आज इस लेख में हम आपको बताने वाले है दोषों के अनुसार बवासीर के प्रकार और पाइल्स का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट –

पाइल्स का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट – ayurvedic treatment for piles in hindi

बवासीर के इलाज में आयुर्वेद उपायों को अच्छा माना जाता है. पाइल्स से पीड़ित लोगों को इनके आयुर्वेदिक उपचार में कुछ हर्ब्ल दवाएं, लाइफस्टाइल बदलाव आदि को ट्रीटमेंट प्लान में उपयोग किया जाता है.

आयुर्वेद डॉक्टर आपके पूरे स्वास्थ के आधार पर दोष का पता लगाते है जिस आधार पर ट्रीटमेंट दिया जाता है. इसलिए समस्या होने पर डॉक्टर से पहले सलाह लेनी चाहिए जिससे वह निदान के साथ सही उपचार की सलाह दे सकें.

दवाएं

  • अधिकतर छोटे बवासीर दवाओं से ठीक हो जाते है.
  • पाइल्स के गंभीर होने तक किसी अन्य उपचार की जरूरत नही पड़ती है.
  • खराब मामलों में दवाओं को अतिरिक्त प्रोसीज़र के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
  • आयुर्वेद दवाओं के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए जिससे वह आपकी स्थिति के आधार पर दवाओं को निर्धारित कर सकें.

हर्ब्ल पेस्ट

  • बवासीर को ठीक करने के लिए क्षरा का उपयोग किया जाता है.
  • यह पेस्ट हर्ब्ल से बना होता है.
  • जिसे डिवाइस की मदद से बवासीर के मस्सों पर लगाया जाता है.
  • इससे घाव वाले या ब्लीडिंग वाले बवासीर मस्सों पर आराम मिलता है.
  • इसके अलावा दोष के आधार पर डाइटरी और लाइफस्टाइल बदलाव के साथ कुछ दवाओं का उपयोग किया जाता है.

सर्जरी का जरूरत

  • इसके लिए आयुर्वेद डॉक्टर आपको थेरेपी दे सकते है.
  • जिसमें दवा वाले धागे से बवासीर को काटा जाता है.
  • इससे मस्सों तक ब्लड सप्लाई बंद हो जाती है और 7 से 10 दिन के भीतर वह सिकुड़ जाता है.
  • इसके बाद वह अपने आप हट जाता है. 
  • इसे तभी किया जाता है जब कोई अन्य उपचार प्रभावी नही रहता है.
  • दोष के आधार पर इसका उपचार किया जाता है लेकिन सर्जरी के बाद कुछ हर्ब्स से जल्दी से ठीक होने में मदद मिलती है.
  • इसके अलावा, हो सकता है कि भविष्य में बवासीर से बचाव के लिए डाइट में बदलाव, एक्सरसाइज आदि किए जाते है.
  • इस तरीके में हल्के से चीरे की जरूरत होती है जिस कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
  • ब्लीडिंग डिस्ऑर्डर, हार्ट कंडीशन या खून पतला होने पर इसका खतरा अधिक रहता है.

अग्र्नीकर्मा

  • इसके लिए इंफ्रारेड हीट दी जाती है.
  • आयुर्वेद डॉक्टर आपको इसे जलाकर निकालने की सलाह दे सकते है.
  • जिससे दर्द आदि हो सकता है.
  • इस तरह की थेरेपी को हफ्ते में 5 से 6 बार कुछ हफ्तों के लिए किया जाता है.
  • उपचार से पहले दोष को जान लिया जाता है. 
  • इससे प्रक्रिया से दर्द और इंफेक्शन बढ़ सकता है.
  • अपने डॉक्टर से रिस्क को कम करने और सुरक्षित तरीके अपनाने के लिए बात कर सकते है.

आयुर्वेदिक उपचार क्या होता है – what is ayurvedic treatment in hindi

भारत में प्राचीन काल से इस्तेमाल की जारी उपचार पद्धति को आज के समय में पूरी दुनिया में इस्तेमाल किया जाता है. पश्चिमी देशों में इसे उपचार विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. 

आयुर्वेदिक दवाएं हमारे दिमाग, शरीर और आत्मा की स्थिति के आधार पर कंडीशन का उपचार करती है. यह रोग के लक्षणों को बढ़ने से रोक कर शरीर को संतुलित करता है.

आयुवर्दे उपचार रोगी के शरीर में – वात, पित और कफ के सिद्धांत पर काम करता है. जिसमें किसी एक दोष के असंतुलित हो जाने पर कोई रोग या समस्या दिखाई देने लगती है. आयुर्वेद का अंतिम लक्ष्य तीनों दोषों को संतुलित करना है. जिसे डाइट, लाइफस्टाइल बदलाव और हर्ब्ल दवाओं के साथ किया जा सकता है.

गुदा और रेक्टम के आसपास के नसों की सूजन को बवासीर कहा जाता है. यह अंदरूनी या बाहरी होते है. इसके कुछ लक्षणों में –

  • गुदा के आसपास खुजली होना
  • गुदा के आसपास उभार या सूजन के साथ दर्द
  • बाउल मूवमेंट (शौच) के दौरान दर्द
  • बाउल मूवमेंट के बाद या दौरान गुदा से खून निकलना
  • गुदा के आसपास खुजली या दर्द
  • शौच का रिसाव

सबसे पहले जरूरी है पता लगाना कि कि आपको बवासीर है या नही, जिसके लिए आपको डॉक्टर से बात करनी होगी और शारीरिक परीक्षण के बाद वह आपको इस स्थिति के बारे में बेहतर तरीके से बता पाएंगे.

जिसके बाद डॉक्टर आपको कुछ ओटीसी दवाएं दे सकते है. जबकि गंभीर स्थिति में उपचार की जरूरत पड़ती है.

दोष के अनुसार बवासीर के प्रकार – types of piles according to dosha in hindi

आयुर्वेद के अनुसार, दोष की पहचान होने पर बवासीर के प्रकार का पता लगाया जा सकता है –

  • पित दोष से पीड़ित लोगों को सूजन, जलन और खून निकलने वाले बवासीर का अनुभव हो सकता है जो सॉफ्ट व लाल होते है. इसके लक्षणों में बुखार, डायरिया और प्यास लगना हो सकता है.
  • वात से पीड़ित लोगों को कब्ज के दौरान तेज़ दर्द और काले बवासीर के साथ टाइट शौच का अनुभव होता है.
  • कफ से पीड़ित लोगों का पाचन खराब होता है और उनके बवासीर, साइज में बड़े, हल्के या सफेद रंग के हो सकते है. 

क्या पाइल्स के लिए आयुर्वेदिक उपचार मदद करता है – does ayurvedic treatments for piles work in hindi

क्षरा को सुरक्षित माना जाता है लेकिन इसमें रिस्क भी होता है. इसके उपयोग को लेकर और भी अधिक रिसर्च की जरूरत है. यह लो-कोस्ट के साथ कुछ हल्के साइड इफेक्ट के रिस्क होते है. इसके कुछ बेनेफिट्स है जैसे –

  • इसे करने में कम समय लगता है.
  • लोग अलगे दिन काम पर लौट सकते है.
  • बवासीर के ऑपरेशन की तुलना में इससे रिकवर होने में कम समय लगता है.

साइड इफेक्ट और रिस्क – side effects and risks

बवासीर का आयुर्वेद इलाज, क्षरा पेस्ट को लगाना सुरक्षित और इफेक्टिव हो सकता है. अगर आयुर्वेद विशेषज्ञ आपको हर्ब्ल सप्लीमेंट या दवाएं देते है तो इसके साइड इफेक्ट के बारे में पता होना चाहिए –

  • टिश्यू को नुकसान
  • ब्लीडिंग
  • दर्द
  • इंफेक्शन
  • शॉक
  • शौच की लीकेज़
  • बवासीर फिर से होना

बवासीर से पीड़ित लोगों को गलत उपचार लेना रिस्की हो सकता है. इसलिए सही डॉक्टर को चुनना जरूरी होता है.

अंत में

पाइल्स के लिए आयुर्वेदिक उपचार काफी सुरक्षित और प्रभावी हो सकता है. साथ ही आपको अपने ऑप्शन का पता होना चाहिए. उपचार की शुरूआत से पहले इसके रिस्क और बेनेफिट्स के बारे में पता होना चाहिए.

किसी भी दवा के उपयोग को शुरू करने से पहले डॉक्टर से बात करना जरूरी होता है. इन सभी के अलावा भी कई अन्य रोगों में आयुर्वेद काफी कारगर साबित होता है.

References –

Share: