इस लेख में आप जानेंगे केराटोसिस पिलारिस क्या होता है, इसके लक्षण, कारण, इलाज और घरेलू उपचार –

केराटोसिस पिलारिस क्या होता है – what is Keratosis Pilaris in hindi

  • यह एक सामान्य स्किन कंडीशन होती है जिसे चिकन स्किन भी कहा जाता है.
  • इसमें स्किन पर छोटे छोटे बम्प्स दिखने लगते है.
  • यह छोटे बम्प्स या कहे पिंपल्स डेड स्किन सेल्स होते है जिसमें हेयर फॉलिकल दिख रहे होते है.
  • यह छोटे मुंहासे लाल या ब्राउन रंग के दिखते है.
  • आमतौर पर केराटोसिस पिलारिस हाथ के ऊपरी हिस्से, जांघ, गाल या नितम्बू पर दिखते है.
  • यह संक्रामक नही होते है और नही इनमें किसी प्रकार की खुजली या असहजता होती है.
  • सर्दीयों के मौसम में स्किन ड्राई होने पर यह कंडीशन खराब हो सकती है.
  • इसके अलावा प्रेगनेंसी में भी इसके खराब होने के आसार रहते है.
  • इस जेनेटिक्स कंडीशन का कोई इलाज नही होता है लेकिन इसे खराब होने से रोका जा सकता है.
  • केराटोसिस पिलारिस 30 साल की आयु तक अपने आप ठीक हो जाती है.

केराटोसिस पिलारिस के लक्षण क्या है – what are the symptoms of Keratosis Pilaris in hindi

  • इसके सबसे आम लक्षणों में से एक केराटोसिस पिलारिस का दिखना है.
  • इसका दिखाई देने वाला लक्षण स्किन पर गूजबम्प जैसा होता है.
  • केराटोसिस पिलोरिस वाले व्यक्ति की स्किन छिले हुए चिकन की तरह दिखती है.
  • यह छोटे बमप्स स्किन पर जहां हेयर फॉलिकल होते है, उस जगह पर दिख सकते है.
  • इसी कारण केराटोसिस पिलारिस कभी भी हथेली या पैरों के तलवों पर नही दिखाई देते है.
  • केराटोसिस पिलारिस अधिकतर हाथों के ऊपरी हिस्से और जांघों पर होते है.
  • ज्यादा होने पर यह फोरआर्म और पैरों के निचले हिस्से तक हो सकते है.

केराटोसिस पिलारिस के अन्य लक्षण –

  • सूखी त्वचा
  • बम्प जो सैंडपेपर के जैसे लगते है
  • गुलाबी या लाल रंग के बम्प
  • खुजली वाली त्वचा
  • स्किन टोन के आधार पर बम्प का रंग अलग हो सकता है.

केराटोसिस पिलारिस के कारण – what are the causes of Keratosis Pilaris in hindi

  • इस स्किन कंडीशन के होने का कारण छिद्रों में बालों के प्रोटीन केराटिन का बनना होता है.
  • केराटोसिस पिलारिस होने पर शरीर के बालों का केराटिन छिद्रों में जमा हो जाता है.
  • जिससे हेयर फॉलिकल का विकास ब्लॉक हो जाता है.
  • जिस कारण जहां पर बाल होना चाहिए उस स्थान पर छोटा बम्प हो जाता है.
  • जब आप बम्प को ध्यान से देखेंगे तो आपको वहां पर छोटा सा बाल नजर आएगा.
  • केराटिन बनने का असल कारण साफ नही है लेकिन डॉक्टरों के अनुसार यह अटॉपिक डर्मेटाइटिस और जेनेटिक रोग से जुड़ी हुई होती है.

केराटोसिस पिलारिस किसको हो सकता है – who can develop keratosis pilaris in hindi

निम्न लोगों में चिकन स्किन सामान्य होती है –

  • एक्जिमा
  • हे फीवर
  • मोटापा
  • महिलाएं
  • बच्चे या किशोर
  • ड्राई स्किन

यह कंडीशन किसी को भी हो सकती है लेकिन यह बच्चों और किशोरवस्था में होना आम है. केराटोसिस पिलारिस बचपन के अंत या व्यस्क होने पर हो सकता है.

हार्मोनल बदलाव के कारण प्रेगनेंसी के दौरान या किशोरवस्था में यौवन की शुरूआत में हो सकते है. इसके अलावा केराटोसिस पिलारिस साफ त्वचा के रंग वाले लोगों में आम है.

केराटोसिस पिलारिस का इलाज – what is the treatment of keratosis pilaris in hindi

केराटोसिस पिलारिस का कोई इलाज नही है, आयु के साथ यह अपने आप ठीक हो जाते है. इसके अलावा इलाज में समय लग सकता है. डॉक्टरों द्वारा निम्न उपचार दिए जाते है –

  • स्किन डॉक्टर आपको मॉइचराइजर दे सकते है जिससे स्किन की खुजली, सूखापन में आराम मिलता है.
  • काफी सारे ओटीसी या डॉक्टर द्वारा प्रीस्क्राइब टॉपिकल क्रीम आदि डेड स्किन सेल्स को हटा सकती है.
  • मॉइचराइजर ट्रीटमेंट में यूरिया और लैक्टिक एसिड दो मुख्य सामग्री होती है.
  • साथ ही यह दोनों सामग्री ढीला करके डेड स्किन सेल्स को हटाने और सूखी त्वचा को सॉफ्ट करने में मदद करते है.

अन्य उपचार

  • केमिकल पील्स
  • माइक्रोडर्माब्रेशन
  • रेटिनॉल क्रीम

इन दवाओं के उपयोग से पहले डॉक्टर से बात कर पूरी जानकारी लें. कुछ टॉपिकल क्रीम में एसिड होता है जिसके कुछ साइड इफेक्ट होते है जैसे –

  • लाल होना
  • सूखापन
  • चुभन
  • जलन

इसके अलावा कुछ अन्य ट्रीटमेंट भी होते है जो सीधे डॉक्टर क्लीनिक या अस्पताल में दे सकते हैं.

केराटोसिस पिलारिस के घरेलू उपचार – Keratosis pilaris home remedies in hindi

अगर आपको अपने केराटोसिस पिलारिस को देखना पसंद नही है तो आप कुछ तकनीक अपने घर में इस्तेमाल कर सकते है. हालांकि यह कंडीशन उपचारित नही हो सकती है लेकिन कुछ उपचार से बम्प, खुजली और जलन कम हो सकती है.

गर्म पानी से नहाना

  • कम समय और गर्म पानी से नहाने पर छिद्रों से रूकावट निकल सकती है.
  • बम्पस को हटाने के लिए स्किन को कड़े ब्रश से रब करें.
  • नहाने का समय कम रखें जिससे शरीर के नैचुरल ऑयल हटे नही.

हाइड्रेशन लोशन लगाए

  • स्किन इंफ्लामेशन के मामलों में ग्लीसरीन लगाई जा सकती है जिससे स्किन सॉफ्ट रहें.
  • इसके अलावा डॉक्टर द्वारा प्रीस्क्राइब दवाएं लगाए.

ह्यूमीडफायर का इस्तेमाल

  • इनसे कमरे में मॉइस्चर ऐड होता है.
  • जिससे स्किन पर मॉइस्चर रहने के साथ साथ खुजली नही होती है.

टाइट कपड़े पहनने से बचें

  • टाइट कपड़े पहनने से घ्रषण होता है जिससे स्किन समस्या होती है.

अंत में

ये क्रीम खुजली और लाली का कारण बन सकता है. चूंकि यह स्थिति बच्चों में प्रचलित है, इसलिए इन क्रीमों को केवल तभी उपयोग किया जाना चाहिए जब पूरी तरह से आवश्यक हो और चिकित्सा निर्देशन के साथ दिया जाना चाहिए. यह स्थिति हानिरहित और आत्म-सीमित है, इसलिए कोई इलाज अनिवार्य नहीं है. इन मामलों में रोगी शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है.

References –

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