पेट की लिनिंग में विकसित होने वाले खुले हुए छालों को पेट में अल्सर के रूप में जाना जाता है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अल्सर वाले रोगी को कोई विशेष प्रकार की डाइट लेने की जरूरत नही होती है. साथ ही फ़ूड चॉइस के कारण न ही अल्सर होते है और न ही वह इन्हें खराब बनाते है.

हाल फिलहाल के अध्ययनों में देखा गया है कि कुुछ फ़ूड्स में विशेष प्रकार की सामग्री होती है जो अल्सर होने के कारण वाले मुख्य बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते है. आज इस लेख में आप जानेंगे पेट में अल्सर होने के कारण, क्या खाएं, क्या न खाएं और अल्सर का इलाज –

पेट में अल्सर के लिए डाइट – stomach ulcer diet in hindi

पेट में अल्सर होने पर क्या खाएं

अधिकतर अल्सर के इलाज में डॉक्टरों द्वारा एंटीबायोटिक्स और एसिड ब्लॉक करने वाली दवाएं दी जाती है. लेकिन निम्न फ़ूड्स को खाने से अल्सर के कारण वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद मिलती है.

  • गाजर
  • ग्रीन टी
  • सेब
  • ब्रोकली
  • काले
  • पालक
  • प्रोबायोटिक फ़ूड्स जैसे दही आदि
  • मूली
  • शहद
  • पत्ता गोभी
  • रास्पबैरी
  • चैरी
  • फूलगोभी
  • स्ट्रॉबैरी
  • शतूत
  • काली मिर्च
  • हल्दी
  • लहसुन
  • ऑलिव ऑयल
  • मुलेठी

यह प्रभावी क्यों होते है

  • अगर पेट में अल्सर का कारण एच. पायलोरी है तो ऐसे में एंटीऑक्सीडेंट रिच फ़ूड्स आपके लिए फ़ायदेमंद रहते है.
  • इनकी मदद से इम्यून सिस्टम का बचाव और एक्टिव रहकर इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है.
  • साथ ही यह पेट के कैंसर से भी बचाव करते है.
  • ब्लूबैरी, चैरी और काली मिर्च जैसे खाद्यों में एंटीऑक्सीडेंट की पॉवर होती है.
  • हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे काले और पालक में कैल्शियम और विटामिन बी होते है.
  • कुछ अध्ययनों के अनुसार, ऑलिव ऑयल में मौजूद फैटी एसिड एच. पायलोरी इंफेक्शन को ठीक करने में मदद करते है.
  • इंफेक्शन से बचाव करने के साथ अल्सर के उपचार में प्रोबायोटिक्स को काफी प्रभावी माना जाता है.
  • दूसरे उपचारों के साथ हल्दी को अल्सर के उपचार में भी प्रभावी माना जाता है.
  • लहसुन, ग्रीन टी और मुलेठी को डाइट में शामिल करने से कई स्वास्थ लाभ होते है.

सप्लीमेंट फ़ायदेमंद हो सकते है

  • अगर पेट में अल्सर होने पर उसका इलाज एंटीबायोटिक्स से होता है तो डाइट प्लान में प्रोबायोटिक्स लेना चाहिए.
  • इससे एंटीबायोटिक्स से जुड़े हुए लक्षण कम हो जाते है.
  • साथ ही एंटाबयोटिक की प्रभावशीलता बेहतर हो जाती है.
  • किसी एंटीबायोटिक के साथ कौन सा प्रोबायोटिक लेना है इसके बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए.
  • भोजन से एक घंटे पहले मुलेठी और हल्दी लेने से अल्सर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

पेट में अल्सर होने पर क्या न खाएं – foods to limit when you have stomach ulcer in hindi

कुछ लोग जिनको अल्सर होता है उन्हें एसिड रिफ्लक्स की समस्या भी होती है. जबकि कुछ फ़ूड्स एसोफेगस के लोवर पार्ट को रिलैक्स कर सकते है जिससे हार्टबर्न, अपच और दर्द से बचाव होता है. एसिड रिफ्लक्स को खराब करने वाले निम्न फ़ूड्स होते है –

  • शराब
  • कॉफी
  • तीखा भोजन
  • चॉकलेट
  • कैफीन
  • एसिडिक फ़ूड्स जैसे टमाटर, रसीले फल

भोजन ज्यादा खाने या सोने से 2-3 घंटे पहले इन फ़ूड्स को खाने से लक्षण खराब हो सकते है.

अल्सर के कारण और रिस्क फैक्टर 

  • अधिकतर अल्सर के मामलों में इसका कारण एच. पायलोरी नाम का बैक्टीरिया इंफेक्शन होता है.
  • इसके अलावा आसानी से मिलने वाली नॉन स्टेरोइडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं के क्रोनिक इस्तेमाल के कारण भी यह हो सकता है.

अल्सर के ट्रीटमेंट ऑप्शन

  • एच. पायलोरी के कारण वाले अल्सर का अधिकतर इलाज एंटीबायोटिक्स के साथ होता है.
  • ट्रीटमेंट प्लान लेते रहने और नियमित डॉक्टर से जांच अल्सर के लिए सबसे प्रभावी माना जाता है.
  • डॉक्टर आपको दवाएं लिख सकते है जो पेट में एसिड बनने को नॉर्मल रखती है.

अंत में

अधिकतर अल्सर होने के पीछा का कारण एच.पायलोरी होता है जिसका इलाज संभव है. लेकिन उपचार न मिल पाने पर पेट में अल्सर गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते है जैसे अंदरूनी ब्लीडिंग और पेट का कैंसर आदि. पेट में अल्सर होने का अंदेशा होने पर उसे इग्नोर नही करना चाहिए. डॉक्टर से बात कर उचित उपचार लिया जाना चाहिए.

References –

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