इस लेख में आप जानेंगे यूरिक एसिड के लेवल को कम करके गाउट का इलाज करने वाली आयुर्वेदिक दवाएं –

यूरिक एसिड आयुर्वेदिक इलाज – uric acid treatment in ayurveda

यूरिक एसिड के बनने और गाउट का इलाज करने के लिए कई आयुर्वेदिक उपाय उपलब्ध है. इनमें से कुछ उपचार हर्बल जबकि अन्य लाइफस्टाइल बदलाव वाले होते है.

हल्दी

  • हल्दी को रसोई के अलावा कई रोगों के उपचार में भी उपयोग किया जाता है.
  • आयुर्वेद में हल्दी के कई लाभ होते है.
  • हल्दी में मौजूद करक्यूमिन के कई फ़ायदे होते है.
  • 2016 में हुई स्टडी के अनुसार, यह जॉइंट आर्थराइटिस के लक्षण का उपचार करने में प्रभावी है.
  • इसका उपयोग कई सारे डिश आदि के अलावा यूरिक एसिड लेवल को कम करने में मदद करते है.

चैरी

  • कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा डाइट में चैरी और डार्क बैरी को शामिल करने की सलाह दी जा सकती है.
  • ऐसा माना जाता है इससे शरीर में यूरिक एसिड लेवल को कम करने में मदद मिलती है.
  • चैरी का जूस गाउट के इलाज में उपयोगी है.
  • इसके अलावा अनार के जूस को भी यूरिक एसिड के लेवल को प्रभावी रूप से कम करने के लिए जाना जाता है.

गिलोय

  • आमतौर पर आयुर्वेद में गिलोय का उपयोग जड़ी बूटी के रूप में किया जाता रहा है.
  • साल 2017 में गिलोय के लाभ को लेकर हुए अध्ययन में पाया गया कि गिलोय का अर्क गाउट का इलाज करने में बहुत प्रभावी है.
  • अध्ययन में यह भी पाया गया कि गिलोय का अर्क शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड के लेवल को सामान्य करने में कारगर होता है.
  • इसके अलावा गिलोय में एंटी इंफ्लामेटरी और दर्द से राहत देने वाले प्रभाव होते है.

करेला

  • आयुर्वेद में वात रोगों का इलाज करने के लिए करेला का उपयोग किया जाता रहा है.
  • आमतौर पर गाउट का इलाज करने के लिए इसे प्रीस्काइब किया जाता है.
  • करेला के सेवन से गाउट का इलाज या यूरिक एसिड लेवल के कम होने को लेकर कोई स्टडी उपलब्ध नहीं है.

डाइटरी बदलाव

  • आयुर्वेद उपचारों में जड़ी बूटियों के अलावा डाइटरी बदलाव भी किए जाते है.
  • इन दवाओं को लेते समय ध्यान रहें कि शराब, शुगर, मांस और सीफूड का सेवन न करें.
  • गाउट के मामलों में आयुर्वेद में डेयरी के सेवन को कम करने की सलाह दी जाती है.
  • आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा शाकाहारी रहने से यूरिक एसिड लेवल को कम किया जा सकता है.

नीम

  • गाउट के कारण होने वाले फ्लेयर-अप और इंफ्लामेशन को कम करने में आयुर्वेद में नीम का उपयोग सामान्य है.
  • इसके लिए नीम का पेस्ट तैयार करके उसे प्रभावित एरिया पर लगाया जा सकता है.
  • 2011 में हुए अध्ययन के मुताबिक नीम में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते है लेकिन गाउट और यूरिक एसिड के लक्षण का उपचार करने को लेकर कोई तथ्य नहीं पाए गए.

एक्सरसाइज

  • आयुर्वेद उपचार में एक्सरसाइज एक महत्तवपूर्ण हिस्सा है.
  • ऐसा माना जाता है कि योग संपूर्ण हेल्थ को सपोर्ट करता है.
  • एक्सरसाइज करने के कई सारे लाभ होते है.
  • एक्सरसाइज करने के फ़ायदों में तनाव को कम करना जिसे गाउट अटैक का कॉमन ट्रिगर माना जाता है.
  • योगा को तनाव के लेवल को कम करने के लिए प्रभावी माना जाता रहा है.

त्रिफला

  • त्रिफला एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है तीन फल.
  • ऐसा इसलिए क्योंकि त्रिफला को तीन जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाया जाता है.
  • तीन फलों में अमालकी, हरितकी, बिभीतकी होते है जिसमें प्रत्येक को शरीर के तीनों दोषों को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है.
  • एक रिपोर्ट के मुताबिक त्रिफला में एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते है जो गाउट संबंधी इंफ्लामेशन को कम करने में मदद करती है.
  • हालांकि, इससे संबंधित रिसर्च सिर्फ जानवरों तक सीमित है और गाउट से संबंधित अधिक अध्ययनों की जरूरत है.

अदरक

  • इसका उपयोग लगभग सभी घरों में होता है.
  • जबकि इसका सर्वाधिक इस्तेमाल चाय में किया जाता है.
  • अदरक के कई सारे फ़ायदे होते है जिसमे से एक गाउट का इलाज भी है.

शरीर में यूरिक एसिड के हाई लेवल के कारण

  • शरीर में यूरिक एसिड के हाई लेवल के कारण होने वाली कंडीशन को हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है.
  • जिसके परिणामस्वरूप गाउट का विकास हो जाता है.
  • गाउट एक कंडीशन है जिसमें दर्द के फ्लेयर-अप और इंफ्लामेटरी अर्थेराइटिस हो सकता है.
  • इस कंडीशन वाले कई लोग वैकल्पिक चिकित्सा और लाइफस्टाइल बदलाव कर शरीर में यूरिक एसिड के लेवल को कम करके फ्लेयर-अप से बचाव करते है. (जानें – गठिया का आयुर्वेदिक इलाज)
  • आयुर्वेद मुख्यता शरीर में दोषों (वात, पित्त, कफ) में संतुलन को पाने के रूप में काम करता है.

अंत में

गाउट का इलाज करने के लिए कई सारे आयुर्वेदिक उपचार उपलब्ध है लेकिन इनको लेकर वैज्ञानिक तथ्य सीमित है. (जानें – संतुलित डाइट के बारे में)

किसी भी जड़ी बूटी का सही उपयोग करने के लिए विशेषज्ञ से सलाह जरूरी है. जिससे वह कंडीशन का ठीक से निदान कर उचित सलाह प्रदान कर सकें.

References –

 

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