इस लेख में आप जानेंगे अल्ट्रासाउंड क्या होता है, क्यों किया जाता है, तैयारी कैसे करें और प्रक्रिया –

अल्ट्रासाउंड क्या होता है? – What is ultrasound in hindi?

  • अल्ट्रासाउंड स्कैन एक मेडिकल टेस्ट होता है जिसमें शरीर के प्रभावित हिस्से की हाई फ्रिक्वेंसी साउंड वैव्स की मदद से ताजा फोटो ली जाती है. इसे सोनोग्राफी भी कहा जाता है.
  • यह तकनीक सोनार और रडार में भी उपयोग की जाती है. जिसे फौज द्वारा हवाई जहाज और नावों का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है. (जानें – पेट के अल्सर होने पर डाइट)
  • अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर को बिना किसी चीरा लगाए अंगों, नसों और टिश्यू की समस्या को देखने में मदद मिलती है.
  • दूसरी इमेजिंग तकनीक की तुलना में अल्ट्रासाउंड में किसी प्रकार की रेडिएशन का उपयोग नहीं होता है.
  • इसलिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग गर्भवती महिलाओं द्वारा भूण के विकास की जांच के लिए किया जाता है. 

अल्ट्रासाउंड क्यों किया जाता है? – Why ultrasound is performed?

  • अधिकांश लोग अल्ट्रासाउंड को प्रेगनेंसी से जोड़कर देखते है.
  • इसके स्कैन से गर्भवती महिलाओं को अपने गर्भ में पल रहें शिशु को देखने का अवसर मिलता है.
  • अल्ट्रासाउंड टेस्ट के कई सारे उपयोग होते है.
  • दर्द, सूजन या अन्य लक्षणों के होने पर डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जा सकती है.
  • कुछ मेडिकल प्रक्रियाओं के दौरान अल्ट्रासाउंड की मदद से सर्जन को मूवमेंट जानने में मदद मिलती है.

अल्ट्रासाउंड से निम्न अंगों को देखा जा सकता है –

  • गर्भ में शिशु का दिमाग देखने
  • पित की थैली
  • ब्लैडर
  • लिवर
  • किडनी
  • ओवरी
  • थायराइड
  • टेस्टिकल्स
  • यूटेरस
  • ब्लड वैसल्स
  • आंखें
  • पैंक्रियाज़

अल्ट्रासाउंड के लिए खुद को तैयार कैसे करें? – How to prepare yourself for ultrasound in hindi?

  • अल्ट्रासाउंड जांच के लिए उठाए जाने वाले स्टेप्स जांच किए जाने वाले अंग पर निर्भर करते है.
  • खासकर पेट की जांच के मामलों में डॉक्टर द्वारा आपको 8 से 12 घंटे की फास्टिंग की जरूरत पड़ सकती है.
  • पेट में बिना पाचन वाला भोजन साउंड तरंग को ब्लॉक कर सकता है जिस कारण साफ फोटो लेना मुश्किल हो सकता है.
  • पित की थैली, लिवर, पैंक्रियाज आदि की अल्ट्रासाउंड टेस्ट से एक शाम पहले डॉक्टर आपको फैट मुक्त भोजन खाने की सलाह दे सकते है जिसके बाद आपको फास्टिंग करनी होगी. (जानें – पित्त की थैली हटाने के साइड इफेक्ट)
  • हालांकि, इस दौरान आप बताई गई दवाएं और पानी पीना जारी रख सकते है.
  • किसी अन्य जांच के लिए आपको काफी सारा पानी पीने और पेशाब को रोकने की सलाह दी जा सकती है.
  • इससे पेशाब ब्लैडर में रूकता और अल्ट्रासाउंड में बेहतर रूप से देखा जा सकता है.
  • जांच से पहले आपके द्वारा ली जाने दवाएं, ओटीसी या हर्ब्स सप्लीमेंट के बारे में डॉक्टर को सूचित करना चाहिए.
  • अल्ट्रासाउंड में न के बराबर रिस्क होता है. एक्स-रे या सीटी स्कैन की तुलना में अल्ट्रासाउंड में कोई रेडिएशन का उपयोग नहीं होता है.

अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाता है? – How ultrasound is performed?

  • जांच से पहले आपको अस्पताल के कपड़े पहनने की सलाह दी जा सकती है.
  • अधिकतर आपको टेबल पर लेटने या टेस्ट के लिए जरूरी शरीर के सेक्शन को रखा जाता है.
  • अल्ट्रासाउंड टेकनीशियन को सोनोग्राफर कहा जाता है जो स्किन पर एक विशेष जैली का उपयोग करते हैं.
  • इस जैली से फ्रीक्शन नहीं होती है जो अल्ट्रासाउंड ट्रांसड्यूसर को स्किन पर रब करने से देखने को मिलती है.
  • ट्रांसड्यूसर दिखने में माइक्रोफोन जैसा होता है.
  • साथ ही जैली साउंड तरंग को ट्रांसमिट करने में मदद करती है.
  • ट्रांसड्यूसर शरीर में हाई फ्रीक्वेंसी वाली तरंगों को भेजता है.
  • किसी घनत्व वाले अंग जैसे हड्डी या ऑर्गन से टकराने पर यह तरंग इको पैदा करती है.
  • यह इको कंप्यूटर पर दिखाई देती है.
  • इन साउंड वैव्स इंसान के कानों के लिए काफी हाई पिच की होती है इसलिए यह फोटो के रूप में बनती है जिसे डॉक्टर द्वारा आसानी से बताया जा सकता है.
  • जांच किए जाने वाले एरिया के आधार पर आपको टेकनीशियन के कहने पर पोजीशन बदलने की जरूरत पड़ सकती है.
  • प्रक्रिया के बाद आपको स्किन से जैल को साफ करना चाहिए.
  • अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया को करने में अधिकतम 30 मिनट का समय लगता है जो जांच किए जाने वाले एरिया पर निर्भर करता है.
  • इसके होने के बाद आप अपनी सामान्य एक्टिविटी कर सकते हैं.

अल्ट्रासाउंड के बाद

  • जांच के बाद, डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड में ली गई इमेज को चेक किया जाता है जिसमें किसी भी प्रकार की असमान्यता को देखा जाता है.
  • अल्ट्रासाउंड में किसी असमान्यता के दिखने पर आपको निदान करने की अन्य तकनीक जैसे सीटी स्कैन या एमआरआई या बायोप्सी (जिसमें टिश्यू का सैंपल लिया जाता है) के लिए कहा जा सकता है.
  • समस्या का निदान कर लेने के तुरंत बाद ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाता है.

References –

 

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