता खत्म हो जाती है.
  • थायराइड हार्मोन के स्थान पर ओरल सप्लीमेंट लिए जा सकते है.

अन्य इलाज

  • रेडियोएक्टिव आयोडिन
  • कीमोथेरेपी
  • रेडिएशन थेरेपी

थायराइड कैंसर से बचाव

  • काफी सारे मामलों में थायराइड कैंसर का कारण पता नही लगता है जिस कारण लोगों को पता नहीं होता कि इससे बचाव कैसे करें.
  • मेडुलैरी थायराइड कैंसर का पता है कि यह अनुवांशिक होता है तो थायराइड कैंसर की हिस्ट्री होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
  • इसके अलावा न्यूक्लीयर पावर प्लांट आदि में रहने वाले लोगों को थायराइड कैंसर का रिस्क अधिक होता है.
  • डॉक्टर से बात कर पोटेशियम आयोडिन पिल्स के बारे में जानकारी लेनी चाहिए. 

अंत में

थायराइड कैंसर का शुरूआती स्टेज में निदान होने पर इलाज का लाभ मिलता है और यह ठीक हो जाता है. कुछ प्रकार के थायराइड कैंसर के फिर से होने के संभावन अधिक होती है.

इसके ठीक हो जाने के बाद रूटीन फॉलो-अप जरूरी होता है. कैंसर के फिर से वापस आने की संभावना के मामले में शेष जीवन डॉक्टर से नियमित जांच जरूरी है. इसके अलावा डॉक्टर द्वारा थायराइड रिप्लेसमेंट हार्मोन की सही मात्रा की नियमित जांच भी जरूरी है. (जानें – थायराइड के लिए होम्योपैथी दवाएं)

सबसे जरूरी कि कोई भी नया लक्षण दिखने पर डॉक्टर को सूचित करें. जिससे किसी भी गंभीर जटिलता का शुरूआत में ही निदान कर ठीक किया जा सके. 

References –

Share: