मधुमेह या कहे डायबिटीज जीवनभर रहने वाले रोगों में से एक है जिसका कोई इलाज नहीं है. एक बार डायबिटीज घोषित हो जाने के बाद रोगी को अपना शेष जीवन इसके साथ बिताना पड़ता है. लेकिन सबसे अहम बात यह है कि वैज्ञानिकों को टाइप 2 या अन्य किसी प्रकार के मधुमेह होने के कारण पता नहीं है.
टाइप 2 डायबिटीज के कारण क्या होते है? – What are the causes of type 2 diabetes in hindi?
मधुमेह से ग्रसित बहुत सारे लोगों को इसके संकेत और लक्षण समय के साथ धीरे धीरे विकसित होते है.
टाइप 2 डायबिटीज एक ऐसा प्रकार है जो मुख्यता दो समस्याओं से मिलकर बनता है.
- हाई और लो शुगर लेवल को मैनेज करने के लिए पेंक्रियाज़ से पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं निकलता है.
- इंसुलिन प्रतिरोध के कारण मांसपेशी, लिवर, फैट सेल्स इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील हो जाते है.
- शरीर में सेल्स को एनर्जी के लिए शुगर की आवश्यता होती है जो भोजन और लिवर से प्राप्त होता है.
- लिवर ग्लूकोज़ को स्टोर करता है और शरीर में ग्लूकोज का स्तर कम होने पर इसे इस्तेमाल करते है.
टाइप 2 मधुमेह में इंसुलिन और ग्लूकोज़ की प्रक्रिया उपयुक्त रूप से कार्य नहीं करती है.
वहीं टाइप 1 डायबिटीज में इम्युन सिस्टम हेल्दी सेल्स को मारने लगता है जिस कारण कम इंसुलिन या न के बराबर इंसुलिन बनती है.
जबकि टाइप 2 मधुमेह में शुगर सेल्स में न जाने के बजाये ब्लड में जमा होनी शुरू हो जाती है. खून में शुगर जमा होने के कारण पेंक्रियाज़ ज्यादा इंसुलिन बनाते है. जिस कारण समस्याग्रस्त होने या जरूरी मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूस नहीं करती है.
इंसुलिन स्राव
- इंसुलिन एक नैचुरल हार्मोन है जो पेंक्रियाज द्वारा विकसित होती है.
- यह शुगर को खून के जरिए सेल्स में ट्रांसपोर्ट करने में मदद करते है, जिससे वह एनर्जी के लिए उपयोग किया जा सके.
- जबकि शरीर में ग्लूकोज का उपयोग इंसुलिन द्वारा रेगुलेट कर शुगर को सेल्स में प्रवेश करवाते है.
- साथ ही इंसुलिन की मदद से ब्लड में शुगर के तीव्र लेवल को रेगुलेट करने में मदद मिलती है.
- परिणामस्वरूप पेंक्रियाज़ से इंसुलिन कम रिलीज होती है.
इंसुलिन प्रतिरोधी
- टाइप 2 मधुमेह जैसी कंडीशन में शरीर इंसुलिन के प्रति असंवेदनशील हो जाता है.
- ऐसा देखा गया है कि टाइप 2 मधुमेह के मामलों में पेंक्रियाज जरूरी मात्रा में इंसुलिन बनाती है, लेकिन शरीर उसे एनर्जी के लिए सेल्स में मूव नहीं कर पाते है.
- इसी कारण पेंक्रियाज़ को अधिक श्रम करना पड़ता है, परिणामस्वरूप इंसुलिन प्रतिरोध के साथ ही पेंक्रियाज सेल्स को क्षति पहुंचती है.
- इन सभी के बाद पेंक्रियाज़ इंसुलिन के प्रोडक्शन को स्लो कर देता है, जिस कारण खून में बहुत अधिक ग्लूकोज की मात्रा हो जाती है.
- ऐसे मामले प्रीडायबिटीक लोगों में देखने को मिलते है जहां शुगर के लेवल सामान्य से अधिक होते है और डायबिटीज घोषित करने लायक नहीं होते.
- प्रीडायबिटीक एक ऐसी कंडीशन है जिसे ठीक किया जा सकता है.
- जो रोगी अपनी टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज नहीं कर पाते है वह समय के साथ इंसुलिन प्रतिरोध विकसित हो जाता है.
- साथ ही इंसुलिन विकास कम हो जाता है.
टाइप 2 डायबिटीज के अन्य संभावित कारण
- आयु एक ऐसा फैक्टर है जो कई सारे कंडीशन में अहम भूमिका निभाता है जिसमें से एक मधुमेह है.
- 45 से अधिक आयु वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का रिस्क अधिक हो जाता है.
- मोटापे के कारण शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध विकसित हो सकता है.
- हालांकि, मोटापा और डायबिटीज से संबंधित अधिक रिसर्च की जरूरत है.
- इसके अलावा यह अधिक फैट के कारण इंफ्लामेशन और इंसुलिन प्रतिरोध विकसित कर सकता है.
- अन्य फैक्टर जैसे वजन बढ़ना, कम एक्सरसाइज करना, मांसपेशियों का घनत्व कम होना आदि इग्नोर नहीं करना चाहिए.
- अच्छी हेल्थ के लिए सही पोषण बहुत अहम भूमिका निभाता है, जबकि विश्व में ऐसे बहुत सारे देश है. जहां लोगों को सही पोषण मूल्य नहीं मिल पाता है.
- अनहेल्दी डाइट जिसमें ज्यादा कैलोरी, फैट और नुकसान दायक कार्ब होते है वह इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकता है.
- जेनेटिक्स या फैमिली हिस्ट्री रोगों के होने या न होने में बहुत अहम होते है.
- एक्सरसाइज करने से न सिर्फ आपको बेहतर लगता है लेकिन यह शरीर को कई तरीकों से मदद करता है.
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से डायबिटीज जैसे हेल्थ कंडीशन का रिस्क कम हो जाता है.
- ऐसे अधिकांश रूप से देखा जाता है कि खराब जीवशैली और कोई एक्सरसाइज नहीं करने के कारण मधुमेह की समस्या हो सकती है.
- कई प्रकार की रिसर्च के अनुसार, सिस्टिक फिब्रोसिस या हेमोक्रोमाटोसिस जैसी जेनेटिक कंडीशन के कारण पेंक्रियाज़ को क्षति पहुंच सकती है. जिससे बाद में मधुमेह विकसित हो सकता है.
- गेस्टेशनल डायबिटीज प्रेगनेंसी के दौरान विकसित होती है जो बाद के जीवन में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने के कारण बन सकता है.
- हार्मोनल कंडीशन जैसे कुशिंग सिंड्रोम, हाइपरथायरॉइडिज्म, आदि के कारण मधुमेह विकसित हो सकता है.
डॉक्टर से सलाह कब लें
अगर आपको डायबिटीज निदान किया जाता है या आपको टाइप 2 डायबिटीज का अन्य लक्षण जैसे प्यास बढ़ना, बार बार पेशाब आना, भूख बढ़ना, बिना वजह वजन कम होना, थकान, धुंधली दृष्टि, घावों का धीरे से बढ़ना, बार बार इंफेक्शन, हाथ या पैर का सुन्न होना या टिंगलिंग, गर्दन या बगल के आसपास के एरिया डार्क होना आदि.
अंत में
लक्षणों के अलावा जिन लोगों का वजन अधिक या मोटापा होता है, खराब कोलेस्टॉल लेवल का स्तर ज्यादा होना, 45 से अधिक आयु, पेट के आसपास चर्बी अधिक होना, बैठे रहना, प्रीडायबिटीक, आदि में टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क बढ़ जाता है.
टाइप 2 डायबिटीज के कारण बड़े अंग जैसे नर्व, आंखे, किडनी, वैसल्स, हार्ट रोगों का रिस्क ज्यादा हो जाता है.
ऐसे मामलों में हमेशा बेहतर रहता है कि किसी विशेषज्ञ या एक्सपर्ट से सलाह लें. डायबिटीज को मैनेज करने के लिए सही सलाह लेनी बहुत जरूरी है.
References –
- https://www.diabetes.org/diabetes/type-2
- https://www.cdc.gov/diabetes/basics/type2.html
- https://www.niddk.nih.gov/health-information/diabetes/overview/symptoms-causes
- https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/21501-type-2-diabetes
- https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/type-2-diabetes/symptoms-causes/syc-20351193