दूध और इससे बनने वाले प्रोडक्टों में दही का प्रयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है. पोषक तत्वों में पूर्ण होने के अलावा नियमित रूप से दही खाने से हेल्थ काफी बूस्ट होती है.

योगार्ट या कहे दही इसे हार्ट रोगों के रिस्क को कम करने के रूप में जाना जाता है. इसके अलावा यह वजन को नियंत्रित करने और ऑस्टियोपोरोसिस के मामलों में रिस्क को कम करती है. 

आज इस लेख में हम आपको बताने वाले है दही खाने के ऐसे ही कुछ फायदे –

दही खाने के फायदे – benefits of yogurt in hindi

इम्यून सिस्टम को मजबूत करने

  • प्रोबायोटिक्स वाली दही को नियमित रूप से सेवन करने पर इम्यून सिस्टम बेहतर होता है और बिमारी होने के आसार कम हो जाते है.
  • प्रोबायोटिक्स लेने से इंफ्लामेशन कम हो जाती है.
  • रिसर्च के अनुसार प्रोबायोटिक्स लेने से सर्दी-जुखाम की अवधि और गंभीरता कम होती है.
  • सेलेनियम, मैग्नीशियम और जिंक की मात्रा होने के कारण यह इम्यूनिटी को बेहतर करता है.

वजन कंट्रोल करने के लिए

  • दही में कई गुण होते है जो वजन को नियंत्रित करने में सहायक होते है.
  • हाई प्रोटीन लेवल कैल्शियम के साथ काम करते है जिससे भूख कम लगती है.
  • दही के सेवन से मोटापा कम करने में मदद मिलती है.
  • वही कम वजन वाले लोगों में वजन बढ़ाने में यह मदद करता है.
  • पोषक तत्वों में पूर्ण होने के अलावा इसमें कम कैलोरी होती है.

पोषक तत्वों में पूर्ण

  • शरीर के जरूरी सभी तत्वों से पूर्ण दही होती है.
  • इसमें कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है जो हड्डियों और दांतों के लिए जरूरी होती है.
  • यह विटामिन बी12 और रिबोफ्लाविन में हाई होती है.
  • जिसके चलते यह हार्ट रोग और कुछ नयूरल ट्यूब बर्थ डिफेकट से बचाव करती है.
  • एक कप दही में फोस्फोरस, मैग्नीशियम और पोटेशियम होता है.
  • यह जरूरी मिनरल हड्डियों के स्वास्थ, मेटाबॉलिज्म और ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में मदद करते है.
  • हालांकि इसमें प्राकृतिक रूप से विटामिन डी नही होता है लेकिन यह दूसरे फ़ूड्स से मिल जाता है.
  • विटामिन डी हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम, हड्डी समेत डिप्रेशन आदि कई रोगों के रिस्क को कम करता है.

ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव

  • हड्डियों के स्वास्थ जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, फोस्फोरस आदि दही में मौजूद जरूरी तत्वों में से एक है.
  • यह सभी विटामिन और मिनरल हड्डियों के कमजोर होने और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव करते है.
  • ऑस्टियोपोरोसिस वाले रोगियों में हड्डी फ्रैक्चर होने और हड्डी घनत्व कम होता है.
  • नियमित रूप से दही खाने से बोन मास और ताकत को बनाए रखने में मदद मिलती है.

हाई प्रोटीन

  • दही में अच्छी मात्रा में प्रोटीन होता है जो एनर्जी को बढ़ाकर कैलोरी बर्न आदि में मेटाबॉलिज्म की मदद करता है.
  • हमारे भूख के लिए पूर्ण मात्रा में प्रोटीन मिलना जरूरी होता है इससे हार्मोन पेट भरा हुआ सिग्नल दिमाग तक पहुँचाने में मदद मिलती है.
  • इससे कम कैलोरी सेवन करने समेत वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है.
  • इसके लिए दूसरी योगार्ट की तुलना में ग्रीक योगार्ट काफी फायदा देती है.
  • ग्रीक योगार्ट में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है जिससे पेट भरा हुआ महसूस होता है.
  • साथ ही इससे भूख पर कंट्रोल करने में मदद मिलती है.

हार्ट हेल्थ के लिए

  • दही में मौजूद फैट के स्वास्थ पर प्रभाव को लेकर शोधकर्ताओं के मत अलग है.
  • इसमें सैचुरेटिड फैट होता है जिसमें कम मात्रा में मोनोसैचुरेटिड फैटी एसिड होता है.
  • पहले सैचुरेटिड फैट को हार्ट रोग का कारण माना जाता था लेकिन अब ऐसा नही है.
  • दही में मौजूद फैट के हेल्थ बेनेफिट्स होते है.
  • यह अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्रोल को बढ़ाने में मदद करता है जो हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा होता है.
  • दही का सेवन हाई ब्लड प्रेशर के रिस्क को कम करता है जो हार्ट रोग का बहुत बड़ा फैक्टर है.

पाचन के लिए

  • कुछ प्रकार का योगार्ट में जीवाणु किण्वन या प्रोबायोटिक्स होते है जो दही को जमाने के लिए या बनने के बाद मिलाए जाते है.
  • सेवन करने पर पाचन तंत्र को इसका लाभ मिलता है.
  • काफी सारे योगार्ट को पाश्चराइज्ड किया जाता है जिसके दौरान अच्छा बैक्टीरिया खत्म हो जाता है.
  • कुछ प्रकार की प्रोबायोटिक्स मेंं पाए जाने वाला बैक्टीरिया इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण को कम करने में मदद करते है.
  • कई अध्ययनों में देखा गया है कि प्रोबायोटिक्स आपको एंटीबायोटिक से जुड़े हुए डायरिया और कब्ज में राहत देते है.

योगार्ट क्या होता है और कैसे बनती है?

  • यह एक प्रचलित डेयरी प्रोडक्ट है जो दूध के जीवाणु किण्वन से बनता है.
  • यह जीवाणु किण्वन दूध में मिलने वाली नैचुरल शुगर होती है.
  • इस प्रक्रिया के दौरान लैक्टिक एसिड बनता है जिसके कारण दूध प्रोटीन से दही बनती है.
  • साथ ही इससे दही में फ्लेवर और बनावट आती है.
  • दही को सभी प्रकार के दूध से बनाया जा सकता है.
  • टोन्ड दूध से बनाई गई दही को फैट मुक्त कहा जाता है.
  • फूल क्रीम दूध से बनी दही को फुल फैट कहा जाता है.
  • बिना किसी फ्लेवर मिलाई हुई दही का रंग सफेद, हल्का खट्टा स्वाद होता है.
  • घर में जमाई हुई बिना फ्लेवर वाली दही के फायदे होते है.

दही हर किसी के लिए नहीं हो सकती है

दूध से एलर्जी या लैक्टोज इनटॉलेरेंस वाले लोगों को दही के सेवन करने से कुछ इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है.

दूध से एलर्जी

  • दूध में वे और केसिन प्रोटीन होता है जिससे बहुत से लोग एलर्जिक होते है.
  • इन मामलों में दूध के सेवन से हाइव्स और सूजन आदि ट्रिगर हो सकते है.
  • इसलिए दूध से एलर्जी होने पर दही नही खानी चाहिए.

लैक्टोज इनटॉलेरेंस

  • जब शरीर में लैकटोज को तोड़ने वाले एंजाइम की कमी हो जाती है तो उसे लैक्टोज इनटॉलेरेंस कहते है.
  • दूसरे शब्दों में समझे तो लैक्टोज इनटॉलेरेंस दूध में मिलने वाली शुगर होती है.
  • इसके कारण दूध जैसे प्रोडक्ट का सेवन करने के बाद पेट में दर्द, डायरिया जैसे लक्षण दिखाई देते है.
  • लैक्टोज इनटॉलेरेंस वाले लोगों को दही खाने से बचना चाहिए.
  • वहीं ऐसे लोगों में प्रोबायोटिक्स लेना पाचन में मदद करता है.

अतिरिक्त शुगर

  • कई प्रकार की दही में हाई मात्रा में शुगर मिली हुई होती है.
  • ज्यादा चीनी के सेवन से मोटापा समेत डायबिटीज का रिस्क रहता है.

अंत में

दही पोषक तत्वों से भरपूर होती है जिसके नियमित सेवन से स्वास्थ बेहतर होता है. साथ ही इससे कुछ रोगों का रिस्क कम होने और पाचन तंत्र बेहतर होता है. इससे वजन के कम करने में मदद मिलती है. घर में खुद से जमाई हुई दही बेहतर रहती है.

इसके सबसे ज्यादा लाभ उठाने के लिए बिना चीनी वाले दही का सेवन करना चाहिए, इसमें कई प्रोबायोटिक्स होते है. किसी अन्य समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से बात कर सलाह लें.

References –

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