इस लेख में आप जानेंगे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर क्या होता है, लक्षण, कारण, रिस्क फैक्टर, जटिलताएं, निदान, इलाज, डॉक्टर से कब मिलें और घरेलू उपाय –

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर क्या होता है? – what is Seasonal affective disorder in hindi

  • सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर एक प्रकार का डिप्रेशन होता है जो मौसम से संबंधित होता है.
  • यह हर साल एक निर्धारित समय पर शुरू और खत्म होता है.
  • अगर आप सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से प्रभावित अधिकत्तर लोगों जैसे है तो सर्दी के मौसम में आपको इसके लक्षण दिखने शुरू होंगे.
  • इस डिसऑर्डर के दौरान आपकी एनर्जी कम होने के कारण आप मूडी महसूस कर सकते है.
  • ऐसा बहुत कम होता है कि सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर गर्मी की शुरूआत या बारिशों में कम होता है.
  • इसके इलाज में लाइट थेरेपी, दवाएं और साइकोथेरेपी होती है.
  • इस डिसऑर्डर से घबराने की जरूरत नहीं है इसके लिए आप कुछ स्टेप्स ले सकते है.

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण क्या होते है? – what are the symptoms of Seasonal affective disorder in hindi

  • अधिकत्तर मामलों में सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण सर्दियों की शुरूआत या दौरान देखने को मिलते है और बारिश या गर्मियों की शुरूआत होने पर चले जाते है.
  • इसके विपरित पैटर्न में लक्षण होते है जो बारिश या गर्मी में शुरू होकर सर्दियों में चले जाते है. हालांकि यह बहुत कम होते है.
  • अन्य मामलों में लक्षण हल्के से शुरू होकर मौसम के बढ़ने पर गंभीर भी हो सकते है.
  • अन्य संकेत और लक्षणों में कम एनर्जी, नींद की समस्या, लुफ्त उठाए जाने वाली एक्टिविटी में रूचि न रहना, भूख और वजन में बदलाव, ध्यान लगाने में परेशानी, बार बार मौत या आत्महत्या के विचार आना, खुद को किसी काबिल न समझना, अधिकांश समय डिप्रेशड महसूस करना आदि हो सकता है.

सर्दियों में होने वाले सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर

  • ज्यादा नींद लेना
  • थकान
  • एनर्जी कम रहना
  • वजन बढ़ना
  • भूख में बदलाव
  • हाई कार्ब्स वाले फ़ूड्स के सेवन की ललक

गर्मियों में होने वाला सीजन अफेक्टिव डिसऑर्डर

बाइपोलर डिसऑर्डर और मौसम बदलाव

  • बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित लोगों में गर्मी या बारिश के मौसम के दौरान मैनिया या हाइपोमैनिया के लक्षण दिख सकते है.
  • यह लक्षण सर्दियों के दौरान चले जाते है.

सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के कारण क्या होते है – what are the causes of Seasonal affective disorder in hindi

  • बायोलॉजिक्ल क्लॉक – सर्दी की शुरूआत के कारण सूरज की रोशनी कम मिलने के कारण यह होता है. जिस कारण डिप्रेशन ज्यादा हो जाता है.
  • सेरोटोनिन लेवल – सेरोटोनिन लेवल को कम होने के कारण मूड में बदलाव होता है. सेरोटोनिन दिमाग में मौजूद केमिकल होते है इनको न्यूरोट्रांसमीटर भी बोला जाता है.
  • मेलाटोनिन लेवल – मौसम में बदलाव के कारण शरीर में मलाटोनि लेवल का संतुलन बदल जाता है जिस कारण नींद के पैटर्न और मूड में बदलाव होते है.

रिस्क फैक्टर

  • यह रिस्क फैक्टर महिलाओं में अधिकांश देखने को मिलते है.
  • साथ ही यह युवा व्यस्कों में ज्यादा देखे जाते है.
  • इसके रिस्क फैक्टरों में फैमिली हिस्ट्री बहुत अहम भूमिका निभाते है.
  • इसके अलावा कोई बड़ी डिप्रेशन की समस्या या बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण भी इसके होने का रिस्क रहता है.

जटिलताएं

  • दूसरे प्रकार के डिप्रेशन की ही तरह इस डिसऑर्डर के लक्षणों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
  • इलाज न मिलने पर सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर काफी खराब होकर समस्याओं का कारण बन सकते है.
  • इनमें काम की समस्या, सोशल रूप से बाहर निकलना, घबराहट या इटिंग डिसऑर्डर, आत्मघाति विचार आदि हो सकते है.

निदान

  • मूल्यांकन करने के अलावा भी कई मामलों में डॉक्टर के लिए सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के डिप्रेशन प्रकार या अन्य मेंटल हेल्थ कंडीशन एक जैसे लक्षण के कारण हो सकते है.
  • आमतौर पर इसका पता लगाने के लिए शारीरिक एक्जाम, लैब टेस्ट जिसमें ब्लड काउंट या थायरॉइड टेस्ट किया जाता है.
  • इसके अलावा साइकोलॉजिकल मूल्यांकन किया जाता है जिसमें डिप्रेशन के संकेत, विचार, व्यवहारत्मक पैटर्न जैसे लक्षण शामिल होते है.

सीजन अफेक्टिव डिसऑर्डर का इलाज – what is the treatment of Seasonal affective disorder in hindi

  • इसके इलाज में लाइट थेरेपी, दवाएं और साइकोथेरेपी शामिल है.
  • बाइपोलर डिसऑर्डर के मामलों में डॉक्टर को बताना चाहिए जिससे सही इलाज दिया जा सकें.

लाइट थेरेपी

  • इसे फोटोथेरेपी भी बोला जाता है जिसमें आप एक स्पेशल लाइट बॉक्स से कुछ फीट दूर बैठते है.
  • जिससे आप जागने के बाद करीब एक घंटे तक ब्राइट लाइट को लेकर एक्सपोज हो.
  • लाइट थेरेपी प्राकृतिक बाहरी प्रकाश की नकल करती है और मस्तिष्क से जुड़े रसायनों में बदलाव का कारण बनती है.
  • यह आमतौर पर कुछ दिनों से कुछ हफ्तों में काम करना शुरू कर देता है और कुछ दुष्प्रभावों का कारण बनता है.
  • इसके अलावा इसका उपयोग और लाभ की अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से बात कर सलाह ली जानी चाहिए.

साइकोथेरेपी

  • इसको टॉल्क थेरेपी भी बोला जाता है जिसे सजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के लिए काफी उपयोगी माना जाता है.
  • इससे आपको नाकारात्मक विचार और व्यवहार का पता लगाने में मदद कर सकता है.
  • अपनी एक्टिविटी को नियमित करना बहुत अच्छा रहता है जिससे डिसऑर्डर के साथ जीने में मदद मिलती है.
  • साथ ही तनाव को मैनेज करने में मदद मिलती है.

दवाएं

  • कुछ लोगों को इस डिसऑर्डर के इलाज में एंटीड्रिपेसेंट का उपयोग किया जाता है.
  • इन दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह के अनुसार किया जाना चाहिए.
  • दवाओं का असर दिखने में कुछ हप्तों का समय लग सकता है.
  • हर साल इन लक्षणों के शुरू होने को लेकर जानकारी डॉक्टर साझा जरूर करें.

अन्य

डॉक्टर से कब मिलें

  • कुछ दिनों तक खराब महसूस करना काफी आम है.
  • लेकिन एक निर्धारित समय से ज्यादा तक खुद को प्रोत्साहित न करने के मामलों में डॉक्टर से मिलकर सलाह ली जानी चाहिए.
  • ऐसा खासकर तब होता है जब नींद के पैटर्न, भूख में बदलाव, शराब पीना शुरू करना या आत्मघाति विचार आदि हो सकते है.

घरेलू उपाय

  • बाहर निकले – इस दौरान आप लंबी वॉल्क ले सकते है, बाहर निकलकर सूरज की रोशनी लेना, सर्दी या ठंडे दिनों के दौरान बाहर की रोशनी काफी मदद करती है. सुबह उठकर सूरज की रोशनी ली जानी चाहिए.
  • नियमित एक्सरसाइज – ऐसा करने से आपको तनाव और घबराहट को कम करने में मदद करती है, जिनको सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षणों को बढ़ाने के रूप में जाना जाता है. लंबे समय तक फिट रहने पर आपका मूड बेहतर रह सकता है.

अंत में

कुछ हर्बल दवाएं, सप्लीमेंट या अन्य तकनीको को डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद करने के लिए जाना जाता है. इनके उपयोग से पहले डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए.

ध्यान रहें कि अपने ट्रीटमेंट प्लान पर बने रहें, अपना ध्यान रखें, ट्रिप पर जाए, सोशल हो जाए, तनाव को मैनेज करें, नियमित एक्सरसाइज करना न भूलें.

किसी अन्य समस्या या सवाल के लिए डॉक्टर से बात कर सलाह ली जानी चाहिए.

References –

Share: