इस लेख में आप जानेंगे हाई ब्लड प्रेशर क्या है, इसके लक्षण, कारण, इलाज, दवाएँ, घरेलू उपचार, डाइट, प्रभाव और रोकथाम –

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हाई ब्लड प्रेशर क्या है – What is high blood pressure hypertension in hindi

जब हमारे शरीर में ब्लड का प्रेशर अनहेल्दी लेवल तक बढ़ जाता है तो उस कंडीशन को हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन कहा जाता है. इसे मापने का तरीका – हार्ट से पंप होकर हमारी धमनियों से गुजरने वाले खून की रसिस्टेंस दर का तेज़ होना हाई ब्लड प्रेशर लेवल को दर्शाता है.

इसका कारण धमनियों का पतला होना होता है. जबकि लंबे समय तक हाई बीपी रहने से सेहत से जुड़ी समस्याएं जैसे हार्ट रोग आदि हो सकते है.

आज के समय में हाइपरटेंशन काफी आम है, यह कुछ सालों के भीतर विकसित हो जाता है. साथ ही इसमें कोई लक्षण नज़र नही आते है. लेकिन बिना किसी लक्षण के भी हाई बीपी के कारण ब्लड वेसल्स, दिमाग, हार्ट, किडनी और आँखों की समस्या आदि देखने को मिल सकते है.

इसका शुरूआत में पता लगना जरूरी होता है, लगातार हाई बीपी आने पर आप या आपके डॉक्टर कुछ बदलाव नोटिस कर सकते है. लंबे समय तक हाई बीपी रहने पर डॉक्टर आपको दवा आदि दे सकते है जिससे ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाए.

हाइपरटेंशन के इलाज के लिए दवा और लाइफस्टाइल बदलाव दोनों की जरूरत पड़ती है. जबकि इलाज न मिलने पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक तक का खतरा बढ़ जाता है.

हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण – what are the symptoms of high blood pressure in hindi

यह ऐसी कंडीशन है जिसका पता जल्दी से नही चल पाता है. काफी सारे लोगों को इसके कोई लक्षण महसूस नही होते है. जबकि इसके गंभीर परिणाम दिखने में कई साल तक लग सकते है. लेकिन हाइपरटेंशन के लक्षणों में –

  • सिरदर्द
  • सांस लेने में परेशानी
  • नाक से खून आना
  • चक्कर आना
  • सीने में दर्द
  • फ्लशिंग (चेहरा या गर्दन लाल होना)
  • पेशाब के दौरान खून आना
  • दृष्टि में बदलाव

ऐसे किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता ली जानी चाहिए. ध्यान रखने वाली बात यह है कि जरूरी नही हर किसी को यह लक्षण दिखें. साथ ही लक्षणों के दिखने तक का इंतजार नही किया जाना चाहिए. 

इसे पता लगाने का सबसे बेहतर तरीका है कि ब्लड प्रेशर की नियमित जांच की जाए. इसके अलावा, हार्ट रोग या ऐसी किसी कंडीशन की फैमिली हिस्ट्री होने पर समय समय पर जैसे साल में एक या दो बार इसके लेवल जांचने चाहिए.

हाई ब्लड प्रेशर के कारण – what are the causes of high blood pressure in hindi

इसके दो प्रकार होते है –

प्राइमरी हाइपरटेंशन

  • जेनेटिक – कुछ रोग जेनेटिक भी होते है जो जीन्स की असमान्यता के कारण एक से दूसरे पीढ़ी में चले जाते है.
  • शारीरिक बदलाव – शरीर में कोई भी बदलाव महसूस होने या दिखने पर ब्लड प्रेशर की जांच करवानी चाहिए. उदाहरण के लिए – एजिंग के कारण किडनी फंक्शन में बदलाव से शरीर के अंदर सॉल्ट और फ्लूइड का बदलाव हो जाता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है.
  • खराब लाइफस्टाइल – लंबे समय तक बैठे रहने या खराब डाइट होने से शरीर को काफी नुकसान होता है जिससे वजन बढ़ने के कारण मोटापा आदि से भी रक्तचाप की समस्या हो सकती है.

सेकेंड्री हाइपरटेंशन

प्राइमरी हाइपरटेंशन की तुलना में यह ज्यादा गंभीर कंडीशन होती है यह निम्न स्थितियों के कारण हो सकती है जैसे –

  • किडनी रोग
  • एंड्रोक्रीन ट्यूमर
  • ज्यादा शराब पीने
  • थायराइड समस्या
  • दवाओं के साइड इफेक्ट
  • एड्रेनल ग्लैंड समस्या

हाई ब्लड प्रेशर का पता कैसे लगाएं – how to diagnose high blood pressure in hindi

ब्लड प्रेशर लेवल का पता लगाकर इसका पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा तनाव भी एक अहम फैक्टर होता है. लंबे समय तक ब्लड प्रेशर के लेवल बढ़े रहने से डॉक्टर कुछ टेस्ट करवा सकते हैं जैसे –

टेस्ट करवाने से डॉक्टर हाई बीपी के कारण होने वाली दूसरी समस्याओं का पता लगा सकते है. साथ ही आपके दूसरे अंगों की जांच भी कर सकते है.

ब्लड प्रेशर की रिडींग को कैसे समझें – how to understand high blood pressure readings in hindi 

  • सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर – यह बीपी चेक करने वाली मशीन में ऊपर आने वाला नंबर होता है जो दिल धड़कने और ब्लड पंप होने पर आरट्रीज़ के प्रेशर को बताता है.
  • डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर – यह दूसरा और नीचे वाला नंबर होता है जो धड़कनों के बीच वाले आरट्रीज़ के प्रेशर को मांपता है.

एडल्ट्स में ब्लड प्रेशर को 5 केटेगोरी में रखा जाता है –

  • हेल्दी – 120/80 को हेल्दी बीपी माना जाता है, जिसमें ऊपर वाला प्रेशर 120 और नीचे वाला 80 होता है.
  • बढ़ा हुआ – जब ऊपर वाला ब्लड प्रेशर 120 से 129 के बीच होता है और नीचे वाला 80 से नीचे तो ऐसे में डॉक्टर आपको लाइफस्टाइल बदलाव करन के सुझाव देते है. 
  • स्टेज 1 हाइपरटेंशन – जब ऊपर वाला प्रेशर 130 से 139 के बीच और नीचे वाला 80 से 89 के बीच होता है तो वह पहली स्टेज होती है.
  • स्टेज 2 हाइपरटेंशन – जब ऊपर वाला प्रेशर 140 से या उससे ज्यादा और नीचे वाला 90 या उससे ज्यादा होता है तो वह दूसरी स्टेज होती है.
  • हाइपरटेंसिव – जब ऊपर वाला प्रेशर 180 से ज्यादा होता है और नीचे वाला 120 या उससे ऊपर तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर सहायता की जरूरत होती है. जिसके लक्षण सीने में दर्द, सिरदर्द, सांस लेने में समस्या या देख न पाना हो सकते है.

वैसे तो आजकल घर में खुद से अपना ब्लड प्रेशर चेक करने की मशीन खरीदी जा सकती है जिससे रेगुलर अपने रक्तचाप की जांच की जा सकती है.

हाई ब्लड प्रेशर का उपचार – high blood pressure treatment in hindi 

आपकी कंडीशन के आधार पर डॉक्टर आपको ट्रीटमेंट दे सकते है इसमें कई फैक्टर होते है जैसे हाइपरटेंशन का कारण –

प्राइमरी हाइपरटेंशन के उपचार में –

  • लाइफस्टाइल बदलाव
  • दवाएं

सेकेंड्री हाइपरटेंशन के उपचार में –

  • किसी रोग के कारण हाइपरटेंशन होने पर डॉक्टर उसी रोग का इलाज करेंगे.
  • जैसे किसी दवा के कारण बीपी हाई होने पर, दवा बदल दी जाएगी
  • उपचार के दौरान हाई बीपी रहने पर लाइफस्टाइल बदलाव और दवाएं दी जाती है

हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं – medications for high blood pressure in hindi

हाइपरटेंशन का इलाज करने के लिए कुछ दवाओं का उपयोग किया जाता है जिसमें –

  • बीटा ब्लॉकर – इससे हार्ट बीट स्लो हो जाती है जिससे कम ब्लड पंप होता है और बीपी कम हो जाता है. साथ ही यह बीपी हाई करने वाले कुछ हार्मोन को भी ब्लॉक करता है. 
  • डायरूटिक्स – शरीर में हाई सोडियम लेवल और ज्यादा फ्लूइड से बीपी हाई बढ़ जाता है. इस दवा को लेने से किडनी से एक्सट्रा सोडियम पेशाब के जरिए शरीर से बाहर आ जाता है और बीपी का लेवल कम हो जाता है.
  • एसीई इनहाइबीटर्स – एंजीओटेंसीन एक केमिकल होता है जो ब्लड वेसल्स को टाइट और पतला करते है. यह साल्ट हमारे शरीर को एंजीओटेंसीन केमिकल के बनने को बाधित करके काम करता है जिससे बीपी कम हो जाता है.
  • एआरबी – यह एंजीओटेंसीन को बनने से रोकने के साथ इसकी मदद से ब्लड वेसल्स टाइट नही होती है जिससे बीपी कम रहता है.
  • कैल्शियम चैनल ब्लॉकर – यह दवाएं हार्ट की कार्डियक मांसपेशियों में कैल्शियम को जाने नही देती जिससे तेज़ हार्ट बीट और हाई बीपी कम हो जाते है. 
  • अल्फा-2 एगोनिस्ट – इसके उपयोग से ब्लड वेसल्स को टाइट करने वाले कारण पर असर होता है जिससे वेसल्स को आराम मिलता है और बीपी कम हो जाता है.

हाई ब्लड प्रेशर के घरेलू उपचार – home remedies for high blood pressure in hindi

हाइपरटेंशन के कारण वाले फैक्टर को कंट्रोल करने के लिए, लाइफस्टाइल बदलाव करके ठीक किया जा सकता है जो निम्न है –

  • हेल्दी डाइट लेना – फलों, सब्जियों, पूर्ण अनाज, लीन प्रोटीन लेना
  • शारीरिक गतिविधियाँ – वजन कम होने से बेहतर रूप से एक्टिव रहा जा सकता है. तनाव कम करने और हफ्ते में कम से कम 5 दिन रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए.
  • हेल्दी वजन बनाए रखना – अगर आप मोटापे से पीड़ित है तो इसे कम करने से बीपी पर कंट्रोल किया जा सकता है.
  • तनाव को मैनेज करना – इसके लिए मेडिटेशन, गहरी सांसे लेना, मसाज, मांसपेशियों को आराम देना और योग किया जा सकता है.
  • साफ लाइफस्टाइल – अगर आप स्मोकिंग करते है तो उसे छोड़ दें, क्योंकि तंबाकू में मौजूद केमिकल शरीर के टिशयू को खराब करते है. उसी प्रकार शराब का सेवन करने से भी बहुत हानि होती है.

हाई ब्लड प्रेशर के लिए डाइट – diet for high blood pressure in hindi

  • हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करना
  • सोडियम का सेवन कम करना
  • मीठा कम खाना
  • फाइबर ज्यादा लेना
  • प्रोटीन का सेवन
  • हेल्दी फैट का सेवन करना
  • ट्रांस फैट कम लेना
  • डार्क चॉकलेट बीपी को कम करती है
  • ताज़ा फल खाना

हाई ब्लड प्रेशर के शरीर पर प्रभाव – effects of high blood pressure on body in hindi

यह ऐसी कंडीशन होती है जिसका शुरूआत में पता नही चलता है. लेकिन लंबे समय तक रहने पर शरीर में लक्षण दिखने लगते है. इलाज न मिलने पर गंभीर कंडीशन जैसे जान का खतरा आदि हो सकता है. हमारे शरीर पर इसका प्रभाव –

  • आरट्रीज़ को नुकसान पहुँचना 
  • हार्ट फेल
  • अनियमित दिल की धड़कन
  • हार्ट अटैक
  • दिमाग की नसों की क्षति 
  • स्ट्रोक
  • दिमाग तक खून का न पहुँच पाना

हाई ब्लड प्रेशर की रोकथाम – high blood pressure prevention in hindi

नीचे बताई गई बातों का ध्यान रखकर कंडीशन के रिस्क और जटिलताओं को कम किया जा सकता है.

  • डाइट में हेल्दी फ़ूड को शामिल करना
  • डिनर में सलाद आदि ज्यादा खाना
  • चीनी का सेवन कम करना
  • वजन घटाने की कोशिश करना
  • नियमित रूप से बीपी की जांच करना

साथ ही अपने बीपी की रिडींग को किसी एक जगह नोट करके रखना चाहिए. जबकि स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर से सलाह ली जानी चाहिए.

References –

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