इस लेख में आप जानेंगे आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस क्या है, इसके लक्षण, नैचुरल उपचार, कारण और रिस्क फैक्टर –

आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस क्या है – what is ankylosing spondylitis in hindi

  • आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) गठिया का एक रूप है जो रीढ़ के जोड़ों में सूजन का कारण बनता है.
  • जिन जोड़ों में रीढ़ श्रोणि से मिलती है वे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं.
  • यह स्थिति उन क्षेत्रों को भी प्रभावित कर सकती है जहां टेंडन और लिगामेंट्स हड्डियों से जुड़े होते हैं.

शरीर के निम्न हिस्सों में सूजन हो सकती है –

आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण क्या है – what are the symptoms of ankylosing spondylitis in hindi

  • काफी सारे लोगों को आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस में लोवर बैक में दर्द और ऐंठन होती है.
  • इस दर्द के लक्षण मध्यम से लेकर गंभीर तक हो सकते है.
  • यह लक्षण स्पाइन के ऊपरी हिस्से तक बढ़ सकते है.
  • आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस की कंडीशन के बढ़ने पर लोगों के अलग अलग जटिलताएं हो सकती है.
  • जबकि महिलाओं में आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण गर्दन से शुरू हो सकते है.

अन्य लक्षण एक से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकते है –

आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस का नैचुरल इलाज क्या है – what are the natural treatments for ankylosing spondylitis in hindi

आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक क्रोनिक कंडीशन है जिसका कोई इलाज नहीं है. लेकिन दर्द, ऐंठन समेत लक्षणों से राहत मिल सकती है. इससे राहत के लिए निम्न नैचुरल उपाय किए जा सकते है –

मसाज थेरेपी

  • मसाज से आपको रिलैक्स करने में मदद मिलती है.
  • साथ ही इससे शरीर को लचीला या स्ट्रैच करने में भी मदद मिलती है.
  • मालिश से आपकी रीढ़ के आसपास के टेंडर पॉइंट्स में दर्द हो सकता है.
  • यदि ऐसा होता है, तो उन क्षेत्रों से बचें और दर्द में सुधार होने तक केवल हल्की मालिश तकनीकों का उपयोग करें.

एक्सरसाइज

  • योग, पिलाटे आदि को आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस में अच्छा माना जाता है.
  • जोड़ों को अच्छा करने के लिए तैराकी को भी बेहतरीन माना जाता है.
  • ताकत बढ़ाने वाली एक्सरसाइज जैसे वेट लिफ्टिंग से मांसपेशियों को बनाने में मदद मिलती है.
  • जिससे इस कंडीशन से प्रभावित लोगों को राहत मिलती है. 

स्ट्रेचिंग

  • स्ट्रेचिंग लचीलापन बनाने में मदद करता है और दर्द को कम कर सकता है. 
  • अपनी दैनिक दिनचर्या में स्पाइन स्ट्रेच या लोअर बैक स्ट्रेच (जैसे ट्रंक रोटेशन स्ट्रेच) को शामिल करने पर विचार करें.

मूवमेंट

  • जितना अधिक आप बैठते हैं, उतनी ही उदासीनता महसूस होती है.
  • ज्यादा देर तक बैठे न रहें, नियमित रूप से हल्का फुल्का वाल्क करें.
  • हर घंटे में ब्रेक लेकर थोड़ा चले फिरे.

हीट थेरेपी

  • कठोरता और दर्द को कम करने के लिए, प्रभावित क्षेत्र पर गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड लगाएं. 
  • आप नम या सूखी गर्मी का उपयोग भी कर सकते हैं. 
  • एक्सरसाइज से पहले गर्म पानी से स्नान भी मदद कर सकता है.

निम्न कंडीशन में हीट थेरेपी के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह लें –

  • खुला हुआ घाव होने
  • स्किन कंडीशन
  • वैस्कुलर रोग
  • डीप वेन थ्रोमबोसिस
  • डायबिटीज

कोल्ड थेरेपी

  • इसमें आईस पैक, कोल्ड जेल पैक या जमी हुई सब्जियों के बैग को जोड़ो पर सूजन कम करने के लिए लगाया जा सकता है.
  • एक्सरसाइज के बाद कोल्ड थेरेपी से सूजन को कम करने में मदद मिलती है.
  • एक बार में बर्फ को 20 मिनट से अधिक समय के लिए न लगाए.
  • सर्कुलेशन समस्या होने पर इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

एक्यूपंचर

  • एक्यूपंक्चर एक पूरक चिकित्सा है जिसमें आपकी त्वचा में विशिष्ट बिंदुओं में पतली सुइयों को सम्मिलित करना शामिल है.
  • यह आपके शरीर के दर्द से राहत देने वाले हार्मोन को सक्रिय करने के लिए माना जाता है.
  • 2019 में हुए अध्ययनों में पाया गया है कि दर्द को कम करने के लिए एक्यूपंचर काफी सुरक्षित और प्रभावी है.

स्मोकिंग न करें

  • धूम्रपान करने वालों, विशेष रूप से पुरुषों में अधिक रीढ़ की क्षति के लिए जोखिम होता हैं.
  • स्मोकिंग न करने से न केवल इस कंडीशन के कारण होने वाले नुकसान में कमी आती है बल्कि पूर्ण हेल्थ भी बेहतर होती है.

रात को नींद अच्छी करने के तरीके

  • इस कंडीशन वाले रोगियों के लिए रात की अच्छी नींद किसी सपने से कम नहीं होती है.
  • ऐसा इसलिए क्योंकि रात को बेड पर लेटने के बाद दर्द और ज्यादा होने लगता है.
  • बेड पर लेटने या करवट लेने पर रोगी की स्पाइन एक सीधी लाइन में रहनी चाहिए.
  • कमर के बल लेटने पर मेट्रेस से स्पाइन “एस कर्व” में आती है.
  • रात को सोते समय ध्यान रहें कि आपकी मेट्रेस सही शेप की हो, जो स्पाइन को सपोर्ट करें.
  • दर्द को कम करने के लिए सोने से पहले हीट थेरेपी लें.
  • पैर के बीच में तकीया लगाकर न सोएं.
  • गर्दन को अलाइन रखने के लिए सही तकीये का उपयोग करें.

आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण क्या है – what are the causes of ankylosing spondylitis in hindi

  • इसके होने के प्रमुख कारणों में से एक जेनेटिक्स होता है.
  • कंडीशन से प्रभावित अधिकतर लोगों में HLA-B27 जेनेटिक मार्कर मौजूद होता है.
  • इस जेनेटिक कोड वाले लगभग 30 फीसदी से अधिक लोगों को इसके विकसित होने का रिस्क रहता है.
  • वहीं इस जेनेटिक कोज वाले बहुत सारे लोगों को यह कंडीशन विकसित नहीं होती है. 

आंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के रिस्क फैक्टर क्या है – what are the risk factors of ankylosing spondylitis in hindi

  • यह कंडीशन किशोरवस्था से शुरू होकर पूरी लाइफ रहती है.
  • पुरूषों की तुलना में महिलाओं में यह अधिक होती है.
  • किशोरावस्था में इसका रिस्क अधिक होता है.
  • अन्य रिस्क फैक्टर में फैमिली हिस्ट्री, जेनेटिक मार्कर और बार बार गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन होना होता है.

अंत में

हालांकि, इस कंडीशन में अधिकांश लोगों को किसी प्रकार की मेडिकल थेरेपी की आवश्यकता होती है. प्राकृतिक उपचार भी लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं.

जबकि सभी नैचुरल उपाय इससे प्रभावित लोगों के लिए सही नहीं होते है. कुछ लोगों को योगा और एक्यूपंचर से आराम मिल जाता है. अन्य को कोल्ड थेरेपी और मसाज से बेहतर महसूस होता है. (जानें – कपिंग थेरेपी के बारे में)

किसी भी तरह के उपचार को लेने से पहले डॉक्टर से बात कर सलाह ली जानी चाहिए. थेरेपी आदि के साइड इफेक्ट का अनुभव करने पर डॉक्टर से बात करनी चाहिए.

References –

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