आज इस लेख में हम आपको बताने वाले है ऊंटनी के दूध के फ़ायदे के बारे में –
ऊंटनी के दूध के फ़ायदे – camel milk benefits
इम्यून सिस्टम बूस्ट करने
- ऊंटनी के दूध में कंपाउड होते है जो कई रोग के कारण अणुओं से लड़ने में मदद करते है.
- ऊंटनी के दूध में मौजूद प्रोटीन कंपाउंड में इम्यून बूस्ट करने वाले गुण होते है.
- साथ ही इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते है.
पोषक तत्वों में पूर्ण
- ऊंटनी का दूध हमारे शरीर के लिए ज़रूरी कई सारे पोषक तत्वों में पूर्ण होता है.
- जब बात आती है प्रोटीन, कैलोरी, कार्ब्स की, तो ऊंटनी के दूध की तुलना गाय के दूध के साथ की जा सकती है.
- हालांकि इसमें सैचुरेटिड फैट की मात्रा कम होने के अलावा ज्यादा विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, फोस्फोरस और विटामिन बी होता है.
- साथ ही ऊंटनी के दूध में हेल्दी फैट भी मौजूद होते है जो हार्ट और दिमाग को सोपर्ट करते है.
दिमाग संबंधी कंडीशन में लाभदायक
- ऊंटनी के दूध पर हुए अध्ययनों में देखने को मिला है कि यह ऑटिज़म संबंधी लोगों में व्यवहारात्मक बदलाव में मदद करता है.
- कई न्यूरोविकास संबंधी समस्याओं को ऑटिज़म के रूप में जाना जाता है, जिसमें सोशल इंटरैक्शन में परेशानी और बार बार एक ही तरह का व्यवहार दोहराना हो सकता है.
- इसके अलावा ऊंटनी का दूध न्यूरोडिजनरेटिव डिसऑर्डर रोग जैसे पार्किंसन और अल्ज़ाइमर रोग में भी लाभ देता है.
दूध से एलर्जी वाले लोगों के लिए
- काफ़ी सारे लोग ऐसे होते है जिनको दूध से एलर्जी या लैक्टोज सहन कर पाने की क्षमता नहीं होती है.
- लैक्टेज की कमी के कारण पाचन तंत्र शुगर को पचा नहीं पाता है, जिसकी कमी को लैक्टोज इंटोलरेंस कहा जाता है.
- जिसके कारण किसी भी दूध से बनी वस्तु का सेवन करने के बाद पेट फूलना, डायरिया और पेट दर्द का सामना करना पड़ता है.
- गाय के दूध की तुलना में ऊंटनी के दूध में लैक्टोज कम होता है जिससे दूध से एलर्जी वाले लोगों के लिए यह अच्छा होता है.
- कई सदियों से ऊंटनी के दूध को रोटावायरस के कारण होने वाले डायरिया के इलाज में उपयोग किया जाता है.
- रिसर्च के अनुसार ऊंटनी के दूध में डायरिया को ठीक करने वाली एंटी-बॉडी होती है, जो बच्चों में आम है.
डाइट में शामिल करना
- ऊंटनी के दूध को दूसरे अन्य दूधों के स्थान पर उपयोग किया जा सकता है.
- जैसे आप इसे सादा या कॉफी, चाय, स्मूदी, सोस, मैक और चीज़ आदि में उपयोग कर सकते है.
- हालांकि, थोड़ा टेस्ट अलग हो सकता है जो ऊंटनी के प्रकार पर निर्भर करता है.
- ऊंटनी के दूध के प्रोडक्ट जैसे सॉफ्ट चीज़, दही और मक्खन आदि का उपयोग भी किया जा सकता है.
ब्लड शुगर को कम करने
- टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में ऊंटनी का दूध ब्लड शुगर को कम करने समेत इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर करता है.
- इस दूध में इंसुलिन जैसे प्रोटीन होते है जो एंटी-डायबिटीक क्रिया के लिए जिम्मेदार होते है.
- ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने के लिए इंसुलिन एक हार्मोन है.
- अध्ययनों की माने तो ऊंटनी का 1 लीटर दूध 52 यूनिट इंसुलिन के बराबर होता है.
- साथ ही यह हाई जिंक का सोर्स भी होता है जो इंसुलिन संवेदनशीलता को अच्छा करता है.
ध्यान रखने वाली बातें
मंहगा
- गाय के दूध की तुलना में यह मंहगा होता है जिसके कई कारण होते है.
- दूसरे स्तनधारी जीवों की ही तरह ऊंटनी भी जन्म देने के बाद ही दूध देती है.
- ऊंटनी की गर्भवस्था 13 महीने लंबी होती है.
- ऊंटनी एक दिन में करीब 6 लीटर दूध देती है.
जरूरी नहीं कि पाश्चुरीकृत हो
- पारंपरिक रूप से ऊंटनी के दूध को कच्चा बिना गर्म या पाश्चुरीकृत किए बिना पिया जाता है.
- जिस कारण काफ़ी सारे स्वास्थ विशेषज्ञ इसके सेवन की सलाह नहीं देते है.
- ऐसा इसलिए क्योंकि इससे फ़ूड पॉइजनिंग का रिस्क बढ़ जाता है.
- कच्चे दूध में मौजूद ऑर्गेनिज़म के कारण इंफेक्शन, किडनी फेलियर समेत जान का खतरा रहता है.
- यह रिस्क कमजोर इम्यून सिस्टम, गर्भवती महिलाएं, बच्चे, वृद्धों में अधिक होता है.
- ऊंटनी के दूध में मिलने वाले ऑर्गेनिज़म के कारण टीबी, मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और मेडिटेरियन फिवर का रिस्क रहता है.
अंत में
कई सदियों से ऊंटनी के दूध को रेगिस्तान जैसे वातावरण में भी पोषक तत्वों का ज़रूरी सोर्स माना जाता रहा है.
आजकल यह कई देशों में बनाया और बेचें जाने के अलावा पाउडर आदि के रूप में भी उपलब्ध है.
प्राचीन समय से ही ऊंटनी का दूध एक पारंपरिक डाइट का हिस्सा रहा है. हाल ही में इसने विकसित देशों में खुद को हेल्दी फ़ूड के रूप में ख्याती हासिल की है.
रिसर्च के अनुसार, ऊंटनी के दूध को लैक्टोज टोलरेंस और गाय के दूध से एलर्जी वाले लोगों द्वारा आसानी से पचा लिया जाता है.
साथ ही यह ब्लड शुगर को कम करने, इम्यूनिटी बेहतर करने और कुछ न्यूरो संबंधी समस्याओं में लाभ देता है.
फिर भी यह दूध दूसरों की तुलना में मंहगा होता है और पाश्चुरीकृत नहीं होता, जिस कारण हेल्थ परेशानी का रिस्क रहता है.
References –
- https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4116376/
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