इस लेख में आप जानेंगे यूटेरिन प्रोलेप्स क्या है, इसके लक्षण, कारण, निदान और उपचार – 

यूटेरिन प्रोलैप्स क्या है – what is uterine prolapsed in hindi

  • यूटेरिन प्रोलैप्स तब होता है जब गर्भाशय गिरता है या अपनी सामान्य स्थिति से और योनि या जन्म मार्ग में गिर जाता है.
  • यह कभी-कभी पूर्ण या अधूरा भी हो सकता है. एक खंडित यूटेरिन प्रोलैप्सड तब होता है जब गर्भाशय योनि में लटक रहा है.
  • एक पूर्ण यूटेरिन प्रोलैप्सड एक परिस्थिति को दर्शाता है जिसमें गर्भाशय इतनी दूर गिर जाता है कि कुछ ऊतक योनि के बाहर रहता है.
  • इसी प्रकार महिलाओं में उम्र बढ़ने के कारण हार्मोन एस्ट्रोजेन के नुकसान के साथ, उसका गर्भाशय योनि नहर में गिर सकता है. इस स्थिति को यूटेरिन प्रोलैप्स के रूप में जाना जाता है.

यूटेरिन रप्चर के लक्षण क्या है – what are the symptoms of Uterine prolapsed in hindi

यूटेरिन रप्चर के कारण – what causes Uterine prolapsed in hindi

  • प्रसव के दौरान जब शिशु बर्थ कैनाल के जरिए बाहर आने लगता है तो प्रेशर बनने लगता है. 
  • इस कारण मां का यूटेरस टियर हो जाता है.
  • जिसके चलते यह पहले पहले हुई सीजेरियन डिलीवरी के स्कार को भी टियर कर सकता है.
  • यूटेरिन ररप्चर के कारण बच्चा मां के पेट में वापस जा सकता है.

यूटेरिन रप्चर के रिस्क – what are the risk of uterine prolapsed in hindi

  • शिशु जन्म के दौरान यह मां व शिशु दोनों को जीवन की क्षति पहुँचा सकता है.
  • मां को यूटेरिन रप्चर के कारण ज्यादा ब्लड लॉस या हेमोरेज़ हो सकता है.
  • हालांकि, अस्पताल में शिशु का जन्म होने पर इस स्थिति के होने के मौके कम होते है.
  • यूटेरिन रप्चर शिशु के लिए अधिक खतरनाक हो सकती है.
  • इस स्थिति के पता लगने पर डॉक्टर द्वारा शिशु को गर्भाशय से जल्द से जल्द बाहर निकाला जाना चाहिए.

यूटेरिन रप्चर का निदान कैसे करें – how is uterine prolapsed or rupture diagnosed?

  • यह अचानक होता है और इनका निदान करना मुश्किल होता है क्योंकि इसके कोई विशेष लक्षण नही होते है.
  • यूटेरिन रप्चर के लक्षण जानने के लिए डॉक्टर शिशु डिस्ट्रेस के लक्षण देखते है जैसे हार्ट रेट धीमा होना आदि.
  • औपचारिक रूप से सर्जरी के दौरान डॉक्टर द्वारा इसका निदान किया जा सकता है. (जानें – एंडोमेट्रियोसिस के बारे में)

यूटेरिन रप्चर का इलाज – what is the treatment of Uterine prolapsed in hindi

  • अगर यूटेरिन रप्चर के कारण ब्लड लॉस ज्यादा हो गया है तो हो सकता है कि सर्जन आपके यूटेरस को हटा दे जिससे ब्लीडिंग कंट्रोल हो जाए.
  • इसके बाद महिला प्रेगनेंट नही रह सकती है.
  • ज्यादा ब्लड लॉस होने वाली महिलाओं को खून की जरूरत पड़ सकती है.
  • शिशु को बाहर निकालने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

नॉनसर्जिकल उपचार में शामिल हैं:

  • वजन कम करना और पेल्विक संरचनाओं से तनाव लेने के लिए आकार में आना.
  • वास्तव में कठिन काम से दूरी बनाए रखना. (जानें – समय से पहले पीरियड्स के बारे में)
  • कीगल एक्सरसाइज पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करती हैं. 
  • यह किसी भी समय, डेस्क पर बैठे हुए भी किया जा सकती है.
  • विशेष रूप से रजोनिवृत्ति के दौरान एस्ट्रोजेन उपचार लेना.
  • सामान्य शारीरिक गतिविधियों को शामिल करना.

अंत में

दुनियाभर में रोज़ाना बहुत सारे शिशुओं का जन्म होता है. लेकिन महिलाओं द्वारा शिशुओं को जन्म देने में बहुत सारी जटिलताएँ भी हो सकती है जो मां व शिशु दोनों को परेशान कर सकती है. (जानें – सी-सेक्शन के बाद सेक्स के बारे में)

यूटेरिन प्रोलैप्स होना काफी रेयर है लेकिन वेजाइनल बर्थ के दौरान शिशु जन्म की जटिलताएँ हो सकती है. इस कारण माँ की यूटेरस (गर्भाशय) टियर होता है और शिशु पेट से वेजाइना के जरिए बाहर आता है.

शिशु जन्म के दौरान माँ को गंभीर ब्लीडिंग और शिशु को सांस लेने में परेशानी हो सकती है. हालांकि, ऐसा मुश्किल से 1 फीसदी से भी कम गर्भवती महिलाओं के साथ होता है.

यह स्थिति यूटेरिन स्कार, पहले कोई सी-सेक्शन डिलीवरी या यूटेरिन सर्जरी के कारण हो सकती है. जबकि गर्भाशय बाहर आने के मौके प्रति सी-सेक्शन ऑपरेशन के साथ बढ़ जाते है.

इसलिए एक बार सीजेरियन डिलीवरी होने के बाद उसके बाद वाली प्रेगनेंसी में डॉक्टर द्वारा वेजाइनल डिलीवरी की सलाह नही दी जाती है.

पहली सी-सेक्शन डिलीवरी होने के बाद दूसरी डिलीवरी के समय वेजाइनल बर्थ से जटिलताओं का रिस्क अधिक हो जाता है.

यूटेरिन रप्चर से बचाव का एकमात्र तरीका सीजेरियन डिलीवरी है. जबकि वेजाइनल बर्थ के दौरान इसे पूर्ण रूप से बचाया नही जा सकता है.

हालांकि, इसका मतलब यह बिल्कुल नही है कि आप वेजाइनल बर्थ दें ही नहीं, जोखिम व इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए. जबकि सीजेरियन डिलीवरी के बाद या यूटेरस की सर्जरी आदि समेत अपने डॉक्टर अपनी फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी बताया जाना चाहिए.

References –

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