आज इस लेख में आप जानेंगे टॉन्सिल का प्रभावी रूप से इलाज और लक्षणों को कम करने के घरेलू उपाय –

टॉन्सिल के घरेलू उपाय – home remedies for tonsils

मुलेठी की गोलियां

  • इससे गले की खराश को ठीक करने में मदद मिलती है.
  • इसमें ऐसे गुण होते है जो गले में दर्द को कम करने में सहायक है.
  • मुलेठी में प्राकृतिक एंटी इंफ्लामेटरी गुण होने के चलते यह गले की परेशानी और टॉन्सिल की सूजन को कम करने में मदद करते है.
  • छोटे बच्चे जिनको मुलेठी निगलने का खतरा रहता है उनके लिए इसकी गोली सही है.

शहद के साथ गर्म चाय

  • चाय जैसे गर्म पेय की मदद से टॉन्सिल के कारण होने वाली गले की असहजता को कम करने में मदद मिलती है.
  • शहद को चाय में मिलाकर भी पिया जा सकता है इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते है.
  • यह टॉन्सिलाइटिस के कारण होने वाले इंफेक्शन के इलाज में भी मदद करते है.
  • ध्यान रहें कि गर्म चाय में शहद घूलता नहीं है जबकि गुनगुने पानी लेने से लाभ होता है.
  • इसके अलावा अदरक चाय में भी मजबूत एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते है जो इंफ्लामेशन और असहजता को कम करते है.

ह्यूमिडफायर

  • कमरे में हीटर आदि के कारण हवा सूखी हो जाती है जिसके कारण टॉन्सिलाइटिस के परिणाम स्वरूप ड्राई माउथ का सामना करना पड़ता है.
  • सूखी दवा से गले की उत्तेजना हो सकती है जिसे ह्यूमिडफायर की मदद से ठीक किया जा सकता है.
  • ह्यूमिडफायर लगाने से हवा में मॉइस्चर फिर से आ जाता है जिससे कमर में वायरस भी नहीं टिकते है.
  • रात को सोते समय आपको ह्यूमिडफायर को ऑन रखना होती है जिससे टॉन्सिल में आराम मिलें.
  • स्टीम रूम में बैठने से भी इसमें राहत मिलती है.

नमक के पानी से गरारे

  • गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करने से टॉन्सिलाइटिस के कारण होने वाले गले की खराश और दर्द में राहत मिलती है.
  • इससे इंफ्लामेशन को कम करने में मदद के साथ ही इंफेक्शन का इलाज करने में मदद मिलती है.
  • इसके लिए ½ चम्मच नमक को आधे गिलास पानी में डाल लें.
  • इसके बाद पानी को नमक में मिलाएं.
  • कुछ सेकेंड के लिए इस पानी को मुंह में डालकर गरारे करें और फिर कुल्ला कर दें.
  • इसके बाद में सादा पानी से मुंह को कुल्ला किया का सकता है. (जानें – मुंह में कड़वा स्वाद आने के बारे में)

डॉक्टर से कब मिलें

  • कुछ लक्षण दर्शाते है कि आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है.
  • टॉन्सिल के साथ बुखार, गले में 24 से 48 घंटों तक खराश या चुभन के बने रहने.
  • थकान, निगलने में दर्द या परेशानी, लिम्फ नॉड्स की सूजन शामिल है.

अंत में

टॉन्सिलाइटिस एक कंडीशन है जिसमें टॉन्सिल संक्रमित हो जाते है. इसके होने का कारण बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन में से कोई भी हो सकता है.

इस कंडीशन के दौरान बुखार, कान में दर्द, गले में खराश, टॉन्सिल की सूजन, निगलने में परेशानी, सांसों की बदबू, आवाज़ भारी होना होता है.

वायरल इंफेक्शन के कारण होने वाले टॉन्सिलाइटिस अपने आप ठीक हो जाते है. जबकि बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज में एंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ती है.

इसके इलाज के दौरान टॉन्सिलाइटिस के लक्षणों से राहत पाने के लिए फोकस किया जाता है जिसमें एनएसएड्स का उपयोग किया जाता है. जिससे इंफ्लामेशन और दर्द में राहत मिलती है.

लेकिन ऐसे बहुत से घरेलू उपचार है जो टॉन्सिलाइटिस के लक्षणों का इलाज करने और कम करने में मदद करता है.

टॉन्सिल के काफी सारे मामले तेज़ी से ठीक हो जाते है. जबकि वायरस के कारण होने वाले टॉन्सिलाइटिस को ठीक से आराम और खूब सारे फ्लूइड पीने के अलावा 7 से 10 दिन तक ठीक होने में लगते है.

वहीं बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस को ठीक होने में करीब एक हफ्ते का समय लग सकता है, काफी सारे लोगों को एंटीबायोटिक्स लेने के बाद जल्दी से आराम मिलना शुरू हो जाता है. (जानें – एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट के बारे में)

डॉक्टर द्वारा बताए गए ट्रीटमेंट या घरेलू उपचारों पर बने रहने, शरीर के जरूरी आराम और फ्लूइड पीते रहने से आराम में मदद मिलती है.

रेयर और गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है जिसके बाद रिकवर करने में 14 दिनों का समय लगता है.

References –

 

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